2027 में ही बदलेगी तहसील और जिलों की सीमाएं

जनगणना के बाद ही होगा सीमाओं का पुनर्गठन.

भोपाल/मंगल भारत। मप्र में संभाग, जिला, तहसील और विकासखंड की सीमाओं में परिवर्तन संभवत: मार्च 2027 के बाद ही होगा। इसकी वजह यह है कि तहसील और जिलों की सीमाएं जनगणना के बाद ही होगी। बता दें, प्रदेश सरकार ने मार्च, 2024 में प्रशासनिक इकाइयों की सीमा में परिवर्तन के लिए आयोग बनाने का निर्णय लिया था। लेकिन जिला-तहसीलों की सीमाओं के पुनर्गठन की चाल धीमी है। गौरतलब है कि जाति गणना के साथ ही भारत की 16वीं जनगणना 2027 में की जाएगी। जनगणना दो चरणों में होगी। जनगणना का सीधा असर मप्र में जिला, तहसील समेत अन्य प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं के पुनर्गठन पर पड़ेगा। मप्र में प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं के पुनर्गठन की प्रक्रिया जारी है। इसके लिए सरकार ने मप्र प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग का गठन किया है। चूंकि आयोग को प्रशासनिक इकाइयों के पुनर्गठन के संबंध में अभी लंबी एक्सरसाइज करना बाकी है, इसलिए अब प्रदेश में मार्च, 2027 तक किसी भी सूरत में प्रशासनिक इकाइयों की सीमाएं नहीं बदली जा सकेंगी।
सीमाओं में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा
दरअसल, केंद्र सरकार ने सभी विभागों को 31 दिसंबर, 2025 से पहले नगर निगमों, राजस्व गांवों, तहसीलों, जिलों की सीमाओं में कोई भी प्रस्तावित बदलाव करने के निर्देश जारी किए हैं। जनगणना 2027 के लिए प्रशासनिक इकाइयों की सीमाएं 31 दिसंबर, 2025 को फ्रीज कर दी जाएंगी। राज्यों से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि जनगणना के दौरान यानी 1 जनवरी, 2026 और 31 मार्च, 2027 के बीच प्रशासनिक यूनिट की सीमाओं में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। राज्यों को मौजूदा सीमाओं में किसी भी बदलाव की सूचना जनगणना निदेशालयों और भारत के महापंजीयक को 31 दिसंबर, 2025 तक देना होगी। मप्र सरकार ने प्रदेश में संभाग, जिला, तहसील समेत अन्य प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं के पुनर्गठन को लेकर मप्र प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग का गठन किया है। आयोग के गठन के संबंध में 12 मार्च, 2024 को अधिसूचना जारी हुई थी। आयोग को प्रशासनिक इकाइयों के पुनर्गठन के संबंध में सरकार को अनुशंसा करना है, लेकिन आयोग ने अब तक ऐसी कोई रिपोर्ट राज्य शासन को नहीं सौंपी है। इसीलिए सरकार ने गत अप्रैल में आयोग का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया है।
बारिश के कारण कार्य प्रभावित
आधिकारिक जानकारी के अनुसार आयोग के सदस्य वर्तमान में जिलों का दौरा कर रहे हैं। बारिश के कारण दो महीने से यह कार्य प्रभावित हुआ है। आयोग सभी जिलों के प्रवास के दौरान जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों और आम नागरिकों से मिले सुझावों के आधार पर प्रशासनिक इकाइयों के पुनर्गठन के संबंध में रिपोर्ट तैयार करेगा। इस पूरी कवायद में आयोग को लंबा वक्त लगेगा। आयोग की अनुशंसा रिपोर्ट पर अंतिम निर्णय सरकार लेगी। इसमें आयोग की कोई भूमिका नहीं होगी। चूंकि 31 दिसंबर, 2025 को प्रशासनिक इकाइयों की सीमाएं मार्च, 2027 तक के लिए फ्रीज कर दी जाएंगी, इसलिए इस दौरान प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं के नए सिरे से निर्धारण के संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की जा सकेगी। प्रदेश में सागर जिले की बीना व खुरई तहसील, उज्जैन जिले के नागदा, मंदसौर जिले के गरोठ, रतलाम जिले के जावरा, शिवपुरी जिले के पिछोर, देवास जिले के बागली, सोनकच्छ व खातेगांव, गुना जिले के चाचौडा, विदिशा जिले के गंजबासौदा, सिवनी जिले के लखनादौन आदि को जिला बनाने की मांग समय-समय पर जोर पकडती रहती है। पिछले साल जुलाई से सितंबर के बीच जब खुरई और बीना को जिला बनाने की मांग को लेकर सियासत तेज हुई, तो सीएम डॉ. मोहन यादव ने डैमेज कंट्रोल करने के लिए 9 सितंबर, 2024 को रिटायर्ड आईएएस मनोज श्रीवास्तव को अचानक प्रशासनिक आयोग का सदस्य नियुक्त करते हुए कहा था कि अब इस संबंध में आगे की कार्रवाई आयोग करेगा।
1982 में भी बना था पुनर्गठन आयोग
मप्र में संभाग, जिलों, तहसीलों और जनपदों की सीमाओं के पुनर्गठन की प्रक्रिया 43 साल पहले भी की जा चुकी है। इसके लिए 1982 में प्रशासनिक पुनर्गठन आयोग का गठन हुआ था। आयोग ने 1985 में अनुशंसा रिपोर्ट राज्य शासन को सौंपी थी। इस रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश में 1990 के दशक में नए जिलों का गठन हुआ था। संभाग, जिलों, तहसीलों, जनपदों की सीमा फिर से परिभाषित करने की प्रक्रिया मप्र भू-राजस्व संहिता- 1959 में उल्लेखित है। गौरतलब है कि सीएम डॉ. मोहन यादव ने 1 जनवरी, 2024 को प्रदेश में संभाग और जिलों की सीमाओं का पुनर्निर्धारण करने की घोषणा की। 27 फरवरी, 2024 को मोहन कैबिनेट ने मप्र प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग के गठन को मंजूरी दी। 12 मार्च, 2024 को मप्र प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग के गठन के संबंध में नोटिफिकेशन जारी हुआ। 9 सितंबर, 2024 को रिटायर्ड आईएएस मनोज श्रीवास्तव और 18 अक्टूबर को रिटायर्ड आईएएस मुकेश शुक्ला आयोग के सदस्य नियुक्त किए गए। मनोज श्रीवास्तव स्तव ने दिसंबर में सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया। फरवरी में रिटायर्ड आईएएस एसएन मिश्रा आयोग के सदस्य बनाए गए।