पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार से सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य में भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर स्थिति को गंभीर और खेदजनक बताया है. वरिष्ठ नेता और राज्य मंत्रिमंडल में पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत ने भी भाजपा पर अवैध खनन का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर ईडी भ्रष्टाचार के आरोपों की निष्पक्ष जांच करे, तो सभी भाजपाई जेल में होंगे.

नई दिल्ली: उत्तराखंड में भाजपा नेताओं पर भ्रष्टाचार आरोप लग रहे हैं. इन आरोपों पर राज्य के वरिष्ठ भाजपा पदाधिकारियों, जिनमें एक पूर्व मुख्यमंत्री भी शामिल हैं, के बयानों ने पहाड़ी राज्य में खलबली मचा दी है. इससे सत्तारूढ़ भाजपा में गहरी बेचैनी पैदा हो गई है.
पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार से सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य के मौजूदा हालात पर चिंता जताई है. उन्होंने सरकार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की छवि को नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी कार्रवाई के प्रति आगाह किया है.
द गढ़वाल पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि यह उनका कर्तव्य है कि वे ज़िम्मेदार लोगों को बार-बार चेतावनी दें ताकि पार्टी की विश्वसनीयता कम न हो.
25 अगस्त को देहरादून में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए रावत ने राज्य में भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर स्थिति को गंभीर और खेदजनक बताया. स्थानीय मीडिया में प्रेस कॉन्फ्रेंस की खबरों के अनुसार, उन्होंने यह भी बताया कि कुछ मामलों में पुलिस आठ महीने बाद भी एफआईआर दर्ज करने में विफल रही है, और कुछ अन्य मामलों में दो महीने बाद भी प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है.
रावत ने ज़ोर देकर कहा कि जनता ने 47 विधायक और पांच सांसद चुनकर भाजपा में विश्वास जताया है, इसलिए यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि यह विश्वास न टूटे.
भाजपा ने 2022 में राज्य विधानसभा में तीन-चौथाई बहुमत हासिल किया, जिससे वह लगातार दो विधानसभा चुनाव जीतने वाली राज्य की पहली पार्टी बन गई.
भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान सांसद ने राज्य में अवैध खनन के आरोपों पर बात की. उन्होंने कहा कि सभी खनन गतिविधियां कानूनी दायरे में रहकर ही संचालित की जानी चाहिए.
उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड के लिए खनन के अपने फायदे हैं, ‘क्योंकि इसके बिना, नदियां कृषि क्षेत्रों को काफ़ी नुकसान पहुंचाएंगी और राज्य को राजस्व में भी काफ़ी नुकसान होगा.’ उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जाना चाहिए, लेकिन उचित सीमा के भीतर.
वरिष्ठ नेता और राज्य मंत्रिमंडल में पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत ने भी भाजपा पर खनन से प्राप्त अवैध धन को 30 करोड़ रुपये की ‘एफडी’ (बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट) में बदलने का आरोप लगाकर राज्य में खलबली मचा दी है, जिसमें से उन्होंने खुद भी एक करोड़ रुपये का योगदान दिया है.
नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह आरोप उन्होंने सबसे पहले 22 अगस्त को लगाया था, जिससे राज्य भाजपा में चिंता और गहरी बेचैनी फैल गई थी. कांग्रेस पार्टी के एक कार्यक्रम में जब उन्हें माला पहनाई जा रही थी, तब हरक ने गरजते हुए कहा था, ‘जब तक मैं भाजपा को हरा नहीं देता, मैं माला नहीं पहनूंगा.’
हरक सिंह रावत ने कहा कि जब वे राज्य में भाजपा सरकार में वन मंत्री थे, तब उन्होंने एक करोड़ रुपये जमा किए थे. उन्होंने कहा, ‘अगर ईडी भ्रष्टाचार के आरोपों की निष्पक्ष जांच करे, तो सभी भाजपाई जेल में होंगे.’ उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, ‘भाजपा ने मुझे उकसाया है, अब मैं उन्हें उनकी जगह दिखा दूंगा.’
जिस बैठक में उन्होंने ये आरोप लगाए थे उसका वीडियो पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
खबरों के अनुसार, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने जवाब में कहा था कि ‘हरक सिंह अपनी विश्वसनीयता खो चुके हैं. अगर उनके पास कोई सबूत है तो उन्हें अदालत जाना चाहिए, मीडिया में बयान नहीं देना चाहिए.’
भाजपा प्रवक्ता मनवीर चौहान ने कहा कि हरक सिंह अपने खिलाफ चल रही ईडी की जांच से ध्यान भटकाने के लिए यह सब कह रहे हैं.
हरक सिंह रावत 2022 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले सत्तारूढ़ भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे.
द हिंदू ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 19 जुलाई, 2025 को एक विशेष पीएमएलए अदालत में हरक सिंह रावत और उनकी पत्नी दीप्ति रावत के अलावा कुछ अन्य लोगों के खिलाफ उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में दो ज़मीनों के कथित हड़पने से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में आरोपपत्र दाखिल किया था. ईडी ने अपने बयान में कहा था कि ज़मीन का बाज़ार मूल्य 70 करोड़ रुपये से ज़्यादा है.
2027 में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों ने सत्तारूढ़ भाजपा को भाजपा नेताओं और पूर्व नेताओं की टिप्पणियों को लेकर और भी चिंतित कर दिया है.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, हाल के पंचायत चुनावों ने राज्य में भाजपा के चुनावी प्रभुत्व को झटका दिया है, जिसमें निर्दलीय उम्मीदवारों ने सबसे ज़्यादा सीटें हासिल की हैं और खासकर भाजपा को एक बड़ा झटका दिया है. जिला पंचायत सदस्यों की 358 सीटों में से निर्दलीय उम्मीदवारों को 145, भाजपा समर्थित उम्मीदवारों को 121 और कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों को 92 सीटें मिलीं. अखबार के अनुसार, भाजपा नेताओं के कई रिश्तेदार हार गए.