शिक्षा की सादगी में छिपा विकास: गौरदहा विद्यालय बना ग्रामीण शिक्षा का आदर्श मॉडल

शिक्षा की सादगी में छिपा विकास: गौरदहा विद्यालय बना ग्रामीण शिक्षा का आदर्श मॉडल

जिला सीधी, मध्यप्रदेश | शासकीय प्राथमिक विद्यालय गौरदहा | UDISE कोड – 23170512901
मंगलभारत संवाददाता

गौरदहा, सीधी।
ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था को लेकर जब तमाम सवाल खड़े किए जाते हैं, ऐसे में कुछ विद्यालय उदाहरण बनकर उभरते हैं। सीधी जिले के गौरदहा ग्राम स्थित शासकीय प्राथमिक विद्यालय ने अपनी कार्यशैली, अनुशासन और गुणवत्ता से इस सोच को बदला है कि “सरकारी स्कूल सिर्फ नाम के लिए होते हैं”।विद्यालय की सादगी और सीमित संसाधनों के बावजूद, यहां बच्चों की उपस्थिति, शिक्षा के प्रति जागरूकता और शिक्षक-अभिभावक समन्वय देखते ही बनता है।

शिक्षक रामाश्रय सिंह की भूमिका रही प्रेरणादायक

विद्यालय में कार्यरत शिक्षक श्री रामाश्रय सिंह किसी बड़ी प्रशंसा की तलाश में नहीं हैं, पर उनकी कार्यशैली विद्यालय की नींव को मज़बूत कर रही है। वे न तो मंच पर रहते हैं और न ही प्रचार के केंद्र में, लेकिन उनके माध्यम से कक्षा में बच्चों का उत्साह और सीखने की ललक स्पष्ट दिखाई देती है।बच्चों के साथ संवाद, व्यक्तिगत ध्यान, और बुनियादी समझ विकसित करने की उनकी शैली ने विद्यालय में एक सकारात्मक वातावरण तैयार किया है।

विद्यालय में हो रहे सकारात्मक परिवर्तन

बच्चों की नियमित उपस्थिति 90% से ऊपर पहुंच चुकी है।

कक्षाओं में समय पर अध्यापन और अनुशासन बना हुआ है।

परिसर को स्वच्छ रखने की आदत बच्चों में डाली जा रही है।
अभिभावकों की भागीदारी बढ़ रही है, जिससे स्कूल और समुदाय का जुड़ाव मज़बूत हुआ है।

समुदाय में शिक्षा के प्रति बढ़ा विश्वास

गौरदहा जैसे छोटे से गांव में जब शिक्षा की लौ जलती है, तो उसका प्रकाश दूर-दूर तक फैलता है। आसपास के गाँवों से भी अब लोग इस विद्यालय की प्रशंसा करते हैं। यह विद्यालय केवल पठन-पाठन नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण और सामाजिक परिवर्तन का माध्यम बन रहा है।

मंगल भारत निष्कर्ष:

शिक्षा के क्षेत्र में असली बदलाव ज़मीन पर कार्यरत ऐसे ही विद्यालय और शिक्षक लाते हैं, जो चुपचाप अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं। गौरदहा विद्यालय और श्री रामाश्रय सिंह ने यह सिद्ध कर दिया है कि सरकारी स्कूल भी गुणवत्ता और आदर्श का प्रतीक बन सकते हैं – बस ज़रूरत है नीयत, निष्ठा और निरंतरता की।