विपक्ष के विरोध के बीच नया आयकर बिल और कराधान क़ानून लोकसभा में मनी बिल के रूप में पारित

सोमवार को ‘वोट चोरी’ के आरोपों के बीच विपक्षी सांसदों के भारतीय निर्वाचन आयोग की ओर मार्च करते समय हिरासत में लिया गया था. उनकी अनुपस्थिति के बावजूद लोकसभा ने नए आयकर विधेयक, 2025 और कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2025 को ध्वनिमत से बिना किसी चर्चा के पारित कर दिया.

नई दिल्ली: निर्वाचन आयोग पर ‘वोट चोरी’ के आरोपों के बीच विपक्षी सांसदों को सोमवार (11 अगस्त) को भारतीय निर्वाचन आयोग कार्यालय की ओर मार्च करते समय हिरासत में ले लिया गया. हालांकि, इसके बावजूद लोकसभा ने नए आयकर विधेयक, 2025 और कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2025 को ध्वनिमत से पारित कर दिया.

दिलचस्प बात यह है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्षी सदस्यों के विरोध के बीच इन विधेयकों को धन विधेयक (मनी बिल) के रूप में पेश किया, जिसका साफ मतलब है कि अब राज्यसभा को इन विधेयकों को पारित करने के लिए विचार करने की आवश्यकता नहीं है.

परिणामस्वरूप, दोनों विधेयक बिना किसी बहस के पारित हो गए, जिसके बाद लोकसभा की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई.
गौरतलब है कि 8 अगस्त को सरकार ने फरवरी में पारित आयकर विधेयक, 2025 को आधिकारिक तौर पर वापस ले लिया था और सोमवार को कुछ संशोधनों के बाद इसे आयकर (संख्या 2) विधेयक, 2025 के रूप में पुनः पेश किया.

दूसरा विधेयक आयकर अधिनियम, 1961 में संशोधन करता है और भाजपा के केंद्रपाड़ा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली प्रवर समिति की सभी सिफारिशों को इसमें शामिल करता है.

आयकर (संख्या 2) विधेयक, 2025 के उद्देश्यों और कारणों के विवरण में कहा गया है, ‘प्रवर समिति की लगभग सभी सिफारिशें सरकार द्वारा स्वीकार कर ली गई हैं. इसके अलावा हितधारकों से ऐसे बदलावों के बारे में सुझाव प्राप्त हुए हैं. जो प्रस्तावित कानूनी अर्थ को और अधिक सटीक रूप से व्यक्त करेंगे.’

मालूम हो कि आयकर विधेयक, 2025, पहली बार 13 फरवरी, 2025 को लोकसभा में पेश किया गया था, क्योंकि सरकार का कहना था कि 1961 के अधिनियम के पुराने संस्करण में ‘ड्राफ्ट की प्रकृति, वाक्यांशों को सही से रखना, अहम परिवर्तनों और रेफरेंस चेक करने में सुधार की आवश्यकता है.

सरकार ने दावा किया कि नए आयकर अधिनियम का उद्देश्य संरचना में बदलाव, टीडीएस को सरल बनाना, डिजिटल टैक्सेशन और विवादों के समाधान के प्रावधानों में सुधार करना, और डेटा-संचालित व तकनीकी उपायों के माध्यम से कर संग्रह का विस्तार करना है.

सरकार ने ये भी दावा किया कि यह कानून व्यक्तियों को देरी से आवेदन करने पर दंड के बिना रिफंड प्राप्त करने में भी सक्षम बनाएगा.

इसी तरह, नया कराधान कानून विधेयक आयकर अधिनियम, 1961 और वित्त अधिनियम, 2025 में भी संशोधन करता है, जो एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) धारकों को वार्षिक बजट के दौरान वित्त मंत्री सीतारमण द्वारा घोषित कर छूट प्रदान करेगा.

ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने यूपीएस की घोषणा तब की थी, जब करदाता सरकारी कर्मचारियों के एक बड़े वर्ग ने पुरानी पेंशन योजना को बंद करने और नई पेंशन योजना (एनपीएस) को लेकर विरोध किया था. नया कानून यूपीएस ग्राहकों को एनपीएस ग्राहक के रूप में मिलने वाले कर लाभों का लाभ उठाने की अनुमति देता है.

वहीं, कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2025, सऊदी अरब के सार्वजनिक निवेश कोषों को प्रत्यक्ष कर लाभ भी प्रदान करता है और आयकर में ब्लॉक मूल्यांकन योजनाओं के मामलों में बदलाव करता है.

उल्लेखनीय है कि विपक्ष के विरोध के बीच सोमवार को लोकसभा से तीन और राज्यसभा से चार विधयेक पारित हो गए. इसे लेकर विपक्ष ने आरोप लगाया कि हंगामे के बीच बिल पास करना लोकतंत्र के साथ धोखा है.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि सदन में व्यवस्था के बिना चर्चा और विधेयक पारित करना उचित नहीं है.