दिल्ली हाईकोर्ट ने योग्य महिलाओं के होने के बावजूद वायुसेना में 20 पद खाली रखने पर सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि भले ही भारतीय वायुसेना की फ्लाइंग विंग में महिलाओं के लिए दो पद आरक्षित होने का उल्लेख किया गया है, लेकिन कहीं भी यह नहीं कहा गया कि शेष 90 रिक्तियां पुरुषों के लिए आरक्षित हैं.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय वायु सेना (आईएएफ) की फ्लाइंग ब्रांच में 20 से ज़्यादा पदों को रिक्त रखने के लिए केंद्र सरकार को फटकार लगाई, जबकि इन पदों को भरने के लिए सक्षम महिला उम्मीदवार मौजूद हैं.
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने 17 मई, 2023 को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) परीक्षा आयोजित की थी, जिसमें कुल 92 रिक्तियों को भरने के लिए विज्ञापन दिया गया था, जिनमें से दो ‘फ्लाइंग’ पद महिला उम्मीदवारों के लिए आरक्षित थे.
जस्टिस सी. हरि शंकर और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने 25 अगस्त को कहा कि भले ही भारतीय वायुसेना की फ्लाइंग विंग में महिलाओं के लिए दो पद आरक्षित होने का उल्लेख किया गया है, लेकिन कहीं भी यह नहीं कहा गया कि शेष 90 रिक्तियां पुरुषों के लिए आरक्षित हैं.
अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘यूपीएससी द्वारा 17 मई 2023 को जारी अधिसूचना के जरिए अधिसूचित 90 रिक्तियों को, महिला उम्मीदवारों के लिए निर्धारित 2 रिक्तियों के अलावा, पुरुष उम्मीदवारों के लिए निर्धारित नहीं माना जा सकता. ये रिक्तियां महिला और पुरुष दोनों उम्मीदवारों के लिए खुली थीं. दूसरे शब्दों में कुल 92 रिक्तियों में से 2 रिक्तियां महिला उम्मीदवारों के लिए निर्धारित थीं. शेष रिक्तियां न तो महिला और न ही पुरुष उम्मीदवारों के लिए निर्धारित थीं, बल्कि सभी के लिए खुली थीं.’
अदालत एक महिला उम्मीदवार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने उड़ान के लिए उपयुक्त प्रमाणपत्र प्राप्त कर लिया था, लेकिन महिलाओं के लिए आरक्षित दो पद पहले ही भर जाने के कारण उन्हें भर्ती नहीं किया गया था.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट में कहा गया है कि अदालत ने ‘ध्यान दिया कि 90 अनारक्षित सीटों के लिए एकमात्र शर्त यह थी कि योग्य उम्मीदवारों के पास उड़ान भरने के लिए उपयुक्त प्रमाणपत्र होना चाहिए. इसलिए, उसने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि वह महिलाओं की मेरिट सूची में सातवें स्थान पर रहने वाली किसी महिला को 20 रिक्त पदों में से एक पर नियुक्त करे.’
अदालत ने आदेश दिया, ‘परिणामस्वरूप, प्रतिवादियों को निर्देश दिया जाता है कि वे याचिकाकर्ता को 17 मई 2023 की परीक्षा अधिसूचना से संबंधित 20 वायु सेना (i) फ्लाइंग रिक्तियों में से एक पर तत्काल नियुक्त करें. वह वरिष्ठता और अन्य संबद्ध लाभों सहित सभी सेवा लाभों के लिए, चयनित और नियुक्त किए गए 70 पुरुष और 2 महिला उम्मीदवारों के साथ समान व्यवहार करने की हकदार होंगी.’
चूंकि यह तर्क दिया गया था कि कोई योग्य पुरुष उम्मीदवार नहीं मिलने के कारण 90 अनारक्षित रिक्तियों में से 20 रिक्तियां खाली रह गईं, इसलिए याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि चूंकि उन पदों को भरने के लिए कोई योग्य पुरुष उम्मीदवार नहीं मिला, इसलिए ‘सरकार का यह दायित्व है कि वह उन्हें योग्य महिला उम्मीदवारों से भरे.’
याचिकाकर्ता की इस दलील से सहमति जताते हुए पीठ ने कहा, ‘हम सौभाग्य से अब उस दौर में नहीं हैं, जिसमें सशस्त्र बलों में प्रवेश के मामले में – या कहीं और भी – पुरुष और महिला उम्मीदवारों के बीच भेदभाव किया जा सकता है.’