केंद्रीय खेल मंत्रालय ने 24 दिसंबर 2023 को नवगठित भारतीय कुश्ती महासंघ को यह कहते हुए निलंबित कर दिया था कि ‘नया निकाय पूर्व पदाधिकारियों के पूर्ण नियंत्रण में है.’ अब यह निलंबन वापस ले लिया गया है और बृजभूषण शरण सिंह के क़रीबी संजय सिंह इसके प्रमुख होंगे.

नई दिल्ली: केंद्रीय खेल मंत्रालय ने मंगलवार (11 मार्च) को भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) का निलंबन हटा दिया है. साथ ही सरकार ने डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष संजय सिंह को संघ का पूरा नियंत्रण दे दिया है.
मालूम हो कि संजय सिंह महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह के करीबी सहयोगी हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, खेल मंत्रालय ने 24 दिसंबर, 2023 को एक आदेश के जरिये डब्ल्यूएफआई को निलंबित कर दिया था और भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को राष्ट्रीय खेल महासंघ के दिन-प्रतिदिन के मामलों को चलाने के लिए एक तदर्थ समिति बनाने के लिए गया कहा था.
अब महासंघ के निलंबन हटाने के संबंध में मंत्रालय के पत्र में कहा गया है, ‘स्पॉट सत्यापन समिति के निष्कर्षों, डब्ल्यूएफआई द्वारा किए गए अनुपालन उपायों और भारतीय खेलों और एथलीटों के व्यापक हित में, युवा मामले और खेल मंत्रालय 24 दिसंबर 2023 के आदेश द्वारा जारी भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के निलंबन को रद्द करता है और निम्नलिखित निर्देशों के साथ तत्काल प्रभाव से कुश्ती के लिए राष्ट्रीय खेल महासंघ (एनएसएफ) के रूप में इसकी मान्यता बहाल करता है.’
मंत्रालय ने इस संबंध में महासंघ संचालन के लिए कुछ दिशानिर्देश भी सुझाए हैं, जिसमें कहा गया है कि डब्ल्यूएफआई को निलंबन अवधि के दौरान किए गए संशोधनों को वापस लेना होगा और नामित पदाधिकारियों के बीच शक्ति का संतुलन रखना होगा. इसके साथ ही निर्णय लेने की प्रक्रिया में नियंत्रण और संतुलन प्रदान करना होगा. यह प्रक्रिया 4 सप्ताह में पूरी होनी चाहिए.
इसके अलावा कोई भी ऐसा व्यक्ति जो कि फेडरेशन का हिस्सा नहीं है, उसे संघ या इसकी संबद्ध इकाइयों से अलग रहना होगा.
पत्र में लिखा, ‘कोई भी व्यक्ति जो पदाधिकारी के रूप में निर्वाचित नहीं है, साथ ही डब्ल्यूएफआई के निलंबित/समाप्त वेतनभोगी अधिकारियों को महासंघ और इसकी संबद्ध इकाइयों से पूरी तरह से अलग रहना चाहिए. डब्ल्यूएफआई की कार्यकारी समिति को 4 सप्ताह के भीतर इस संबंध में एक वचन देना होगा. वचन का कोई भी उल्लंघन उचित कानूनी कार्रवाई को आमंत्रित करेगा, जिसमें खेल संहिता के तहत कार्रवाई भी शामिल है.’
डब्ल्यूएफआई को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए चयन खेल संहिता के मौजूदा प्रावधानों और इस संबंध में जारी अन्य नवीनतम निर्देशों के साथ-साथ यूडब्ल्यूडब्ल्यू द्वारा समय-समय पर जारी नियमों के अनुसार स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से किया जाए.
पत्र में आगे कहा गया है कि डब्ल्यूएफआई को खेल संहिता, सुशासन के सिद्धांतों और एथलीट कल्याण नियमों का पालन सुनिश्चित चाहिए.
गौरतलब है कि केंद्रीय खेल मंत्रालय ने 24 दिसंबर 2023 को नवगठित भारतीय कुश्ती महासंघ को काफी आक्रोश के बाद दबाव में यह कहते हुए निलंबित कर दिया था कि ‘नया निकाय पूर्व पदाधिकारियों के पूर्ण नियंत्रण में है.’
एक बयान में खेल मंत्रालय ने कुश्ती महासंघ में मानदंडों के प्रति सम्मान की कमी और इस तथ्य की आलोचना की थी कि यह पूर्व अधिकारियों के अधीन काम करता है, जिन पर खिलाड़ियों के यौन उत्पीड़न का आरोप है.
यह निर्णय भारतीय कुश्ती महासंघ नवनिर्वाचित और विवादास्पद अध्यक्ष संजय सिंह की इस घोषणा के बाद आया था कि अंडर-15 और अंडर-20 राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं उत्तर प्रदेश के गोंडा के नंदिनी नगर में होंगी. उनकी घोषणा को खेल मंत्रालय ने ‘जल्दबाजी’ कहा था.
ज्ञात हो कि गोंडा को बृजभूषण का क्षेत्र माना जाता है.
संजय सिंह 21 दिसंबर 2023 को ही कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष चुने गए थे. वह इसके पूर्व प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के करीबी हैं, जिन्हें बाहर करने की मांग भारत के शीर्ष पहलवानों ने की थी.
बृजभूषण पर कम से कम सात पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने का आरोप है. दिल्ली के जंतर-मंतर पर हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान पहलवानों ने यह भी कहा था कि बृजभूषण और उनकी मंडली का भारत में खेल के संचालन पर पूर्ण नियंत्रण था.