अल्ट्राटेक ने किया वन भूमि पर कब्जा, 20 साल बाद मामला दर्ज

अब कब्जा हटाने की हिम्मत नहीं कर पा रहा वन अमला

भोपाल/मंगल भारत। तत्कालीन मैहर सीमेंट जिसका नाम बदलकर अब अल्ट्राटेक सीमेंट कंपनी हो गया है। इस कंपनी के प्रबंधन द्वारा करीब बीस साल पहले 25 हेक्टेयर से अधिक वन भूमि पर कब्जा कर लिया गया था, जिसका उल्लेख दस्तावेजों में होने के बाद भी अफसरों को उस पर मामला दर्ज करने में दो दशक से अधिक का समय लग गया। जैसे- तैसे मामला दर्ज होने के बाद भी वन विभाग अब कब्जा हटाना भूल गया है। दरअसल मैहर सीमेंट जिसका नाम अब अल्ट्राटेक हो गया है। इसे प्रदेश सरकार द्वारा 1977 में तीस साल के लिए पहले करीब 67 हेक्टेयर जमीन लीज पर दी गई थी। बाद में लीज बढ़ाकर 90 साल कर दी गई। सीमेंट कंपनी ने 1981 से लेकर 2002 के बीच करीब 25.583 हेक्टेयर वन भूमि पर कब्जा करते हुए उस जमीन पर स्कूल, अस्पताल और कर्मचारियों के लिए आवासीय मकान बनाकर दे दिए गए। अहम बात यह है कि जब यह निर्माण किए जा रहे थे, तब भी संबधित वन अफसरों ने आंखें बंद कर ली ली थीं। 22 साल से अफसर सोते रहे और फरवरी 2024 में सरकार जागे और फिर वन भूमि अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया, लेकिन जमीन से अब तक कब्जा नहीं हटाया है। इस मामले को शीतकालीन सत्र में विधायक डॉ. राजेंद्र कुमार सिंह ने उठाते हुए पूछा था कि क्या अल्ट्राटेक सीमेंट कंपनी ने मैहर जिले में वन भूमि पर अवैध कब्जा कर स्थायी, अस्थायी अतिक्रमण कर निर्माण कर लिया गया है कब से, इसके लिए अल्ट्राटेक कंपनी के किस-किस नाम-पदनाम के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया है और वन विभाग में कौन-कौन से अफसर दोषी है? लिखित जवाब में वन राज्यमंत्री दिलीप अहिरवार ने बताया कि अभिलेखों के अनुसार वर्ष 1977 में वन विभाग द्वारा पूर्व कंपनी मैहर सीमेंट को वन भूमि व्यपवर्तन नियमों का पालन करते हुए कारखाने के लिए दी गई थी। आवंटित वन भूमि से अधिक जमीन पर कंपनी द्वारा निर्माण किया गया है। उक्त अतिक्रमण वर्ष 1981 से 2002 के मध्य पटवारी हल्का चौपड़ा सगमनियां एवं सोनवारी में 25.583 हेक्टेयर में किया गया है। मंत्री ने बताया कि अल्ट्राटेक कंपनी के संस्था प्रमुख के विरुद्ध वन अपराध प्रकरण 31/12 दर्ज किया गया है। वनमंडल सतना की कार्य आयोजना में 2005 के पूर्व से अवैध अतिक्रमण का उल्लेख है।
पन्ना टाइगर रिजर्व में दी ओबेराय ग्रुप को जमीन
विधायक अरविंद पटैरिया के सवाल पन्ना टाइगर रिजर्व के इको सेंसिटिव जोन के राजगढ़ मौजा खसरा नंबर 2091 की 2.80 एकड़ जमीन ओबेराय ग्रुप के राजगढ़ पैलेस एवं रिसोर्ट के नाम निजी दर्ज होने के सवाल पर मंत्री दिलीप अहिरवार ने लिखित जवाब में बताया कि वन व्यवस्थापन अधिकारी ने खसरे के सम्पूर्ण क्षेत्रफल को संरक्षित वन एवं वन सीमा से विलोपित किया है। भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा-17 के तहत प्रकरण कलेक्टर छत्तरपुर के समक्ष अपील में है। अल्ट्राटेक कंपनी ने वन भूमि की 25.583 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा कर स्कूल, अस्पताल और आवासीय भवन बना लिए और 22 साल से फॉरेस्ट विभाग के अफसर सोते रहे। किसी भी अधिकारी ने कार्रवाई करना उचित नहीं माना।