आयकर छापा: सौरभ के साले सहित सभी करीबी हुए गायब

संपत्तियों के जप्त दस्तावेजों में दर्ज नामों पर होंगे नोटिस जारी.

मंगल भारत। मनीष द्विवेदी। छापे के बाद से ही परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के बेहद करीबी लोग गायब हो गए हैं। इनमें उसका साला शुभम तिवारी भी शामिल है। वह ग्वालियर में रहता था। उधर, छापे पर प्रदेश सरकार की भी पैनी नजर बनी हुई है। माना जा रहा है कि छापा की पूरी जानकारी सामने आने के बाद सरकार कई अफसरों के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। खासतौर पर बीते तीन सालों में परिवहन विभाग में पदस्थ रहे अफसरों पर। इसकी वजह है सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरों टालरेंस की नीति। उधर, बीते पांच दिनों से जारी कार्रवाई के बीच आज से लॉकरों को खोलने की तैयारी है। माना जा रहा है कि इनमें बेशकीमती सामानों के अलावा संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज भी सामने आ सकते हैं। सौरभ शर्मा के खास दोस्तों की सूची बहुत बड़ी नहीं है। जिन दोस्तों पर वह सबसे ज्यादा विश्वास करता था, जिनके साथ वह अक्सर देखा जाता था, उनमें चेतन शुक्ला गौर को उसके दोस्त के अलावा उसके वाहन चालक के रूप में भी पहचाना जाता था। परिवहन आरक्षक गौरव पाराशर और नरेन्द्र भदौरिया के अलावा शरद जायसवाल और प्यारे केवट जैसे नाम सौरभ के खास राजदारों में बताए जा रहे हैं। शरद के सहयोग से सौरभ ने भोपाल के चूनाभट्टी चौराहे पर फगीटो नाम से रेस्टोरेंट का संचालन भी किया। बताया जा रहा है कि उसके अधिकांश दोस्त घरों और नौकरी से गायब हैं। इसी तरह से ग्वालियर में रहने वाला उसका साला शुभम भी ग्वालियर छोड़ गया है। शुभम फिलहाल कहां है, यह किसी को नहीं पता है। शुभम पहले ने अपना फेसबुक अकाउंट डिलीट किया, फिर पत्नी सहित जानने वालों के भी सोशल मीडिया के अकाउंट डिलीट कराए और गायब हो गया है। शुभम और सौरभ बेहद करीबी है। सौरभ के कारोबार में पत्नी दिव्या के साथ ही शुभम भी कई काम संभालता है। पत्नी दिव्या का भोपाल में फिटनेस क्लब भी है, जिसका संचालन वही देखती थी। सौरभ के यहां लोकायुक्त के छापे के और फिर सौरभ के करीबी चेतन सिंह की कार में सोना-नगदी मिलने के बाद सौरभ की ससुराल के लोग भी सतर्क हो गए थे। बताया गया है कि एक दिन पहले यहां से कुछ सामान भी बाहर निकलवाया गया। बता दें कि पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के यहां लोकायुक्त ने भोपाल निवास व कार्यालय पर छापा मारा था। सौरभ मूल रूप से ग्वालियर का रहने वाला है। उसकी थाटीपुर में ससुराल है। इंटरनेट मीडिया पर पहले सौरभ व उसकी पत्नी दिव्या और इसके बाद सभी रिश्तेदार व नजदीकियों ने अपने फेसबुक व इंस्टाग्राम अकाउंट बंद कर लिए हैं।
पुलिस की भूमिका संदेहास्पद
सौरभ के रिश्तेदार के एक खेत में मिली सोने व नगदी से भरी कार मिलने के बाद से पुलिस की कार्रवाई पूरी तरह से संदिग्ध बनी हुई है। दरअसल लावारिस कार की सूचना के बाद पुलिस तो पहुंची, लेकिन उसने कार को जप्त नहीं किया। बड़ा सवाल यह बना हुआ है कि लावारिस गाडिय़ों की सूचना पर पुलिस तुरंत गाड़ी थाने ले जाती है। इस मामले में आयकर को सूचना क्यों दी? क्या कार में रखे रुपए सोने की जानकारी पुलिस को पहले से थी, तो कैसे इसका उत्तर किसी के पास नहीं है।
आज से हो सकती है बैंक लॉकर खोलने की शुरुआत
राजेश शर्मा और सौरभ शर्मा पर कार्रवाई में 30 से बैंक लॉकर मिले हैं। जांच एजेंसियां आज से लॉकर खोलने की तैयारी में है। इनमें जमीनों की खरीद-फरोख्त से जुड़े दस्तावेज और कैश व सोना मिल सकता है। वहीं सौरभ शर्मा और उसके करीबी चेतन सिंह गौर के ठिकानों से सैंकड़ों रजिस्ट्रियां मिली हैं। ऐसे ही राजेश शर्मा से जुड़े लोगों के यहां से प्रॉपर्टी के दस्तावेज मिले हैं। अब प्रत्येक खरीदार को नोटिस भेज कर जांच एजेंसियां पूछताछ के लिए बुला सकती हैं। ऐसे में कई और बड़े नाम उजागर हो इस सकते हैं। इसके आधार पर संभावना जताई जा रही है कि छापे की कार्रवाई भले ही खत्म हो जाए, लेकिन जांच लंबी चलती रहेगी।
भोपाल में फाटिगो में कई पार्टनर भी
सौरभ के अलग अलग कारोबारों में पार्टनर भी हैं। जिस तरह रोहित तिवारी व शरद जायसवाल पार्टनर हैं, उसमें एक मेहता भी सौरभ का काफी नजदीकी है। शरद जायसवाल होटल फाटिगो भोपाल का भी काम देखता है। वहीं मेहता भी होटल से लेकर रियल स्टेट कारोबार में सौरभ का साथ देता है।
गडकरी ने भी लिखा था पत्र
सौरभ के पिता के निधन के बाद उसे स्वास्थ्य की जगह 2016 में परिवहन विभाग में अनुकंपा नियुक्ति मिली। परिवहन आयुक्त कार्यालय ग्वालियर में एक वर्ष रहने के बाद उसने पदस्थापना चेकपोस्ट पर करा ली। यहां वह लगभग तीन वर्ष रहा। बता दें कि चेक पोस्टों में जमकर अवैध वसूली की शिकायतें आ रही थीं। उस समय सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भी नागपुर के भाजपा नेताओं की शिकायत के आधार पर तत्कालीन मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को अवैध वसूली के संबंध में पत्र लिखा था। वर्ष 2019 में सौरभ उडऩदस्ता में आ गया। इसके बाद आधे से ज्यादा चौकियों को वही संभालने लगा था। बड़े अधिकारी सौरभ के इशारे पर चेक पोस्ट पर पदस्थी देते थे। यह चौकियां हाल ही में मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव के निर्देश पर बंद हुई हैं।