महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने कैबिनेट विस्तार करते हुए 39 मंत्रियों को शामिल किया. मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि सभी मंत्रियों के कार्यकाल की समीक्षा ढाई साल बाद की जाएगी, और प्रदर्शन के आधार पर आगे का कार्यकाल तय होगा.
नई दिल्ली: नागपुर में रविवार (15 दिसंबर) को महाराष्ट्र की भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति सरकार का कैबिनेट विस्तार हुआ. राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने 39 मंत्रियों को शपथ दिलाई. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने यह स्पष्ट किया कि इन मंत्रियों का कार्यकाल ढाई साल का होगा और आगे का कार्यकाल इनके प्रदर्शन के आकलन से तय होगा.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सत्तारूढ़ गठबंधन में कई लोगों का मानना है कि इससे न केवल जवाबदेही तय होगी और मंत्रियों पर बेहतर प्रदर्शन करने का दबाव बनेगा, बल्कि मध्यावधि बदलाव से उन अन्य लोगों को भी उम्मीद मिलेगी जो इस बार मंत्रिमंडल में जगह नहीं बना पाए हैं.
प्रदर्शन पर होगा आकलन
शपथ ग्रहण समारोह के बाद उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार के साथ आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में फडणवीस ने कहा, ‘हमारे सभी मंत्रियों का प्रदर्शन का ऑडिट किया जाएगा. यदि किसी मंत्री का कार्य संतोषजनक नहीं पाया गया, तो बदलाव किया जाएगा. यह व्यवस्था महायुति के सभी घटक दलों पर लागू होगी.’
शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे और एनसीपी नेता अजीत पवार ने भी इस नीति का समर्थन किया. शिंदे ने कहा, ‘कई लोग मंत्री बनने के योग्य हैं. हमने पार्टी के तौर पर ढाई साल के लिए मंत्री पद देने का फैसला किया है. इससे कई और लोगों को मौका मिलेगा. यह ‘काम करो या बाहर जाओ’ जैसा है.’
शपथ ग्रहण समारोह से पहले पार्टी के एक कार्यक्रम में पवार ने कहा, ‘इस सरकार में हमने कुछ मंत्रियों और राज्य मंत्रियों को ढाई साल की जिम्मेदारी देने का फैसला किया है. इससे यह सुनिश्चित होगा कि अधिक नेताओं को अवसर मिले और अधिक जिलों को न्याय मिले.’
39 नए मंत्रियों में से 33 ने कैबिनेट मंत्री और छह ने राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली. इनमें से 18 पहली बार मंत्री बने हैं. कैबिनेट में भाजपा के 19 मंत्री, शिवसेना के 11 मंत्री और एनसीपी के 9 मंत्री शामिल हुए हैं. मुख्यमंत्री और दो उपमुख्यमंत्रियों के साथ, मंत्रिमंडल में कुल सदस्यों की संख्या अब 42 हो गई है, जो स्वीकार्य सीमा से एक कम है.
इस कैबिनेट विस्तार से महाराष्ट्र की राजनीति में सत्ता और प्रदर्शन के संतुलन का नया अध्याय शुरू हुआ है.
महत्वपूर्ण चेहरे और बदलाव
कैबिनेट विस्तार में कई पुराने चेहरों की वापसी हुई, जिनमें चंद्रशेखर बावनकुले, जयकुमार रावल, पंकजा मुंडे और अशोक उइके शामिल हैं. वहीं, भाजपा, शिवसेना और एनसीपी ने अपने कई वरिष्ठ नेताओं को बाहर रखा.
भाजपा से सुधीर मुनगंटीवार, रविंद्र चव्हाण, विजयकुमार गावित और सुरेश खाड़े को जगह नहीं दी गई. शिवसेना से तानाजी सावंत, दीपक केसरकर और अब्दुल सत्तार को बाहर रखा गया, जबकि एनसीपी से छगन भुजबल, दिलीप वलसे पाटिल और अन्य नेताओं को शामिल नहीं किया गया.
क्षेत्रीय संतुलन में कमी
हालांकि कैबिनेट विस्तार में क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने की कोशिश की गई, लेकिन 15 जिलों को कैबिनेट में कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला. इनमें से सात जिले विदर्भ, चार मराठवाड़ा, दो पश्चिमी महाराष्ट्र और एक-एक उत्तर महाराष्ट्र और ठाणे-कोंकण क्षेत्र से हैं.