सत्येंद्र जैन मानहानि मामला: दिल्ली की अदालत ने भ्रामक ट्वीट को लेकर ईडी को फटकार लगाई

दिल्ली की अदालत ने आप नेता सत्येंद्र जैन की मानहानि याचिका खारिज करते हुए भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज को क्लीन चिट दी और ईडी को ‘भ्रामक’ सोशल मीडिया पोस्ट के लिए फटकार लगाई. अदालत ने कहा कि जैन के घर से कोई बरामदगी नहीं हुई थी, जबकि ईडी का पोस्ट भ्रमित करता है.

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने आम आदमी पार्टी (आप) नेता सत्येंद्र जैन द्वारा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद बांसुरी स्वराज के खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे को खारिज कर दिया है. इसके साथ ही 2022 के एक ‘भ्रामक’ सोशल मीडिया पोस्ट के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को कड़ी फटकार लगाई है.

रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार(31 जुलाई) के अपने आदेश में राउज़ एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश जितेंद्र सिंह ने फैसला सुनाया कि बांसुरी स्वराज मानहानि के लिए उत्तरदायी नहीं हैं, क्योंकि उनके बयान ईडी के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर प्रकाशित जानकारी का ‘शब्दशः दोहराव’ थे.

अदालत को उनकी ओर से दुर्भावनापूर्ण इरादे का कोई सबूत नहीं मिला.

हालांकि, न्यायाधीश ने इस मामले में जांच एजेंसी की कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा कि 7 जून, 2022 को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर ईडी की पोस्ट इस तरह से तैयार की गई थी कि ‘यह धारणा बनती है’ कि नकदी और सोने की बड़ी बरामदगी सीधे सत्येंद्र जैन के आवास से हुई थी, जो तथ्यात्मक रूप से गलत है.

अदालत ने कहा, ‘यह स्वीकार किया गया तथ्य है कि शिकायतकर्ता के घर से किसी भी प्रकार की कोई बरामदगी नहीं हुई… ट्वीट के माध्यम से व्यक्त किया गया निहितार्थ तथ्यात्मक मैट्रिक्स के बिल्कुल विपरीत है.’

गौरतलब है कि जैन ने यह शिकायत तब दर्ज कराई जब स्वराज ने 5 अक्टूबर, 2023 को एक टीवी इंटरव्यू में ईडी के इस दावे को दोहराया कि उनसे जुड़े एक छापे में लगभग 3 करोड़ रुपये नकद और 1.8 किलोग्राम सोना बरामद हुआ था.

जैन ने तर्क दिया कि यह दावा झूठा है और इससे उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है.

उन्होंने ईडी का एक दस्तावेज़ (पंचनामा) पेश किया, जिसमें उनके घर से कोई भी बरामदगी नहीं दिखाई गई थी.

स्वराज को दोषमुक्त करते हुए न्यायाधीश सिंह ने संघीय एजेंसियों की ज़िम्मेदारी पर ज़ोर दिया.

आदेश में कहा गया है, ‘ईडी जैसी जांच एजेंसी का यह दायित्व है कि वह निष्पक्षता से काम करे और निष्पक्षता व उचित प्रक्रिया के सिद्धांतों का पालन करे. सूचना का कोई भी प्रसार… सटीक, भ्रामक न हो और सनसनीखेज न हो.’

अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि तथ्यों को भ्रामक या निंदनीय तरीके से प्रस्तुत करने से ‘एजेंसी की ईमानदारी कमज़ोर हो सकती है’ और किसी व्यक्ति के प्रतिष्ठा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो सकता है. इन टिप्पणियों के साथ, अदालत ने जैन की याचिका खारिज कर दी.