झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झामुमो के सह-संस्थापक शिबू सोरेन का 81 वर्ष की उम्र में नई दिल्ली में निधन हो गया. वे पिछले एक महीने से गुर्दे की बीमारी के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती थे. उनके बेटे हेमंत सोरेन और प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि दी है.

नई दिल्ली: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के सह-संस्थापक शिबू सोरेन का सोमवार (4 अगस्त) को नई दिल्ली में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. वे 81 वर्ष के थे.
शिबू सोरेन पिछले एक महीने से अधिक समय से दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में गुर्दे से जुड़ी समस्याओं के इलाज के लिए भर्ती थे.
उनके निधन की खबर साझा करते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री और उनके बेटे हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, ‘आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं. आज मैं शून्य हो गया हूं…’
शिबू सोरेन को गुर्दे से जुड़ी समस्याओं के चलते दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में एक महीने से अधिक समय तक भर्ती रखा गया था. उन्हें जून के अंतिम सप्ताह में एयरलिफ्ट कर के राष्ट्रीय राजधानी लाया गया था.
तब से वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा विशेषज्ञों की निगरानी में थे.
शिबू सोरेन के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक जताते हुए एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, ‘श्री शिबू सोरेन जी एक जमीनी नेता थे जिन्होंने जनसेवा के क्षेत्र में निरंतर मेहनत और समर्पण से अपना स्थान बनाया. वे विशेष रूप से आदिवासी समुदायों, ग़रीबों और वंचितों को सशक्त बनाने के लिए समर्पित थे. उनके निधन से दुखी हूं. मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं. मैंने झारखंड के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन जी से बात की और अपनी संवेदनाएं प्रकट कीं. ॐ शांति.’
11 जनवरी, 1944 को झारखंड के वर्तमान रामगढ़ क्षेत्र के पास जन्मे शिबू सोरेन संताल आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखते थे. 1970 के दशक की शुरुआत में, उन्होंने आदिवासी भूमि अधिकारों के लिए आंदोलन शुरू किया और 1973 में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की सह-स्थापना की, जिसका उद्देश्य बिहार से अलग एक आदिवासी बहुल राज्य झारखंड का गठन करना था.
गत अप्रैल में, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के 13वें केंद्रीय अधिवेशन में शिबू सोरेन को पार्टी का ‘संस्थापक संरक्षक’ घोषित किया गया था, जबकि हेमंत सोरेन को केंद्रीय अध्यक्ष चुना गया था.
इसके साथ ही हेमंत सोरेन ने पार्टी की कमान औपचारिक रूप से अपने पिता से अपने हाथ में ली थी.