दीर्घकालिक विकास रणनीति ‘विकसित मप्र 2047’ पर फोकस.

मप्र सरकार दीर्घकालिक विकास रणनीति ‘विकसित मप्र 2047’ पर फोकस किए हुए है। अपनी इसी नीति के तहत मप्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के पुनरीक्षित बजट अनुमान और वर्ष 2026-27 के बजट निर्माण की प्रक्रिया आरंभ कर दी है। इसके लिए वित्त विभाग द्वारा दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। इस बार भी राज्य सरकार द्वारा शून्य आधार बजटिंग की प्रक्रिया को जारी रखते हुए वित्तीय अनुशासन और परिणाम आधारित बजट निर्माण को प्राथमिकता दी जा रही है। इसके साथ ही सरकार ने पहली बार वर्ष 2027-28 एवं वर्ष 2028-29 के लिए त्रिवर्षीय रोलिंग बजट तैयार करने का निर्णय लिया गया है, जो प्रदेश की दीर्घकालिक विकास रणनीति ‘विकसित मध्यप्रदेश 2047’ पर केन्द्रित है।
वित्त विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार अब प्रत्येक योजना के लिए यह स्पष्ट करना आवश्यक होगा कि उस पर खर्च क्यों किया जा रहा है, उसका लाभ किसे होगा और उसका सामाजिक व आर्थिक असर क्या होगा। इस प्रक्रिया में गैर-प्रभावी योजनाओं को समाप्त करने और समान प्रकृति की योजनाओं को एकीकृत करने पर भी विचार किया जाएगा। इसके तहत मप्र सरकार का वित्त विभाग अब तीन साल का रोलिंग बजट तैयार करेगा। यह बजट 2025-26 से लेकर 2028-29 तक हर साल के लिए अलग-अलग होगा। दूसरी ओर वित्त विभाग ने वर्ष 2026-27 के लिए बजट तैयार करने की प्रकिया अभी से शुरू कर दी है। बजट पर चर्चा का दौर इसी माह 28 जुलाई से शुरू हो जाएगा। हर साल बजट में तीन प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी। बजट निर्माण की प्रक्रिया के तहत 28-31 जुलाई तक विभागीय प्रशिक्षण और प्रारंभिक चर्चा होगी। वहीं 10 सितम्बर को आंकड़े भरने की अंतिम तिथि, 15 से 30 सितम्बर तक प्रथम चरण चर्चा, 31 अक्टूबर को नवीन योजनाओं के प्रस्ताव की अंतिम तिथि, 1 अक्टूबर से 15 नवम्बर तक द्वितीय चरण चर्चा होगी। उसके बाद दिसम्बर-जनवरी में मंत्री स्तरीय बैठकें और 31 मार्च को समायोजन प्रस्तावों की अंतिम तिथि है।
हर खर्च की देनी होगी पूरी जानकारी
वित्त विभाग ने कहा है कि अब हर योजना के लिए यह स्पष्ट करना होगा कि उस पर खर्च क्यों किया जा रहा है, उसका लाभ किसे होगा और उसका सामाजिक व आर्थिक असर क्या होगा? इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि विभागों की नई योजनाओं के प्रस्ताव 31 अक्टूबर तक लिए जाएंगे। वित्त विभाग ने पहली बार वर्ष 2027-28 एवं वर्ष 2028-29 के लिए त्रिवर्षीय रोलिंग बजट तैयार करने का निर्णय लिया है।
राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के पुनरीक्षित बजट अनुमान और वर्ष 2026-27 के बजट निर्माण की प्रक्रिया आरंभ कर दी है। वित्त विभाग द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि इस बार भी राज्य इस बार भी राज्य सरकार द्वारा जीरो बेस्ड बजटिंग की प्रक्रिया को जारी रखा जाएगा। इससे वित्तीय अनुशासन मजबूत होगा। जीरो बेस्ड बजटिंग में बजट अनुमान शून्य से शुरू किए जाते हैं। शून्य आधारित बजट में गत वर्षों के व्यय संबंधी आंकड़ों को कोई महत्व नहीं दिया जाता है। इस प्रणाली में कार्य इस आधार पर शुरू किया जाता है कि अगली अवधि के लिए बजट शून्य है। जीरो बेस्ड बजटिंग प्रक्रिया के अंतर्गत विभाग ऐसी योजनाओं को चिन्हांकित करता है, जो वर्तमान में अपनी उपयोगिता खो चुकी है और जिन्हें समाप्त किया जा सकता है। मप्र सरकार ने पहली बार वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए जीरो बेस्ड बजटिंग प्रक्रिया से बजट तैयार किया था।
केंद्रीय योजनाओं पर भी निगरानी
जिन विभागों को भारत सरकार से सीधे फंड प्राप्त होता है, उन्हें वह राशि भी बजट प्रस्ताव में दर्शानी होगी। इसके अलावा, ऑफ-बजट ऋण, प्रोत्साहन योजनाओं का वित्तीय असर, और नवीन योजनाओं की स्वीकृति की प्रक्रिया को भी स्पष्ट किया गया है। सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि बजट की तैयारी के लिए जो आईएफएमआईएस प्रणाली अपनाई गई है, उसमें तय समय के बाद प्रविष्टि की अनुमति नहीं दी जाएगी। विभागों को निर्देशित किया गया है कि वे सभी प्रस्ताव निर्धारित समयसीमा में दर्ज करें और विभागीय बैठक के पूर्व पूरी जानकारी तैयार रखें। जीरो बेस्ड बजटिंग प्रणाली से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि हर योजना के पीछे ठोस उद्देश्य हो, उसका समाज पर प्रभाव दिखे और प्रत्येक व्यय राज्य की विकास प्राथमिकताओं से मेल खाता हो। राज्य सरकार का यह प्रयास केवल राजकोषीय अनुशासन की दृष्टि से ही नहीं, बल्कि प्रभावी शासन व नागरिक सेवा सुधार के लिए भी सराहनीय कदम साबित होगा।
वेतन, भत्ते और स्थायी खर्च की भी अलग होगी गणना
विभागों को अपने स्थायी खर्चों जैसे वेतन, पेंशन, भत्तों की गणना करते समय विशेष सावधानी बरतने को कहा गया है। हर वित्तीय वर्ष के वेतन में 3 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि जोड़ी जाएगी। महंगाई भत्ते की गणना क्रमश: 74 प्रतिशत, 84 प्रतिशत और 94 प्रतिशत के हिसाब से होगी। संविदा कर्मचारियों के वेतन में 4 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि का भी प्रावधान रहेगा। वहीं वित्त विभाग ने स्पष्ट किया है कि अनुसूचित जाति उपयोजना के लिए न्यूनतम 16 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति उपयोजना के लिए न्यूनतम 23 प्रतिशत बजट सुनिश्चित किया जाना अनिवार्य रहेगा। इसके लिए सेगमेंट कोडिंग व्यवस्था लागू की जाएगी, जिससे योजनाओं में पारदर्शिता आएगी। जिन विभागों को भारत सरकार से सीधे फंड प्राप्त होता है, उन्हें वह राशि भी बजट प्रस्ताव में दर्शानी होगी। इसके अलावा, ऑफ-बजट ऋण, प्रोत्साहन योजनाओं का वित्तीय असर और नवीन योजनाओं की स्वीकृति की प्रक्रिया को भी स्पष्ट किया गया है। सरकार ने कहा है कि बजट की तैयारी के लिए जो आईएफएमआईएस प्रणाली अपनाई गई है, उसमें तय समय के बाद एंट्री की अनुमति नहीं दी जाएगी। विभागों को निर्देशित किया गया है कि वे सभी प्रस्ताव निर्धारित समय-सीमा में दर्ज करें और विभागीय बैठक के पूर्व पूरी जानकारी तैयार रखें। जीरो बजटिंग से यह तय किया जा सकेगा कि हर योजना के पीछे ठोस उद्देश्य हो, उसका समाज पर प्रभाव दिखे और हर खर्च राज्य की विकास प्राथमिकताओं से मेल खाता हो।