लेक्स फ्रिडमैन के पॉडकास्ट में पीएम मोदी ने 2002 के गुजरात दंगों, आरएसएस की विचारधारा और आतंकवाद से ग्रस्त पाकिस्तान पर चर्चा की है. लोकतंत्र में आलोचना को लेकर उन्होंने कहा कि अगर आप वास्तव में अपनी सोच और कामों में लोकतांत्रिक हैं, तो आपको आलोचना को अपनाना चाहिए.
नई दिल्ली: अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक और पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तीन घंटे लंबा पॉडकास्ट रविवार (16 मार्च) शाम जारी किया गया. इस बातचीत में प्रधानमंत्री ने देश-विदेश के विभिन्न विषयों पर अपने विचार साझा किए.
पीएम मोदी ने 2002 के गुजरात दंगे, लोकतंत्र में आलोचना का महत्व और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) जैसे विषयों पर भी अपनी राय रखी, जिसे आधार बनाकर अक्सर उनकी आलोचना की जाती है.
2002 गुजरात दंगों पर क्या कहा?
प्रधानमंत्री मोदी ने 2002 के गुजरात दंगों पर सफाई देते हुए बताया कि गुजरात में इस तरह की सांप्रदायिक हिंसा पहले भी कई बार हो चुकी थी और यह कोई नई घटना नहीं थी. उन्होंने कहा कि 2002 के दंगों से पहले देश और दुनिया में कई आतंकवादी घटनाएं हुई थीं, जिनकी वजह से हालात बेहद संवेदनशील बने हुए थे. इनमें 1999 का कंधार विमान अपहरण, अमेरिका में 9/11 हमला और दिसंबर 2001 में भारतीय संसद पर हमला शामिल था. इन घटनाओं ने देशभर में तनाव बढ़ा दिया था, खासकर गुजरात में, जहां 27 फरवरी 2002 को गोधरा ट्रेन जलाने की घटना हुई.
‘यह एक बेहद दुखद और भयानक घटना थी. लोगों को जिंदा जला दिया गया था. पहले से ही माहौल तनावपूर्ण था और ऐसे में स्थिति और खराब हो गई.’ मोदी ने कहा.
उन्होंने यह भी दावा किया कि 2002 के दंगे गुजरात के इतिहास में सबसे बड़े नहीं थे, बल्कि इससे पहले भी राज्य में 250 से ज्यादा दंगे हो चुके थे. उन्होंने 1969 के दंगों का जिक्र किया, जो लगभग छह महीने तक चले थे.
‘यह कहना कि 2002 के दंगे गुजरात के सबसे बड़े दंगे थे, गलत है. पहले भी मामूली कारणों जैसे पतंगबाजी या साइकिल टकराने पर दंगे हो जाते थे. गुजरात ने पहले भी लंबे समय तक सांप्रदायिक हिंसा देखी है.’ उन्होंने कहा.
मोदी ने यह भी कहा कि उन पर और उनकी सरकार पर लगे आरोपों की कई बार न्यायिक जांच हुई और उन्हें किसी भी तरह की साजिश में दोषी नहीं पाया गया.
‘न्यायपालिका ने इस मामले की पूरी तरह से जांच की. तब हमारे विरोधी दल केंद्र की सत्ता में थे, लेकिन वे हम पर लगाए गए आरोप साबित नहीं कर पाए. अदालतों ने दो बार जांच की और हमें पूरी तरह निर्दोष पाया.’ उन्होंने कहा. उन्होंने यह भी बताया कि पिछले 22 सालों में गुजरात में कोई बड़ा दंगा नहीं हुआ है. उन्होंने इसका श्रेय अपनी सरकार की विकास नीति को दिया.
बता दें कि गुजरात दंगों के दौरान नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे, उन पर दंगों को नियंत्रित करने में विफल रहने और हिंसा को रोकने के लिए पर्याप्त कदम न उठाने के आरोप लगे थे.
लोकतंत्र और आलोचना
जब पीएम मोदी से यह पूछा गया कि वह अपनी आलोचना कैसे देखते हैं और उससे कैसे निपटते हैं, तो उन्होंने कहा कि वे आलोचना का स्वागत करते हैं. ‘मेरा दृढ़ विश्वास है कि आलोचना लोकतंत्र की आत्मा है. अगर लोकतंत्र वास्तव में आपकी सोच और कार्यों में समाया हुआ है, तो आपको आलोचना को अपनाना चाहिए.’ उन्होंने कहा.
उन्होंने आगे कहा कि आलोचना अधिक होनी चाहिए और वह ‘तीखी और तथ्य-आधारित’ होनी चाहिए. ‘हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि आलोचकों को हमेशा अपने पास रखना चाहिए. आलोचक आपके सबसे नजदीकी साथी होने चाहिए, क्योंकि सच्ची आलोचना से आप जल्दी सुधार कर सकते हैं और लोकतांत्रिक तरीके से बेहतर निर्णय ले सकते हैं.’
पीएम मोदी ने कहा, ‘वास्तव में, मुझे लगता है कि आलोचना अधिक होनी चाहिए, और यह तीखी और तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए. लेकिन मेरी असली शिकायत यह है कि आजकल हमें सच्ची आलोचना देखने को नहीं मिलती.’
उन्होंने कहा कि ‘सच्ची आलोचना के लिए गहराई से अध्ययन, शोध और सावधानीपूर्वक विश्लेषण की जरूरत होती है. इसके लिए सत्य और असत्य के बीच के फर्क को समझना आवश्यक है. लेकिन आज लोग शॉर्टकट अपनाते हैं, बिना शोध के निष्कर्ष पर पहुंच जाते हैं… वे वास्तविक कमजोरियों को पहचानने के बजाय सीधे आरोप लगाने लगते हैं.’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘एक मजबूत लोकतंत्र के लिए सच्ची आलोचना जरूरी है. आरोपों से किसी को फायदा नहीं होता, बल्कि वे सिर्फ बेवजह के विवाद खड़े करते हैं. यही कारण है कि मैं हमेशा आलोचना का खुले दिल से स्वागत करता हूं. और जब भी मुझ पर झूठे आरोप लगाए जाते हैं, तो मैं चुपचाप अपने देश की सेवा करने पर ध्यान देता हूं.’
मोदी के इस दावे पर कांग्रेस ने निशाना साधा है. कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने मोदी पर उन संस्थानों को कमजोर करने का आरोप लगाया, जो उनकी सरकार की जवाबदेही तय करने के लिए बने थे. उन्होंने यह भी कहा कि मोदी ने अपने आलोचकों के खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई की है.
रमेश ने एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा, ‘जो व्यक्ति मीडिया का सामना करने से डरता है, उसने खुद को एक विदेशी पॉडकास्टर के साथ सहज पाया, जो दक्षिणपंथी विचारधारा के नेटवर्क से जुड़ा हुआ है.’
संघ पर क्या बोले मोदी?
जब मोदी से पूछा गया कि वह आरएसएस से कैसे जुड़े, तो उन्होंने कहा, ‘बचपन से ही मुझे हमेशा कुछ न कुछ करते रहने की आदत थी. मुझे एक व्यक्ति याद है, जिनका नाम माकोशी था. मुझे उनका पूरा नाम ठीक से याद नहीं, शायद वे सेवा समूह से थे—माकोशी सोनी या कुछ ऐसा. वे एक छोटा ढोलक जैसा वाद्य यंत्र, जिसे टैम्बरीन कहते हैं, लेकर चलते थे और अपनी भारी आवाज़ में देशभक्ति के गीत गाते थे. जब भी वे हमारे गांव आते, वे अलग-अलग जगहों पर कार्यक्रम करते. मैं उनके गीत सुनने के लिए उनके पीछे भागता. मैं पूरी रात उनके देशभक्ति के गीत सुनता. मुझे यह अच्छा लगता था. मैं खुद नहीं जानता कि क्यों, लेकिन मुझे बस यह पसंद था. हमारे गांव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की एक शाखा थी, जहां हम अलग-अलग खेल खेलते थे और देशभक्ति के गीत गाते थे. उन गीतों ने मुझे गहराई से छू लिया. वे गीत मेरे अंदर एक हलचल पैदा करते थे, और इसी तरह मैं धीरे-धीरे आरएसएस का हिस्सा बन गया.’
मोदी ने कहा कि ‘आरएसएस जैसा संगठन अनोखा शायद दुनिया में कोई और नहीं है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘इससे लाखों लोग जुड़े हुए हैं, लेकिन आरएसएस को समझना इतना आसान नहीं है. इसे सही मायने में समझने के लिए प्रयास करना पड़ता है. सबसे बढ़कर, आरएसएस आपको जीवन में एक स्पष्ट दिशा देता है, जिसे सही मायनों में एक उद्देश्य कहा जा सकता है. दूसरा, राष्ट्र ही सब कुछ है, और जनता की सेवा करना भगवान की सेवा करने के समान है… मेरी जानकारी में, वे बिना किसी सरकारी सहायता के लगभग 1,25,000 सेवा परियोजनाएं चलाते हैं, जो पूरी तरह से सामुदायिक सहयोग पर आधारित होती हैं. 1,25,000 सामाजिक सेवा परियोजनाएं चलाना कोई छोटी बात नहीं है.’
जब मोदी से पूछा गया कि आरएसएस का उन पर क्या प्रभाव पड़ा, तो उन्होंने कहा, ‘आरएसएस के माध्यम से मुझे एक उद्देश्यपूर्ण जीवन मिला. फिर मुझे कुछ समय संन्यासियों के बीच बिताने का अवसर मिला, जिससे मुझे आध्यात्मिक आधार मिला. मुझे अनुशासन और एक उद्देश्यपूर्ण जीवन मिला. संतों के मार्गदर्शन से मुझे आध्यात्मिक दिशा मिली. स्वामी आत्मस्थानंद और उनके जैसे अन्य संतों ने मेरे सफर में मेरा मार्गदर्शन किया और हर कदम पर मेरा साथ दिया. रामकृष्ण मिशन की शिक्षाओं, स्वामी विवेकानंद के विचारों और आरएसएस की सेवा-प्रधान विचारधारा ने मुझे आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.’
ट्रंप के दूसरे कार्यकाल पर
पॉडकास्ट में प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की यह कहते हुए सराहना की कि ट्रंप इस बार पहले से अधिक तैयार हैं और उनके पास स्पष्ट रोडमैप है. उन्होंने ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति की तुलना अपनी ‘इंडिया फर्स्ट’ नीति से की, जो दोनों नेताओं के बीच मजबूत संबंधों को दर्शाती है.
पाकिस्तान पर
इस बातचीत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान की लंबे समय से आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली भूमिका पर निशाना साधा. उन्होंने जोर देकर कहा कि अब दुनिया को इस बात में कोई संदेह नहीं है कि आतंकवाद की जड़ें कहां हैं. पीएम मोदी ने गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पाकिस्तान बार-बार आतंकवाद का केंद्र बनता रहा है, जिससे न सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व को भारी नुकसान हुआ है.
पीएम मोदी ने निराशा व्यक्त करते हुए बताया कि भारत ने शांति स्थापित करने के लिए कई ईमानदार प्रयास किए. फिर चाहे वह उनकी लाहौर यात्रा हो या अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान को आमंत्रित करना—हर बार भारत की सुलह की कोशिशों का जवाब पाकिस्तान की तरफ से दुश्मनी और हिंसा से मिला. पीएम मोदी ने कहा कि पाकिस्तान की जनता एक ऐसा भविष्य पाने की हकदार है जो हिंसा और डर से मुक्त हो. उन्होंने आशा जताई कि पाकिस्तान अपनी गलतियों से सीखे और सही रास्ते को चुने.