कर्मों की निर्जरा करने का सबसे श्रेष्ठ उपाय है तपस्या–साध्वी श्री सुपार्श्व निधिजी म,सा.
महाप्रभावशालीअचिंत्य महिमावत महामंगलकारी चैत्रीय नव पद ओली आराधना का नवंम दिवस
महिदपुर रोड स्थानीय श्री सुविधि नाथ जैन मंदिर परिसर स्थित राजेंद्र सूरी ज्ञान मंदिर में विराजित परम पूज्य साध्वी श्री सुपार्श्व निधि जी महाराज साहब ने शनिवार को धर्म सभा मे प्रवचन के माध्यम से ज्ञान की गंगा को प्रभावित करते हुए कहा कि भगवान ने कर्म निर्जरा के अनेक उपाय बताएं उसमें से तप यह उत्तम उपाय है जिस प्रकार जमीन पानी वायु की अनुकूलता होने पर वनस्पति व लहलहा उठती है वैसे ही गुरु भगवंतो के सानिध्य में प्रतिकूल वातावरण भी अनुकूल बन जाता है गुरु भगवंतो के सानिध्य में हमें तपस्या करने की प्रेरणा मिलती है कहां भी है भव कौड़ी संचियं कम्मं,तवसा निज्जरिज्ज्इ॔,अर्थात तपस्या के माध्यम से करोड़ भव के कर्म भी हम निर्जरा कर सकते हैं। भौतिक कामना से रहित तप आत्म कल्याण की सुनहरी अभा बिखेर सकता है एवं आपकी ज्ञान ध्यान में अभिवृद्धि कर सकता है पुण्य साध्वी जी ने कहा कि तप जीवन का अमृत है तप जीवन की जलती जोत है ,तप से होती कम निर्जरा तप मोक्ष का श्रोत है। धर्मसभा में सकल जैन श्री संघ, समाज के वरिष्ठ महानुभाव, श्रावक श्राविकाओ ने उपस्थित होकर धर्म लाभ प्राप्त किया 30 आराधक श्रावक श्राविका इस मंगलकारी नव पद ओली आराधना में जुड़कर पुण्य लाभ अर्जित कर रहे हैं 9 दिन तक चलने वाली यह महामंगलकारी आराधना का 13 तारीख को तपस्वियों के पारणे के साथ समापन होगा। सभी 30 तपस्वियों के बहुमान का मंगलकारी लाभ लाभार्थी काठेडं परिवार महिदपुर रोड द्वारा लिया गया नवपद ओली आराधना के नवंम दिवस एवं प्रभावना का लाभ श्रीमान अशोक कुमार बापु लाल कोचर मावावाला परिवार ने लिया। साधार्मिक भक्ति एवं प्रवचन प्रभाव ना का लाभ सुरेश चंद संदीप कुमार प्रणय कुमार चत्तर परिवार द्वारा लिया गया उक्त जानकारी जैन समाज की मीडिया प्रभारी सचीन भंडारी ने दी