निगम-मंडलों में नियुक्ति का फॉर्मूला तय!

इस महीने के अंत में शुरू हो जाएंगी नियुक्तियां.

मंगल भारत। मनीष द्विवेदी। मप्र भाजपा संगठन चुनाव के तहत मंडल और जिलाध्यक्षों के चुनाव संपन्न होने के बाद अब सबकी नजर प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव पर है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि निगम-मंडल में राजनीतिक नियुक्ति के लिए जो फॉर्मूला तय किया गया है उसके अनुसार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के बाद ही नियुक्तियां की जाएंगी। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि इस महीने के अंत में निगम-मंडला में राजनीतिक नियुक्तियां शुरू हो गई हैं। गौरतलब है कि मप्र में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति का फैसला पिछले दो महीने आगे खिसकता जा रहा है। अब जल्द ही अध्यक्ष तय होने की संभावना है। प्रदेश में मोहन सरकार 16 महीने का कार्यकाल पूरा करने जा रही है। अभी तक निगम, मंडलों में नियुक्तियां नहीं हुई हैं। जिसकी वजह संगठन चुनाव की प्रक्रिया पूरी नहीं होना है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति का फैसला तीन महीने से केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष विचाराधीन है। जिस पर जल्द ही निर्णय होने की संभावना है। शुरुआत में सरकार मप्र पाठ्यपुस्तक निगम, ऊर्जा निगम, खनिज निगम, नागरिक आपूर्ति निगम, वित्त आयोग, बीज निगम, औद्योगिक संस्थाओं के अलावा भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर समेत अन्य विकास प्राधिकरणों में अध्यक्ष। इसके अलावा कुछ मंडल, आयोगों में भी नियुक्तियां मिल सकती हैं।
दावेदार फिर से हुए सक्रिय
प्रदेश में एक बार फिर से संगठन में पदाधिकारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया के बीच निगम, मंडलों, बोर्ड, प्राधिकारियों में भी नियुक्तियों को लेकर दावेदारी शुरू हो गई है। ऐसे नेता जो पिछले विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव में टिकट पाने से चूक गए थे, उनकी भोपाल में अचानक सक्रियता बढ़ गई है। इन नेताओं ने भाजपा संगठन पदाधिकारियों से लेकर, मुख्यमंत्री और दिल्ली में भी पार्टी नेताओं से मुलाकात की है। जिसे निगम, मंडलों में नियुक्तियों से जोडक़र देखा जा रहा है। ऐसे में तय माना जा रहा है कि भाजपा अध्यक्ष का फैसला होने के बाद प्रदेश सरकार करीब डेढ़ दर्जन पदों पर नियुक्तियां दे सकती है। जिन्हें निगम, मंडल, प्राधिकरणों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष की नियुक्ति देकर कैबिनेट या राज्यमंत्री का दर्जा दिया जाएगा। हालांकि इतना तय है कि नए भाजपा प्रदेशाध्यक्ष द्वारा अपनी प्रदेश कार्यकारिणी के गठन के बाद ही नियुक्तियों का रास्ता खुलेगा, क्योंकि जिन नेताओं को संगठन में जगह दी जाएगी उन्हें सरकार में नियुक्तियां नहीं मिलेंगी। पिछले विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव में भाजपा के कई नेताओं ने टिकट की दावेदारी की थीं। इनमें से कुछ नेताओं को निगम मंडलों में नियुक्तियां दी जा सकती हैं। लोकसभा चुनाव से पहले दूसरे दलों से भाजपा में आने वाले कुछ नेताओं को भी सरकार में नियुक्तियां मिल सकती हैं। इसके अलावा भाजपा संगठन के मौजूदा पदाधिकारी जिन्हें संगठन में कोई नई जिम्मेदारी नहीं मिलेगी, उन्हें भी सरकार में नियुक्ति मिलने की संभावना है।
ऐसा भी हुआ, इंतजार करते रह गए नेता
एक साल में नेता निगम-मंडलों में राजनीतिक नियुक्ति का इंतजार करते रहे और जनवरी में वन विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) अशोक वर्णवाल को वन निगम का अध्यक्ष बना दिया। इस निगम में नियुक्ति के लिए भाजपा के 3 कद्दावर नेता इंतजार कर रहे थे। एक पूर्व वन मंत्री का भी नाम था, हालांकि अभी पूर्व मंत्री के अध्यक्ष बनाने की संभावना खत्म नहीं हुई है। राजनीतिक नियुक्तियों को रद्द करने के बाद स्वत: निगम मंडल के पावर विभागीय आईएएस के पास चले गए।
एक साल से अधूरा कुर्सी का प्रेम
मप्र के निगम-मंडलों में जनप्रतिनिधि 1 साल से राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार कर रहे हैं। यह इंतजार बढ़ता ही जा रहा है। भाजपा के कई नेताओं का कहना है, उन्होंने विधानसभा और लोकसभा चुनाव जिताने में कसर नहीं छोड़ी पर इंतजार खत्म ही नहीं हो रहा। अब तो घर-बाहर से ताने मिलने लगे हैं। बता दें कि मोहन सरकार ने फरवरी 2024 में शिवराज सरकार में की राजनीतिक नियुक्तियां रद्द कर दी थी। पहले चर्चा थी कि लोकसभा चुनाव 2024 के बाद नियुक्तियां होंगी, पर नहीं हुई। सत्ता-संगठन भी इस पर अभी कुछ कहने से बच रहा है। हालांकि उम्मीद है कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पर फैसले के बाद सरकार आगे बढ़ सकती है।

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