मप्र परिवहन विभाग में लागू गुजरात मॉडल फेल

राजस्व वसूली में पिछड़ा परिवहन विभाग.

मप्र में परिवहन विभाग की व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए पिछले साल गुजरात मॉडल लागू किया गया। लेकिन विडंबना यह है कि मप्र में गुजरात मॉडल लगभग फेल हो गया है। इसका परिणाम यह देखने को मिल रहा है कि मप्र का परिवहन विभाग राजस्व वसूली में पिछड़ गया है। वहीं पूरे प्रदेश में करीब 2 हजार करोड़ रुपए से अधिक टैक्स सरकार का फंसा हुआ है। यह कब से बकाया है, इसकी भी जानकारी सरकार ने उपलब्ध नहीं कराई है। मप्र परिवहन विभाग में गुजरात मॉडल लागू कर ओवरलोड गाडिय़ों पर प्रतिबन्ध लगाया हुआ है। ऐसे में प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वे ओवरलोडिंग पर सख्त कार्यवाही करें लेकिन हकीकत इसके ठीक उलट है। आए दिन सडक़ों पर ओवरलोड गाडिय़ां फर्राटा भरती हैं जिससे सडक़ को नुकसान तो पहुंचता ही है साथ ही साथ तमाम दुर्घटनाएं भी होती हैं। लेकिन अब मोटर व्हीकल एक्ट की खुलेआम धज्जियां मालवाहक वाहन बिना किसी भय के ओवरलोडिंग भरकर हाईवे पर हादसों के माध्यम से मौत बांट रहे हैं। इससे परिवहन विभाग को राजस्व हानि भी हो रही है।
मालवाहक वाहनों से 610 करोड़ की वसूली अटकी
मप्र की राजधानी भोपाल, इंदौर और ग्वालियर संभाग में आरटीओ सहित अन्य अधिकारियों की लापरवाही के चलते यात्री बसों सहित मालवाहक वाहनों से 610 करोड़ रुपए की वसूली सरकार नहीं कर सकी है। यह तो केवल तीन संभागों का ही मामला है। पूरे प्रदेश में करीब 2 हजार करोड़ रुपए से अधिक टैक्स सरकार का फंसा हुआ है। यह कब से बकाया है, इसकी भी जानकारी सरकार ने उपलब्ध नहीं कराई है। दरअसल, बजट सत्र के दौरान हाल ही में सदस्य बाला बच्चन के सवाल के लिखित जवाब में परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह ने बताया कि प्रदेश के भोपाल, इंदौर तथा ग्वालियर संभाग में यात्री वाहनों में मद संख्या 872 के तहत 204 करोड़ एक लाख 61 हजार रुपए तथा मालवाहक वाहनों पर मद संख्या 873 के तहत 408 करोड़ 60 लाख रुपए वाहन मालिकों पर बकाया है। गौरतलब है कि वाहनों से टैक्स वसूली का काम आरटीओ कार्यालय वाहनों द्वारा के नवीनीकरण, लाइसेंस की अवधि बढ़ाने, परमिट जारी करने अथवा अन्य कमियों को पूरा करते समय वसूला जाता है, लेकिन इन तीनों संभागों के आरटीओ सहित जिला परिवहन अधिकारी और सहायक आरटीओ ने यात्री वाहनों तथा मालवाहक मालिकों से मिलीभगत कर लापरवाही बरतते हुए सरकार को चूना लगाने का काम किया है। अकेले ग्वालियर में ही यात्रा वाहनों पर 46 लाख 85 हजार रुपए से अधिक बकाया है, जबकि मालवाहक वाहनों पर 3 करोड़ 7 लाख 40 हजार रुपए की वसूली नहीं की गई है। भोपाल में यात्री वाहन से 133.51 करोड़, मालवाहक वाहन से 272.41 करोड़ बकाया है। वहीं राजगढ़ में यात्री वाहन से 09.61करोड़, मालवाहक वाहन से 10.15करोड़ , सीहोर में यात्री वाहन से 07.75 करोड़, मालवाहक वाहन से 11.73 करोड़, विदिशा में यात्री वाहन से 05.61 करोड़, मालवाहक वाहन से 27.58 करोड़ ,रायसेन में यात्री वाहन से 05.89 करोड़, मालवाहक वाहन से 12.92 करोड़ , इंदौर में यात्री वाहन से 01. 10 करोड़,मालवाहक वाहन से 15.62 करोड़, धार में यात्री वाहन से 00.72 करोड़,मालवाहक वाहन से 02.90 करोड़, झाबुआ में यात्री वाहन से 15.23 करोड़, मालवाहक वाहन से 13.04 करोड़, खंडवा में यात्री वाहन से 00.74 करोड़, मालवाहक वाहन से 01. 15 करोड़, खरगोन में यात्री वाहन से 01.64 करोड़, मालवाहक वाहन से 02.92 करोड़, अलीराजपुर में यात्री वाहन से 02.72 करोड़, मालवाहक वाहन से 03.21 करोड़, बड़वानी यात्री वाहन से 00.40 करोड़, मालवाहक वाहन से 00.62 करोड़, बुरहानपुर में यात्री वाहन से 00.40 करोड़, मालवाहक वाहन से 01.96 करोड़, दतिया में यात्री वाहन से 08. 44 करोड़, मालवाहक वाहन से 07.57 करोड़, शिवपुरी में यात्री वाहन से 00.15 करोड़, मालवाहक वाहन से 00.68 करोड़, अशोकनगर में यात्री वाहन से 01. 40 करोड़, मालवाहक वाहन से 03.90 करोड़, गुना में यात्री वाहन से 08. 15 करोड़, मालवाहक वाहन से 17.11 करोड़ रुपए बकाया है।
परिवहन विभाग भी नहीं करता ठोस कार्रवाई
सडक़ों पर ओवरलोड वाहनों के खिलाफ कार्रवाई परिवहन विभाग को करनी चाहिए। क्षेत्र में ओवरलोड वाहन सडक़ों को क्षतिग्रस्त कर रहे हैं इनके खिलाफ व्यापक स्तर पर कार्रवाई नहीं होती है। खैर देखा जाए तो एक तरफ जहां ट्रांसपोर्ट यूनियन इसे अपनी जीत मानकर खुश है वहीं प्रदेश के हाईवे की दुर्दशा के साथ ही शासन को करोड़ों की भारी भरकम राजस्व हानि हो रही ह। जिसका सीधा असर फिलहाल प्रदेश सरकार पर ही पड़ रहा है। क्योंकि मोटर व्हीकल एक्ट का पालन न करने वालों पर पेनल्टी नहीं लगाई जा पा रही है। मप्र परिवहन विभाग में लगभग 50 फीसदी पद खाली पड़े हैं। इस कारण काम करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

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