दिल्ली: पूर्व रॉ अधिकारी विकास यादव के ख़िलाफ़ कोर्ट ने जारी किया ग़ैर-ज़मानती वॉरंट

दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने पूर्व रॉ अधिकारी विकास यादव के ख़िलाफ़ ग़ैर-ज़मानती वारंट जारी किया है. वह अपहरण और रंगदारी से जुड़े एक मामले की सुनवाई में अनुपस्थित रहे, जिसके बाद कोर्ट ने यह फैसला सुनाया. इसके अलावा यादव अमेरिका में ‘मर्डर-फॉर-हायर’ साज़िश और मनी लॉन्ड्रिंग केस में भी आरोपी हैं.

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व अधिकारी विकास यादव के खिलाफ गैर-जमानती वॉरंट जारी किया है. अमेरिका ने उन पर न्यूयॉर्क स्थित खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू को निशाना बनाने के लिए कथित ‘मर्डर-फॉर-हायर’ साज़िश और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में नामज़द किया था. यादव को अब कथित अपहरण और रंगदारी से जुड़े एक केस में पेश होना था, लेकिन वे अदालत में हाज़िर नहीं हुए.

25 अगस्त को पारित आदेश में पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ प्रताप सिंह ललेर ने दर्ज किया कि यादव ‘सुबह से बार-बार बुलाने के बावजूद अनुपस्थित’ रहे.

अदालत ने निर्देश दिया, ‘आरोपी विकास यादव के खिलाफ गैर-जमानती वॉरंट जारी किए जाएं और उनके ज़मानतीदार (ज़मानत देने वाले) को धारा 491 बीएनएसएस (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता) के तहत नोटिस भेजा जाए. अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को होगी.’

अदालती रिकॉर्ड से पता चलता है कि यादव के एक परिजन ने इस केस में जमानतदार के रूप में गारंटी दी थी. यादव को पिछली सुनवाइयों में पेश होने से छूट दी गई थी, जब उनके वकील ने इसके लिए आवेदन किया था.

नवंबर 2023 में, अमेरिकी अभियोजकों ने भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता पर पन्नू की हत्या की साज़िश रचने का आरोप लगाया था. उनका कहना था कि गुप्ता यह काम भारत सरकार के एक अधिकारी के निर्देश पर कर रहा था, जिसे उस समय केवल ‘CC-1’ के रूप में पहचाना गया था.

तीन हफ्ते बाद, 18 दिसंबर 2023 को, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने यादव को अपहरण और रंगदारी से जुड़े एक अलग मामले में गिरफ्तार किया. यह गिरफ्तारी रोहिणी के एक निवासी की शिकायत पर हुई थी. चार महीने तिहाड़ जेल में रहने के बाद अप्रैल 2024 में उन्हें ज़मानत मिल गई थी. उनकी रिहाई के बाद से उनका ठिकाना अज्ञात है.

अक्टूबर 2024 में, अमेरिकी अधिकारियों ने दूसरा आरोपपत्र सार्वजनिक किया, जिसमें ‘CC-1’ को विकास यादव बताया गया. इसमें उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय के तहत कैबिनेट सचिवालय का एक अधिकारी बताया गया. बाद में विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह अब भारत सरकार के कर्मचारी नहीं हैं.

इस साल डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद के शपथग्रहण से पांच दिन पहले, गृह मंत्रालय ने एक बयान जारी किया कि एक उच्चस्तरीय सरकारी समिति ने ‘एक व्यक्ति’ के खिलाफ ‘कानूनी कार्रवाई’ की सिफारिश की है. मंत्रालय ने यह भी स्वीकार किया कि प्रक्रियाओं में कुछ खामियां थीं, जिन्हें सुधारने की ज़रूरत है. इससे यह संकेत मिला कि यादव ने स्वतंत्र रूप से काम किया था.

11 अगस्त को इंडियन एक्सप्रेस ने खबर दी कि जांचकर्ता विकास यादव के दुबई में महादेव ऑनलाइन बुक सट्टेबाजी नेटवर्क के एक संदिग्ध सदस्य से संभावित संबंधों की भी जांच कर रहे हैं.

इसी बीच, सह-आरोपी अब्दुल्ला खान ने अपने पिता के साथ विदेश जाने के लिए पासपोर्ट रखने की अवधि बढ़ाने की मांग की. दरअसल, अदालत ने पहले अब्दुल्ला खान का ज़ब्त किया गया पासपोर्ट कुछ समय के लिए उसे वापस दिया था, ताकि वह विदेश जा सके. लेकिन उस अवधि (समय सीमा) की मियाद ख़त्म होने वाली थी. इसलिए खान ने अदालत से अनुरोध किया कि पासपोर्ट वापस रखने की यह अनुमति और समय के लिए बढ़ा दी जाए, ताकि वह अपने पिता के इलाज के लिए विदेश जा सके.

अदालत ने यह मांग मंजूर कर ली है. अदालत ने कहा कि खान को पहले भी विदेश जाने की अनुमति दी गई थी और उन्होंने उस स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं किया. अदालत ने उनके पासपोर्ट की अवधि 17 अक्टूबर तक बढ़ा दी, जब इस मामले की अगली सुनवाई तय है.