जिलाध्यक्षों-प्रदेश अध्यक्ष के निर्वाचन पर मंथन.
मंगल भारत। मनीष द्विवेदी। मंडल अध्यक्षों के चुनाव के बाद भाजपा का पूरा फोकस जिलाध्यक्षों के चुनाव पर है। जिलाध्यक्षों के चुनाव के बाद प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होगा। इसको लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने मंथन शुरू कर दिया है। संगठन चुनाव की आगामी योजना के लिए आज सांसदों से फीडबैक लिया जाएगा। बताया जाता है कि सांसदों के फीडबैक पर संगठन चुनाव होंगे।गौरतलब है कि भाजपा में संगठन चुनावों की अगली कड़ी में जिलाध्यक्षों और प्रदेश अध्यक्ष के निर्वाचन की कवायद शुरू होने वाली है। इसके लिए पार्टी के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश ने दिल्ली में बड़ी बैठक बुलाई है, जिसमें चुनाव की ऑब्जर्वर सरोज पांडे भी रहेंगी। इसके अलावा बैठक में प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद, प्रभारी महेंद्र सिंह व सतीश उपाध्याय भी रहेंगे। इस बैठक में चुनाव की प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ेगी, यह तय किया जाएगा। जिलाध्यक्षों के चुनाव के बीच मंडल अध्यक्षों के चुनाव को लेकर पार्टी में रार शुरू हो गई है। 1 से 15 दिसंबर तक 1300 मंडलों में अध्यक्ष और जिला प्रतिनिधि चुने जाने थे। बीजेपी के संगठनात्मक रूप से मप्र में 60 जिले हैं, इनमें मंडल अध्यक्षों के चुनाव को लेकर चुनाव समिति के पास करीब 100 शिकायतें पहुंची हैं। अपीलीय समिति ने इन शिकायतों की छानबीन कर ली है। सोमवार को शिकायतों पर फैसला हो सकता है। शिकायतों के मुताबिक, डेढ़ दर्जन ऐसे मंडल हैं, जहां पर अध्यक्ष बनने के लिए पदाधिकारियों ने खुद की उम्र घटाकर बताई है। इसके बाद 18 मंडलों के आधिकारिक तौर पर चुनाव ही निरस्त कर दिए गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा सिवनी से हैं। भाजपा ने मंडल अध्यक्षों के लिए 45 साल से कम उम्र का क्राइटेरिया तय किया था। इसके अलावा ऐसे कार्यकर्ताओं को मंडल अध्यक्ष नहीं बनाने के निर्देश थे, जिनका आपराधिक रिकॉर्ड है। जिन्होंने पार्टी के खिलाफ काम किया है या जिन कार्यकर्ताओं ने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बयानबाजी की है।
दिन में जुलूस निकाला, रात में नियुक्ति रद्द
सिवनी जिले में ही बंडोल के मंडल अध्यक्ष बने पुरुषोत्तम बघेल प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंचे। पुरुषोत्तम ने कहा- सिवनी विधानसभा से सुबह हमारी नियुक्ति की गई। हमें पता चला कि हम मंडल अध्यक्ष बने हैं। दिन में जुलूस निकाला। रात के 11 बजे विज्ञप्ति जारी की गई कि आपका इस पद पर निर्वाचन निरस्त किया जा रहा है। हम यह जानना चाह रहे हैं कि नियुक्ति किस कारण निरस्त की गई, जबकि चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह से संवैधानिक थी। तय मापदंडों के अनुसार ही पूरी प्रक्रिया की गई थी। हमने तीन दिन पहले जाकर आपत्ति दर्ज कराई थी। उसके बाद हमें कहा गया कि जो सही है, वही होगा। सिवनी में उत्तर मंडल के विष्णु चौरसिया ने बताया- मेरी सुबह 8 बजे मंडल अध्यक्ष की नियुक्ति हुई और रात के 11 बजे निरस्त कर दी गई। विधायक मुनमुन राय का कहना है कि हम कांग्रेसी हैं। उन्होंने हाईकमान से मेरी शिकायत की है जबकि यह बिल्कुल गलत है। मैं 20 साल से भाजपा में हूं, मेरा पूरा परिवार भाजपा में है। 2004 में मेरे चाचा को अशोक वार्ड से पार्षद का टिकट मिला था और वे चुनाव जीतकर आए थे। वह पूरा मुस्लिम वार्ड था, फिर भी हम संघर्ष करके जीते। 2008 में मेरे चाचा जिला मंत्री बने और अब हम पर आरोप लगाया जा रहा है कि हम कांग्रेसी हैं।
विधायक ने निरस्त करवा दिया निर्वाचन
सिवनी जिले के बीजा देवरी मंडल के अध्यक्ष बने मोहन डेहरिया के पिता चमरा लाल डेहरिया भोपाल प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंचे। उन्होंने मीडिया से कहा- मेरे बेटे को संगठन ने मंडल अध्यक्ष बनाया था। विधायक मुनमुन राय ने नियुक्ति निरस्त करा दी। विधायक जी तो अभी दो साल पहले ही बीजेपी में आए हैं। हम प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से मिलने आए हैं। हमारा विधायक संगठन में फूट डाल रहा है। वे चाहते हैं कि उनके व्यक्ति को अध्यक्ष बनना चाहिए। वे पहले निर्दलीय थे फिर बीजेपी में आए तो उनके आदमी अलग हैं। हम भी कहते हैं कि उनके लोग बन जाएं लेकिन हमारा अपमान नहीं करना था। नियुक्ति के बाद निरस्त नहीं करानी थी। निवाड़ी जिले के पृथ्वीपुर मंडल से आए बंशीलाल रजक ने कहा- जिन्होंने कांग्रेस का काम किया, उन्हें भाजपा प्रदेश नेतृत्व जिला अध्यक्ष बनाने की सोच रहा है। इनमें गणेशी नायक और उनके कई अन्य सहयोगी हैं। जैसे- ओमप्रकाश रावत, जिन्होंने कांग्रेस का काम किया और भाजपा के लोगों को हराया। फिर भी 75 % कांग्रेसियों को मंडल अध्यक्ष बना दिया गया, जो उन्हीं के लोग हैं। कोई उनका बेटा है, कोई ड्राइवर, कोई गनमैन है।
दिल्ली में हो चुकी है बैठक
इस बीच हितानंद और क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल ने दिल्ली में मप्र के सांसदों के साथ अलग बैठक की है। मप्र भवन में हुई इस बैठक में मप्र में सत्ता और संगठन का फीडबैक व चुनाव का ओपिनियन भी लिया गया है। साथ ही सांसदों से उनके कामकाज के बारे में बात की। इस बैठक में वीडी शर्मा नहीं थे। बताया गया कि उन्हें पार्टी के काम से खजुराहो जाना पड़ा। बहरहाल, बैठक 19 और 20 दिसंबर को अलग-अलग रखी गई थी, जिसमें मप्र से लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों को बुलाया गया। सभी से संगठन नेताओं ने एक-एक करके बात की। संगठन चुनाव के बीच इस बैठक को भी अहम माना जा रहा है। सांसदों से पूछे गए कि आपके क्षेत्र में प्रशासनिक अधिकारियों का कामकाज और आपके साथ समन्वय कैसा है? संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के साथ व्यवहार या कमियां क्या हैं? जिलाध्यक्ष और मंडल अध्यक्ष से पूछा जा रहा है या नहीं। सांसद निधि को किसने कितना और कैसे खर्च किया? (ज्यादातर सांसदों ने बताया कि वे सामुदायिक भवन और विश्राम घाट को ठीक करने के लिए पैसा खर्च कर रहे हैं।) संगठन का सदस्यता अभियान का फीडबैक क्या है? आप लोगों (सांसद) का अपने क्षेत्र में प्रवास कितना है? केंद्र और राज्य की विकास से जुड़ी योजनाओं की मॉनिटरिंग के लिए बने दिशा कार्यक्रम की सफलता क्या है? दिल्ली में सांसदों से हुई संगठन के नेताओं की चर्चा व फीडबैक का इस्तेमाल पार्टी का जिलाध्यक्ष चुनते समय हो सकता है। सांसदों ने इस बारे में अपनी राय दी है। ऐसे संकेत हैं कि कुछ बड़े जिलों के जिलाध्यक्षों को रिपीट किया जा सकता है। बड़े नेताओं के कुछ सिफारिशी नाम भी हैं, जिन पर भाजपा आलाकमान को सहमत्ति के साथ एक नाम पर मुहर लगानी होगी।