बलात्कार के दोषी डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को फिर मिली 40 दिन की पैरोल

हरियाणा सरकार ने मंगलवार को एक बार फिर डेरा सच्चा सौदा सिरसा के प्रमुख बलात्कार और हत्या के मामलों में दोषी गुरमीत राम रहीम को 40 दिन की पैरोल पर रिहा कर दिया. यह साल 2020 के बाद से जेल से उसकी 14वीं अस्थायी रिहाई है.

नई दिल्ली: हरियाणा सरकार ने मंगलवार को एक बार फिर डेरा सच्चा सौदा सिरसा के प्रमुख बलात्कार और हत्या के मामलों में दोषी गुरमीत राम रहीम को 40 दिन की पैरोल पर रिहा कर दिया है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, वह 14 सितंबर को जेल की बैरक में वापस लौटेंगे. इसके साथ ही, 1 जनवरी से 14 सितंबर तक पिछले चार महीनों की अवधि में वह 91 दिन जेल से बाहर होंगे.

ज़मानत की शर्तों के अनुसार, वह सिरसा स्थित अपने आश्रम में रहेंगे. उन्हें मंगलवार को रोहतक की सुनारिया जेल से रिहा किया गया और वे तुरंत सिरसा स्थित अपने डेरा के लिए रवाना हो गए.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, डेरा प्रवक्ता और अधिवक्ता जितेंद्र खुराना ने कहा, ‘पैरोल कानून के अनुसार है और राम रहीम सिंह अपनी पैरोल के दौरान सिरसा स्थित अपने डेरे में ही रहेंगे.’

यह 2020 के बाद से जेल से उनकी 14वीं अस्थायी रिहाई है.

इससे पहले अप्रैल में राज्य सरकार ने उन्हें 21 दिन की फर्लो पर रिहा किया था. गुरमीत राम रहीम को इस साल जनवरी में दिल्ली विधानसभा चुनाव से एक सप्ताह पहले भी 30 दिन की पैरोल पर रिहा किया गया था और वे सिरसा स्थित डेरा मुख्यालय में रुके थे.

गौरतलब है कि गुरमीत राम रहीम को ज्यादातर राज्य या अन्य चुनावों के दौरान पैरोल और फरलो मिलते आए हैं. बताया जाता है कि हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कई निर्वाचन क्षेत्रों में डेरा के अनुयायियों की अच्छी खासी संख्या है.

2017 में पंचकुला की एक अदालत ने गुरमीत राम रहीम को अपनी दो शिष्याओं से बलात्कार के लिए 20 साल की सजा सुनाई थी. वह 2017 से हरियाणा के रोहतक की सुनारिया जेल में बंद हैं. न्यायाधीश ने उन्हें प्रत्येक पीड़िता को 15 लाख रुपये का जुर्माना भरने का भी आदेश दिया था.

डेरा प्रमुख और तीन अन्य को एक पत्रकार की हत्या मामले में भी 2019 में दोषी ठहराया गया था. जबकि उच्च न्यायालय ने सिंह और चार अन्य को 2002 में संप्रदाय के पूर्व प्रबंधक रंजीत सिंह की हत्या के मामले में ‘दागी और संदिग्ध’ जांच का हवाला देते हुए बरी कर दिया था.

मालूम हो कि साल 2021 में पंचकूला स्थित विशेष सीबीआई जज डॉ. सुशील कुमार गर्ग की अदालत ने गुरमीत राम रहीम सिंह, कृष्ण लाल, जसबीर सिंह, इंदर सेन और सबदिल सिंह को आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत दोषी ठहराया था. इन सभी को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी.

जनवरी 2019 में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने गुरमीत राम रहीम को उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी. हालांकि, इसके बाद भी वो कई बार पैरोल पर बाहर आते रहे हैं, जिसे लेकर पत्रकार छत्रपति के बेटे नाराज़गी जाहिर करते रहे हैं.