बैंक फ्रॉड मामले में अनिल अंबानी के घर, आरकॉम से जुड़े परिसरों पर सीबीआई की छापेमारी

केंद्रीय जांच एजेंसी ने अनिल अंबानी के ख़िलाफ़ एक एफआईआर दर्ज की है, जिसमें उन पर एक बैंक धोखाधड़ी में शामिल होने का आरोप लगाया गया है, जिससे भारतीय स्टेट बैंक को 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने शनिवार (23 अगस्त) सुबह रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) के निदेशक अनिल अंबानी के मुंबई स्थित आवास और आरकॉम से जुड़े कई परिसरों पर बैंक धोखाधड़ी के एक मामले में छापेमारी की.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, केंद्रीय जांच एजेंसी ने अंबानी के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की है, जिसमें उन पर एक बैंक धोखाधड़ी में शामिल होने का आरोप लगाया गया है, जिससे भारतीय स्टेट बैंक को 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

मालूम हो कि यह छापेमारी ऐसे समय में हुई है जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस महीने की शुरुआत में ही 17,000 करोड़ रुपये के कई बैंक ऋण धोखाधड़ी मामलों की मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में अनिल अंबानी से लगभग 10 घंटे तक पूछताछ की थी.

इस संबंध में एक अगस्त को उद्योगपति के खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया गया था, जिसका मतलब है कि अंबानी अब अदालत की अनुमति के बिना भारत नहीं छोड़ सकते.

उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने यह कार्रवाई भारतीय स्टेट बैंक की शिकायत के आधार पर की है, जिसने 13 जून को इन संस्थाओं को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत किए जाने के बाद एजेंसी से संपर्क किया था. यह कार्रवाई आरबीआई के धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन पर मास्टर निर्देशों और बैंक के बोर्ड द्वारा अनुमोदित धोखाधड़ी के वर्गीकरण, रिपोर्टिंग और प्रबंधन नीति के अनुसार की गई थी.

मीडिया में आई खबरों के अनुसार, रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (आरएचएफएल) पर 5,901 करोड़ रुपये से अधिक, रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (आरसीएफएल) पर 8,226 करोड़ रुपये से अधिक और आरकॉम (आरकॉम) पर लगभग 4,105 करोड़ रुपये का कर्ज है. यह कर्ज लगभग 20 सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंकों के एक समूह का है, जिसमें यस बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक और पंजाब एंड सिंध बैंक शामिल हैं.

ज्ञात हो कि वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने पिछले महीने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में कहा था, ’24 जून, 2025 को बैंक ने आरबीआई को धोखाधड़ी के वर्गीकरण की सूचना दी थी और अब सीबीआई में शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया चल रही है.’

उन्होंने बताया था कि आरकॉम में एसबीआई के ऋण जोखिम में 26 अगस्त, 2016 से प्रभावी 2,227.64 करोड़ रुपये की निधि-आधारित मूल बकाया राशि (साथ ही अर्जित ब्याज और व्यय) और 786.52 करोड़ रुपये की गैर-निधि-आधारित बैंक गारंटी शामिल है.

गौरतलब है कि आरकॉम का मामला कोई नया नहीं है. कंपनी पहले से ही दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया में है. साल 2020 में इस प्रक्रिया की योजना लेनदारों की समिति द्वारा मंजूर कर ली गई थी और इसे मुंबई स्थित राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में दायर किया गया था. हालांकि, इस पर अभी अंतिम मंजूरी मिलना बाकी है.

मालूम हो कि इस पूरे विवाद में कई बार कानूनी जटिलताएं सामने आई हैं. दरअसल, 2020 में ही एसबीआई ने अनिल अंबानी को ‘धोखाधड़ी’ के रूप में चिह्नित कर शिकायत दर्ज कराई थी. लेकिन जनवरी 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट ने ‘यथास्थिति बनाए रखने’ का आदेश दिया, जिसके चलते शिकायत वापस लेनी पड़ी.

इसके बाद मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी भी खाते को धोखाधड़ी घोषित करने से पहले उधारकर्ता को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाना जरूरी है. इसी निर्देश के कारण बैंक ने सितंबर 2023 में धोखाधड़ी वर्गीकरण को पलट दिया था. हालांकि, 15 जुलाई 2024 को आरबीआई के नए परिपत्र के अनुसार पूरी प्रक्रिया का पालन करने के बाद खाते को फिर से धोखाधड़ी घोषित किया गया.

सीबीआई का मानना है कि इस पूरे मामले में कई अहम दस्तावेज और लेन-देन संदिग्ध हैं. एजेंसी अब इन लेन-देन की जांच कर यह पता लगाएगी कि कथित धोखाधड़ी में किसकी सीधी भूमिका रही.

सूत्रों के मुताबिक, आगे चलकर अनिल अंबानी समेत आरकॉम के अन्य शीर्ष अधिकारियों से पूछताछ भी हो सकती है.