संसद का शीतकालीन सत्र हंगामे के बीच समाप्त हुआ. जहां एनडीए ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर धक्का देने का आरोप लगाते हुए उनके ख़िलाफ़ केस दर्ज करवाया. तो वहीं, कांग्रेस ने भी पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को भाजपा सांसदों द्वारा धक्का दिए जाने को लेकर शिकायत दर्ज करवाई है.
नई दिल्ली: संसद का शीतकालीन सत्र हंगामे, धक्का-मुक्की और एफआईआर के बीच शुक्रवार को समाप्त हुआ. एक ओर सत्तापक्ष राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर पर धक्का देने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया तो वहीं, कांग्रेस की ओर से भी पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसदों द्वारा धक्का दिए जाने को लेकर शिकायत दर्ज करवाई गई है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, संसद परिसर में हुए इस पूरे धक्का-मुक्की कांड की शिकायत और एफआईआर दोनों को दिल्ली पुलिस ने क्राइम ब्रांच को भेज दिया है.
क्राइम ब्रांच की अंतरराज्यीय सेल (आईएससी) राहुल गांधी के खिलाफ एफआईआर की जांच करेगी, जो भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के तहत दर्ज की गई है. राहुल पर लगे आरोपों में गंभीरता से चोट पहुंचाने से लेकर आपराधिक बल प्रयोग करने और धमकी देने की धाराएं भी हैं.
इस संबंध में डीसीपी ( क्राइम ब्रांच) संजय कुमार सैन ने अखबार से कहा, ‘एसीपी रमेश लांबा के नेतृत्व में एक टीम मामले की जांच का नेतृत्व करेगी.’
बताया जा रहा है कि क्राइम ब्रांच को शुक्रवार (20 दिसंबर) रात करीब 8 बजे मामले से जुड़े दस्तावेज सौंपे दिए गए हैं.
मालूम हो कि भाजपा सांसद हेमंग जोशी की शिकायत पर संसद मार्ग थाने में राहुल गांधी पर एफआईआर दर्ज की गई है. भाजपा का आरोप है कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने धक्का-मुक्की की, जिसके चलते पार्टी के बुजुर्ग सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत चोटिल हो गए. दोनों को राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
दूसरी तरफ कांंग्रेस ने दावा किया है कि भाजपा सांसदों ने उन्हें और अन्य विपक्षी सदस्यों को संसद भवन में जाने से रोका और धक्का-मुक्की की.
भाजपा के साथ ही कांग्रेस की शिकायत भी क्राइम ब्रांच को सौंपी गई है. पार्टी ने अपनी शिकायत में कहा है कि भाजपा सांसदों ने कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को धक्का देकर जमीन पर गिरा दिया, जिससे उन्हें चोटें आईं.
डीसीपी सैन ने कहा, ‘हम कांग्रेस द्वारा दायर शिकायत की जांच भी देखेंगे.’
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने अखबार को बताया, ‘आने वाले दिनों में संसद परिसर में अपराध स्थल का निरीक्षण करने के लिए संबंधित अधिकारियों से अनुमति ली जाएगी.’
ज्ञात हो कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ने एक-दूसरे के नेताओं पर मारपीट का आरोप लगाते हुए गुरुवार (19 दिसंबर) को संसद मार्ग थाने में अलग-अलग शिकायतें दर्ज करवाई हैं.
वहीं, शुक्रवार (20 दिसंबर) को संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त होते ही कांग्रेस ने भाजपा को निशाने पर लेते हुए कहा कि संसद के इतिहास में यह पहली बार है कि सत्तारूढ़ दल ने सदन नहीं चलने दिया.
कांग्रेस ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की बाबा साहेब आंबेडकर को लेकर की गई टिप्पणी पर उनके इस्तीफे की मांग दोहराई, और इसे बाबा साहेब का अपमान बताते हुए गृह मंत्री और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से माफी की मांग की. इस संबंध में कांग्रेस ने संसद परिसर के अंदर की सीसीटीवी फुटेज भी सार्वजनिक करने की मांग की है, जिससे झड़प और धक्का-मुक्की की सच्चाई सामने आ सके.
आरोप-प्रत्यारोप के बीच लोकसभा के कांग्रेस सदस्य शीतकालीन सत्र के समापन के बाद अध्यक्ष ओम बिरला के साथ पारंपरिक चाय बैठक में भी शामिल नहीं हुए, जबकि राज्यसभा में विपक्ष के सदस्य सभापति जगदीप धनखड़ के साथ चाय कार्यक्रम में शामिल हुए.
सदन के अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के बाद दोनों सदनों में कांग्रेस के उपनेताओं गौरव गोगोई (लोकसभा) और प्रमोद तिवारी (राज्यसभा) ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इसमें तिवारी ने बताया कि लोकतंत्र के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है ,जब सत्तापक्ष ने संसद नहीं चलने दिया. आमतौर पर विपक्ष संसद को बाधित करता है, चाहे वह कोई भी दल हो. यह पहली बार है कि सत्ता पक्ष ने सदन नहीं चलने दिया.
उन्होंने आगे कहा, ‘संसद को घेर लिया गया, प्रवेश द्वार अवरुद्ध कर दिए गए, हमें सदन के अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई. उन्होंने अपने पोस्टरों में लाठियां लगाईं… फुटेज है. हमें सदन में प्रवेश करने से रोका गया और हमारे 83 वर्षीय राज्यसभा नेता को धक्का देकर जमीन पर गिरा दिया गया. यह पहली बार था जब विपक्ष को संसद में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई. हमारी मांग है कि हर सेकेंड, हर इंच की सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक की जाए. जब यह जारी किया जाएगा, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि हमें प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी.’
प्रमोद तिवारी ने ये भी सवाल उठाया कि कांग्रेस और भाजपा नेताओं द्वारा एक साथ शिकायत दर्ज कराने के बावजूद कांग्रेस की एफआईआर दर्ज नहीं की गई, जबकि भाजपा की एफआईआर दर्ज कर ली गई. यह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ है.
गोगोई ने दावा किया, ‘गुरुवार की घटना के दौरान भाजपा के पुरुष सदस्यों ने ‘कांग्रेस की महिला सांसदों को धक्का दिया. इस घटना को लेकर पार्टी ने घटना लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा और जांच की मांग की… लेकिन पार्टी को पत्रों का जवाब नहीं मिला. इसके बाद कांग्रेस को पुलिस शिकायत का भी कोई जवाब नहीं मिला. ऐसे में अगर भाजपा को लगता है कि राहुल गांधी एफआईआर के कारण झुक जाएंगे, तो वे गलत हैं… हम झूठी एफआईआर के कारण पीछे नहीं हटेंगे, उन्होंने कहा कि जिन 12 सेकेंड के दौरान शाह ने आंबेडकर के बारे में टिप्पणी की, उसकी भाजपा को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी.’
वहीं, दूसरी ओर भाजपा ने राहुल गांधी पर शाह का ‘संपादित’ भाषण दिखाने और ‘जनता में तनाव पैदा करने’ का आरोप लगाया है. इसमें गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे के खिलाफ संसद में विशेषाधिकार हनन का नोटिस भी दिया गया.
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा में स्पीकर ओम बिरला को विशेषाधिकार नोटिस सौंपा. सभापति को भेजे अपने पत्र में दुबे ने कहा है कि राहुल गांधी ने सार्वजनिक भावनाओं को भड़काने और संसद और देश की गरिमा को कम करने के एकमात्र इरादे से राज्यसभा में अमित शाह के भाषण का एक ‘संपादित’ संस्करण सोशल मीडिया, विशेष रूप से एक्स पर साझा किया.
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष खरगे के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव लाया गया है क्योंकि उन्होंने लोगों को ‘गुमराह’ और ‘गलत जानकारी’ देने के लिए एक्स पर अमित शाह के भाषण की एक क्लिप साझा की थी.