पड़ताल के बाद बिहार के विभिन्न राजनीतिक दलों ने भाजपा समर्थित नीतीश सरकार पर सवाल उठाए हैं. नेताओं का आरोप है कि सत्ता संरक्षण के बिना संविदा भर्ती में इतनी बड़ी धांधली संभव नहीं है.

नई दिल्ली: शनिवार (30 अगस्त) को द वायर हिंदी पर प्रकाशित बिहार में संविदा भर्ती ‘घोटाले’ की ख़बर को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों ने प्रतिक्रिया दी है.
द वायर हिंदी की पड़ताल बताती है कि पटना स्थित दो कंपनियां – उर्मिला इंटरनेशनल सर्विस प्राइवेट लिमिटेड और उर्मिला इन्फोसॉल्यूशन – ने सरकारी विभागों की भर्तियों पर लगभग एकाधिकार स्थापित कर लिया है और इस दौरान बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ. इस ख़बर का संज्ञान लेते हुए बिहार के विपक्षी नेताओं ने इस घोटाले की विस्तृत जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.
बिहार के पूर्णिया से सांसद राजेश रंजन उर्फ़ पप्पू यादव का कहना है कि संविदा भर्ती में घोटाले की बात वह हमेशा से उठाते रहते हैं. उनके हिसाब से यह बिहार में एक गंभीर समस्या बन चुकी है.
उन्होंने कहा कि ‘ऐसी कंपनियां मंत्रियों और खास कर के सरकारी अफ़सरों को घूस देकर संविदा पर ग़लत तरीक़े से बहाली करती है. इसके अलावे बहाल किए गए कर्मियों को जब मन आए तब हटा भी देती है और जितने पैसों पर बहाल करने की उनसे बात हुई रहती है उसका आधा पैसा भी वह उन्हें नहीं देते.’
पप्पू यादव की मांग है कि इस तरह की सारी कंपनियों का ऑडिट होना चाहिए.
रिपोर्ट के अनुसार, आयकर विभाग ने जून 2024 में तत्कालीन मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इस घोटाले की जानकारी दी थी कि कंपनियों ने विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों को महंगे तोहफे, सोने-चांदी के सिक्के और नकद रिश्वत देकर अपने मनमाफिक संविदा भर्ती करवाई.
इनकम टैक्स की रिपोर्ट पर ठोस कार्रवाई न किए जाने को लेकर पप्पू यादव कहते हैं, ‘इस तरह की रिपोर्टें सरकार के पास जाते रहती हैं, लेकिन इस पर कोई भी कार्रवाई नहीं होती क्योंकि कंपनियां सरकारी अधिकारियों को पैसे खिला देती है.’
पप्पू यादव का मानना है कि बिहार में संविदा के नाम पर पैसों की लूट चल रही है. उन्होंने कहा कि वह इस मामले पर ईडी, सीबीआई सभी को चिट्ठी लिखने जा रहे हैं, ताकि कार्रवाई हो सके.
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से राज्यसभा के सांसद मनोज कुमार झा ने इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा, ‘शुक्रिया इस प्रणालीगत भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए. बिहार के युवा बार-बार इसकी आशंका व्यक्त करते थे. आपने साक्ष्य के साथ सबकुछ सार्वजनिक कर दिया. ये स्याह हकीकत है तथाकथित ‘डबल इंजन सरकार’ की.’
राष्ट्रीय जनता दल की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका भारती द वायर हिंदी की रिपोर्ट को बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए कहती हैं, ‘ये इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट इस बात का प्रमाण है कि बिहार में सिस्टम और अधिकारी पूरी तरह से भ्रष्टाचारी हो चुका हैं. यही भ्रष्ट अधिकारी सत्ता को भी चला रहे है. ये कितना आश्चर्यजनक है कि पूर्व प्रधान निर्देशक 50 पन्नों का लेटर लिखकर पूर्व मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा को बिहार संविदा भर्ती घोटाले के बारे में बताते हैं लेकिन किसी तरीके की कार्रवाई नहीं होती. ये साफ है कि ये कंपनी प्रत्याशियों की भर्ती पर 15 हजार से 50 हजार रुपये लेकर करती थी. लेकिन उससे ज्यादा हैरानी की बात ये है कि इस कंपनी के तार पेपर लीक से भी जुड़े हैं.’
वह आगे कहती हैं, ‘अब सरकारी नौकरी के लिए भी पैसे लेकर भी सीट बेचा जा रहा है. हैरानी की बात है कि इतने गंभीर आरोपों के बाद भी कोई हलचल नहीं हुई, उल्टे इस कंपनी का टर्नओवर 650 करोड़ हो गया. ये तभी संभव है जब सत्ता का संरक्षण हो. ये सरकार कोई कार्रवाई नहीं करेगी क्योंकि सभी मिले जुले हैं. लेकिन जैसे ही सत्ता बदलेगी इन सभी लोगों पर जांच बैठेगी और कठोर से कठोर कार्रवाई की जायेगी.’
बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वर्किंग प्रेसिडेंट कौकब कादरी के मुताबिक ‘बिहार में इस तरह का नेक्सेस लंबे समय से काम कर रहा है.’
कादरी कहते हैं, ‘सरकार ने सारे विभागों में अपने कुछ अफसरों के माध्यम से नियंत्रण बना रखा है, किसी भी विभाग में संविदा या टेंडर का मामला हो इन्हीं के द्वारा देखा जाता है… नीतीश सरकार ने 2005 के अपने कार्यकाल के बाद बिहार के बाहर के अफसरों को बुला कर अपना सर्किल बनाया है और और उनके माध्यम से ही यह सब गतिविधियां चल रही हैं.’
बिहार के काराकाट से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी लेनिनवादी) के लोकसभा सांसद राजा राम सिंह ने कहा कि आज की अर्थव्यवस्था में संविदा पर भर्ती और उसमें प्राइवेट कंपनियों के योगदान को सामान्य बना दिया गया है.
ऐसे घोटालों को पीएम मोदी की नीतियों का परिणाम बनाते हुए माले सांसद कहते हैं, ‘सरकार द्वारा आजकल इसी तरह की एजेंसियों (जो संविदा पर भर्तियां कराती है) को प्रमोट किया जा रहा है… बाज़ार में नौकरियों की कमी है, तब घूस देकर लोग नौकरी पाना चाहेंगे. ये कंपनियां इसी चीज़ का फ़ायदा उठाती हैं.’