आयकर व लोकायुक्त के बाद अब ईडी के छापे भी शुरू

परिवहन के पूर्व आरक्षक व उससे जुड़े तीन शहरों भोपाल, ग्वालियर-जबलपुर में कार्रवाई.
भोपाल/मंगल भारत.

परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर स्थित ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छापा मारा है। ईडी के अधिकारी आज सुबह एक साथ तीनों शहरों में सौरभ के ठिकानों पर पहुंचे हैं। ईडी सूत्रों ने इन छापों की पुष्टि की है। सूत्रों के मुताबिक, छापे में कई अहम दस्तावेज मिले हैं। इस मामले में 23 दिसंबर को ईडी की एंट्री हुई थी। ईडी ने सौरभ और उसके सहयोगी चेतन गौर के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था। वहीं, लोकायुक्त ने सौरभ शर्मा समेत 5 लोगों को समन जारी किया है।
परिवहन विभाग में रहकर करोड़ों की संपत्ति जुटाने वाले सौरभ शर्मा के ठिकानों पर कार्रवाई में लोकायुक्त पुलिस की लापरवाही भी सामने आई है। गुरुवार 19 दिसंबर को सुबह 6 बजे जब लोकायुक्त पुलिस की टीम ने सौरभ शर्मा के अरेरा कॉलोनी ई-7 स्थित मकान नंबर 78 और ई-7/657 पर एक साथ कार्रवाई की थी, उसी दौरान गोल्ड और कैश से भरी कार कॉलोनी से निकली थी। लोकायुक्त का दावा है कि 78 नंबर मकान सौरभ शर्मा का आवास है और 657 नंबर मकान कार्यालय चलाया जा रहा था। सूत्रों के मुताबिक, ये कार ई-7 से ही निकली थी। छापों के बाद कार क्रमांक एमपी 04 बीए 0050 गुरुवार देर रात में डोरी में एक फार्म हाउस के अंदर मिली थी। यह सौरभ शर्मा के सहयोगी चेतन सिंह गौर की थी। जानकारी के मुताबिक, कार को प्यारे नाम का युवक चला रहा था। उसकी मोबाइल लोकेशन से पता चला है कि छापों के दौरान ये कार अरेरा कॉलोनी के ई-7 में थी । प्यारे फिलहाल पुलिस की पहुंच से दूर है।
साले के नाम से निवेश खंगाल रही ईडी
जबलपुर में सौरभ शर्मा का ससुराल है। सूत्रों ने बताया कि उसने अपनी पत्नी दिव्या के भाई शुभम तिवारी के नाम से करोड़ों का निवेश किया है। इसके अलावा दोस्त चेतन सिंह गौर और बहनोई रोहित तिवारी के नाम भी निवेश का पता चला है। ईडी की टीम इसकी पड़ताल में जुटी है। चेतन सिंह गौर ने 2012 में अविरल कंस्ट्रक्शन कंपनी बनाई थी। इसमें शरद जायसवाल डायरेक्टर और रोहित तिवारी एडिशनल डायरेक्टर बनाए गए हैं।
अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो चुकी
आरटीओ के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा की अग्रिम जमानत याचिका भोपाल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दी थी। सौरभ ने अपने वकील राकेश पाराशर के जरिए याचिका फाइल की थी। पाराशर ने अदालत में दलील दी कि आरोपी लोक सेवक नहीं है, उसे अग्रिम जमानत का लाभ दिया जाए। न्यायाधीश ने अपने आदेश में उसे लोक सेवक मानते हुए और अपराध की गंभीरता को देखते हुए अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया।
यह है पूरा मामला
परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के खिलाफ लोकायुक्त ने 19 दिसंबर, गुरुवार को अरेरा कॉलोनी स्थित उसके घर पर छापा मारा था। इस रेड में सौरभ के घर से 1.15 करोड़ रुपए कैश मिले थे। वहीं, आधा किलो से ज्यादा सोना मिला, जो 50 लाख रुपए से ज्यादा का है। इसके अलावा प्रॉपर्टी के कई अहम दस्तावेज भी मिले हैं। इसी के साथ उसके साथी चेतन सिंह गौर के ठिकाने से 1 करोड़ 70 लाख रूपए मिले हैं। दोनों के घर से मिले सामान और गाडिय़ों की कीमत 2 करोड़ रुपए आंकी गई है। बता दें कि सिर्फ सात साल की मामूली नौकरी में ही सौरभ शर्मा ने करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर लिया। उसने अनुकंपा नियुक्ति से नौकरी पाई और फिर चंद सालों में सिस्टम को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हुए रसूखदार बिल्डरों और नेताओं के साथ सांठगांठ कर ली। एक साल पहले उसने वीआरएस लेकर खुद को बचाने की कोशिश की, लेकिन उसका खेल यहीं खत्म नहीं हुआ। सौरभ ने भोपाल के शाहपुरा इलाके में एक बड़े स्कूल की फ्रेंचाइजी, एक होटल और अवैध प्रॉपर्टी डीलिंग में निवेश किया। वह अभी जहां रहता है, उस मकान को अपने साले का बताता है। हालांकि लोकायुक्त टीम सभी पहलुओं की जांच कर रही है।
एक नेता जी का था पूरा संरक्षण
लोकायुक्त की टीम सौरभ शर्मा के घर छापेमारी के दौरान भारी मात्रा में नकदी और कीमती सामान देखकर हैरान रह गई थी। सूत्रों के अनुसार, सौरभ को एक प्रभावशाली मंत्री का संरक्षण प्राप्त था, जो पहले कमलनाथ सरकार और फिर शिवराज व अब मोहन सरकार में मंत्री हैं। सौरभ की भव्य जीवनशैली और उसकी अकूत संपत्ति ने टीम को चौंका दिया है। जांच में पता चला कि सौरभ अपने पिता की अनुकंपा नियुक्ति के तहत नौकरी में आया था, लेकिन उसने भ्रष्टाचार को माध्यम बनाकर प्रदेश भर में अपने अवैध कारोबार फैला लिया था।