ईडी ने वरिष्ठ वकील अरविंद दातार को एक फर्म को क़ानूनी सलाह देने को लेकर समन जारी किया था. सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन ने इसकी निंदा करते हुए कहा कि ईडी द्वारा की गई कार्रवाई न केवल अनुचित है, बल्कि क़ानूनी पेशे की स्वतंत्रता को ख़तरे में डालती है.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (एससीएओआरए) ने सोमवार (16 जुलाई) को वरिष्ठ वकील अरविंद दातार को कानूनी सलाह, जो उन्होंने अपने पेशेवर कर्तव्यों के दौरान एक फर्म को दी थी, के संबंध में समन जारी करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की निंदा की, .
इस कदम की निंदा करते हुए एससीएओआरए ने कहा कि ईडी द्वारा की गई कार्रवाई न केवल अनुचित है, बल्कि जांच में अतिशयोक्ति की एक परेशान करने वाली प्रवृत्ति को दर्शाती है जो कानूनी पेशे की स्वतंत्रता को खतरे में डालती है और कानून के शासन की नींव को कमजोर करती है.
एससीएओआरए ने एक बयान में कहा, ‘दातार एक सम्मानित वरिष्ठ वकील हैं, जिनकी ईमानदारी पर कोई सवाल नहीं उठता, जिन्होंने पेशेवर आचरण और कानूनी नैतिकता के उच्चतम मानकों को लगातार कायम रखा है. बार के एक वरिष्ठ सदस्य को उनकी पेशेवर जिम्मेदारी का निर्वहन करने के लिए समन जारी करना अधिकार का दुरुपयोग है और वकील की भूमिका की शुचिता का अपमान है.’
बयान में कहा गया है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और बार की स्वतंत्रता संवैधानिक लोकतंत्र के दो स्तंभ हैं और निडर और स्वतंत्र वकीलों के बिना न्यायालयों का प्रभावी तरह से चला पाना असंभव है.
बयान में कहा गया है, ‘जब जांच एजेंसियां केवल कानूनी राय देने के लिए अधिवक्ताओं के खिलाफ बलपूर्वक उपाय करती हैं, तो वे केवल व्यक्तियों को ही निशाना नहीं बनाती हैं – वे न्याय सुनिश्चित करने वाले संस्थागत ढांचे पर हमला करती हैं. अधिवक्ताओं की पेशेवर स्वतंत्रता को कमजोर करना अंततः न्यायपालिका की स्वतंत्रता को ही खतरे में डालता है, क्योंकि दोनों एक साथ खड़े होते हैं या गिरते हैं.’
‘यह कदम बड़े पैमाने पर कानूनी समुदाय को एक भयावह संदेश देता है’
इसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि वकील केवल कानूनी राय देने के कारण अपने मुवक्किलों के कथित कृत्यों के लिए उत्तरदायी नहीं हैं और दातार के खिलाफ कार्रवाई कानूनी सलाह को आपराधिक मिलीभगत के साथ मिला देती है, जो कि संवैधानिक रूप से अस्थिर और कानूनी रूप से अनुचित है.
इससे पहले इकोनॉमिक टाइम्स ने रिपोर्ट की थी कि ईडी ने रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की पूर्व चेयरपर्सन रश्मि सलूजा को जारी किए गए विवादास्पद ईसॉप्स (कर्मचारी स्टॉक स्वामित्व) पर केयर हेल्थ इंश्योरेंस को उनकी कानूनी सलाह को लेकर दातार को समन जारी किया है.
शीर्ष बार निकाय द्वारा जारी बयान में कहा गया है, ‘यह कदम बड़े पैमाने पर कानूनी समुदाय को एक भयावह संदेश भेजता है और प्रत्येक नागरिक के बिना किसी डर या धमकी के स्वतंत्र कानूनी सलाह प्राप्त करने के मूलभूत अधिकार को खतरे में डालता है. अगर वकीलों को कानूनी सलाह देने के लिए बलपूर्वक उपाय करने पड़ेंगे, तो यह कानूनी प्रणाली के कामकाज को पंगु बना देगा और न्याय वितरण तंत्र में जनता का विश्वास खत्म कर देगा.’
बयान में कहा गया कि हालांकि दातार के खिलाफ जारी समन को बाद में ईडी ने वापस ले लिया, लेकिन एससीएओआरए ने इस कृत्य के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराया है.
एससीएओआरए ने इस घटना को ‘एजेंसियों द्वारा कार्यकारी शक्ति का मनमाना प्रयोग’ करार दिया, जिसे बार और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर अतिक्रमण माना जाता है.