एमपी: भाजपा विधायक के संपर्क करने पर हाईकोर्ट जज ने अवैध खनन की सुनवाई से ख़ुद को अलग किया

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस विशाल मिश्रा ने भाजपा विधायक संजय पाठक द्वारा फोन पर संपर्क की कोशिश की बात कहते हुए अवैध खनन के एक मामले की सुनवाई से ख़ुद को अलग कर लिया है. इस बीच, राज्य खनन विभाग ने पाठक परिवार से जुड़ी तीन कंपनियों पर तय सीमा से अधिक खनन के लिए 443 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है.

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक जज ने 1 सितंबर, 2025 को अवैध खनन से जुड़े एक मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया. उन्होंने बताया कि भाजपा विधायक संजय पाठक ने इस केस के सिलसिले में उनसे संपर्क करने की कोशिश की थी.

जस्टिस विशाल मिश्रा ने कहा कि विजयराघवगढ़ के विधायक पाठक ने उन्हें फोन पर संपर्क करने की कोशिश की.

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जज ने कहा, ‘संजय पाठक ने मुझसे इस मामले पर चर्चा करने के लिए फोन करने की कोशिश की है. इसलिए मैं इस रिट याचिका की सुनवाई करने के लिए तैयार नहीं हूं.’

इसके बाद जस्टिस मिश्रा ने खुद को मामले से अलग कर लिया और आदेश दिया कि इस याचिका को चीफ जस्टिस के पास भेजा जाए ताकि इसे किसी और बेंच के सामने सूचीबद्ध किया जा सके.

यह केस एक रिट याचिका से जुड़ा है, जिसमें अवैध खनन के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है.

बता दें कि आशुतोष दीक्षित नाम के व्यक्ति ने भोपाल की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) में इस मामले में शिकायत की थी. जनवरी में उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया और आरोप लगाया कि ईओडब्ल्यू ने समयसीमा के भीतर प्रारंभिक जांच पूरी नहीं की.

याचिका में दीक्षित ने दावा किया कि पाठक और उनके परिवार से जुड़ी कंपनियां आयरन ओर (लौह अयस्क) और अन्य खनिजों का ज़रूरत से ज़्यादा खनन कर रही हैं.

संजय पाठक, जो 2016 में शिवराज सिंह चौहान सरकार के दौरान सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम विभाग (एमएसएमई) में राज्यमंत्री रह चुके हैं, ने हाईकोर्ट में आवेदन दिया था कि उन्हें भी इस मामले में पक्ष रखने का मौका दिया जाए.

हालांकि, जब अख़बार ने इस मामले पर टिप्पणी के लिए उनसे संपर्क किया तो कोई जवाब नहीं मिला.

पाठक परिवार से जुड़ी तीन कंपनियों पर 433 करोड़ का जुर्माना

दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार, दीक्षित द्वारा कोर्ट में याचिका दाखिल किए जाने के कुछ ही दिन बाद राज्य के खनन विभाग ने पाठक परिवार से जुड़ी तीन कंपनियों—आनंद माइनिंग कॉरपोरेशन, निर्मला मिनरल्स और पैसिफिक एक्सपोर्ट—पर 443 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया.

विभाग की जांच में पाया गया कि इन कंपनियों ने जबलपुर ज़िले की सिहोरा तहसील में तय स्वीकृति से अधिक खनन किया है.

यहां तक कि राज्य विधानसभा में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी स्वीकार किया कि इन कंपनियों ने खनन सीमा का उल्लंघन किया और उन पर जुर्माना लगाया गया.