भोपाल/मंगल भारत। प्रदेश में करीब नौ साल बाद सरकारी
कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए प्रमोशन का रास्ता खुलता दिखाई दे रहा है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो इसी साल अगले वित्त वर्ष से पदोन्नति मिलना तय है। इसके लिए तीन तरह के प्रावधान किए जा रहे हैं। इसमें जिन्हें प्रमोशन मिल चुका, उनका डिमोशन नहीं किया जाएगा। वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति दी जाएगी साथ ही यह प्रमोशन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अधीन होंगे। दरअसल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 14 मार्च को विधानसभा में इसको लेकर बयान दिया था। इसके साथ ही सीएम ने संकेत दिए हैं कि जल्द ही कर्मचारियों के प्रमोशन का रास्ता साफ होने वाला है। दरअसल, मध्यप्रदेश में पिछले 9 साल से कर्मचारी-अधिकारियों के प्रमोशन नहीं हुए हैं। इस दौरान 1 लाख से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी बिना प्रमोशन के ही रिटायर हो चुके हैं। गौरतलब है कि वर्ष 2002 में तत्कालीन सरकार ने प्रमोशन के नियम बनाते हुए प्रमोशन में आरक्षण का प्रावधान किया था। इसकी वजह से आरक्षित वर्ग के कर्मचारी प्रमोशन पाते गए, लेकिन अनारक्षित वर्ग के कर्मचारी पीछे होते चले गए। जब इस मामले में विवाद बढ़ा तो कर्मचारी कोर्ट पहुंचे। उन्होंने कोर्ट से प्रमोशन में आरक्षण खत्म करने का आग्रह किया। कोर्ट को तर्क दिया कि प्रमोशन का फायदा सिर्फ एक बार मिलना चाहिए। इन तर्कों के आधार पर मप्र हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002 खारिज कर दिया। सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। शीर्ष कोर्ट ने यथास्थिति रखने का आदेश दिया। तभी से प्रमोशन पर रोक लगी है। इसके बाद वर्ष 2016 को प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अनुसूचित जाति, जनजाति कर्मचारी-अधिकारी के सम्मेलन में पहुंच कर कहा था कि मेरे होते हुए कोई भी माई का लाल आरक्षण खत्म नहीं कर सकता। आरक्षण जारी रहेगा, प्रमोशन में भी मध्यप्रदेश सरकार आरक्षण देगी। संविदा भर्तियों में भी आरक्षण दिया जाएगा। डॉ. भीमराव अंबेडकर के आरक्षण की बदौलत ही मैं मुख्यमंत्री और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन सके हैं। शिवराज के इस बयान के बाद जातिगत की बजाय आर्थिक आरक्षण की वकालत कर रहा सवर्ण वर्ग नाराज हो गया।
वित्त विभाग ने विधि विभाग से मांगा अभिमत
मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रमोशन देने के लिए वित्त विभाग ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए विधि विभाग से अभिमत मांगा गया है। दरअसल, हाल ही में विधि विभाग ने सवा सौ से अधिक कर्मचारियों को विभागीय भर्ती नियम के अनुसार प्रमोशन दिया है।