छत्तीसगढ़ में एनएचएम कर्मचारी 18 अगस्त से सेवाओं के नियमितीकरण, नियमित स्वास्थ्य कर्मियों की तरह ग्रेड पे, वेतन वृद्धि और अन्य सुविधाओं की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. इस बीच सरकार ने 25 कर्मचारियों की बर्खास्त कर दिया. इसके विरोध में 14,000 से ज़्यादा संविदा कर्मचारियों ने सामूहिक रूप से इस्तीफ़ा दे दिया है.

नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ में पिछले 19 दिनों से चल रही अनिश्चितकालीन हड़ताल के बीच शुक्रवार (5 सितंबर) को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के 14,000 से ज़्यादा संविदा कर्मचारियों ने सामूहिक रूप से इस्तीफ़ा दे दिया है. इन लोगों यह कदम 25 कर्मचारियों की बर्खास्तगी के विरोध में उठाया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने बताया कि 25 कर्मचारियों को काम पर वापस आने के लिए कई नोटिस दिए जाने के बाद उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया.
एनएचएम कर्मचारी 18 अगस्त से सेवाओं के नियमितीकरण, नियमित स्वास्थ्य कर्मियों की तरह ग्रेड पे, वेतन वृद्धि और अन्य सुविधाओं की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. इस विरोध प्रदर्शन के कारण पोषण पुनर्वास केंद्रों जैसी आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाएं और सरकारी स्कूलों व आंगनवाड़ियों में बच्चों की स्वास्थ्य जांच प्रभावित हुई है
छत्तीसगढ़ प्रदेश एनएचएम कर्मचारी संघ के नेताओं में से एक हेमंत कुमार सिन्हा ने अखबार को बताया, ‘मुझे कई बार सेवा से बर्खास्त किया गया है. हमारी 10 मांगें हैं, और हमारी सबसे बड़ी मांग नियमितीकरण या अन्य नियमित स्वास्थ्य कर्मियों की तरह ग्रेड पे है. दूसरी, हम उचित वेतन वृद्धि, स्वास्थ्य विभाग के नियमित कर्मचारियों की तरह स्वास्थ्य बीमा पर कैशलेस लाभ, चिकित्सा अवकाश के दौरान समयबद्ध वेतन और एक उचित स्थानांतरण नीति चाहते हैं.’
अखबार ने स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के हवाले से बताया कि अधिकारी जल्द ही आंदोलनकारी नेताओं से बातचीत के लिए मिलेंगे.
सूत्रों ने बताया कि हड़ताल का राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं पर ज़्यादा असर नहीं पड़ा है, लेकिन उन्होंने माना कि नियमित स्वास्थ्य कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ गया है.
रायपुर के एक सरकारी ज़िला अस्पताल की एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा, ‘कुछ एनएचएम कर्मचारी काम कर रहे हैं. सभी हड़ताल पर नहीं हैं. काम ज़्यादा प्रभावित नहीं हुआ है, लेकिन काम का बोझ बढ़ गया है. तीन लोगों का काम दो लोग कर रहे हैं.’
राज्य की एनएचएम मिशन निदेशक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने अखबार को बताया कि 13 अगस्त को हुई कार्यकारी समिति की बैठक में कई मांगों पर पहले ही विचार किया जा चुका है. उन्होंने कहा, ‘दो माxगें – गोपनीय रिपोर्ट (सीआर) के मूल्यांकन में पारदर्शिता और आपात स्थिति या गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के मामलों में 30 दिनों का सवेतन अवकाश – पूरी हो गई हैं. दो और मांगें, 27% वेतन वृद्धि और कम से कम 10 लाख रुपये का कैशलेस स्वास्थ्य बीमा, भी स्वीकार कर ली गई हैं और कार्यान्वयन की प्रक्रिया में हैं.’
शुक्ला ने यह भी बताया कि ग्रेड पे, अनुकंपा नियुक्ति और स्थानांतरण नीति से संबंधित मांगों की जांच के लिए एनएचएम के संयुक्त निदेशक की अध्यक्षता में एक राज्य स्तरीय समिति गठित की गई है. यह समिति अन्य विभागों में संविदा कर्मचारियों पर लागू मानव संसाधन नीतियों की समीक्षा करेगी और अगली कार्यकारी समिति की बैठक में अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगी.
उन्होंने कहा, ‘शेष तीन मांगें – नियमितीकरण, लोक स्वास्थ्य संवर्ग का गठन और नियमित पदों पर भर्ती में आरक्षण – केवल सरकार के उच्चतम स्तर पर ही उठाई जा सकती हैं.’
उन्होंने आगे कहा कि कई मांगों पर विचार किए जाने के बावजूद संविदा कर्मचारियों ने अपनी हड़ताल जारी रखी है.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि, बर्खास्त कर्मचारियों में से एक हेमंत कुमार सिन्हा ने कहा कि सरकार को उन मांगों के लिए अधिसूचनाएं जारी करनी चाहिए जिनके पूरा होने का दावा वह कर रही है.
एनएचएम कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित मिरी ने कहा, ‘2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के घोषणापत्र में संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान का वादा किया गया था, जिसमें (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी की गारंटी का ज़िक्र था. लेकिन सरकार बनने के 20 महीने बाद और मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, वित्त मंत्री, उपमुख्यमंत्री, विधायकों और सांसदों को 160 से ज़्यादा ज्ञापन देने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई. इसलिए, 16,000 एनएचएम कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन करने का फ़ैसला किया, जो 18 अगस्त से जारी है.’
अखबार के अनुसार, यह बताते हुए कि एनएचएम कर्मचारियों की कई श्रेणियां हैं, डॉक्टरों से लेकर नर्सिंग और सफ़ाई कर्मचारियों तक – उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में एक नियमित कर्मचारी को समान काम करने के लिए एक संविदा कर्मचारी के मुक़ाबले लगभग तीन गुना वेतन मिलता है.
विपक्ष ने सरकार की आलोचना की
इस बीच, छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने राज्य सरकार पर अपनी निष्क्रियता से ‘अशांति को बढ़ावा देने’ का आरोप लगाया.
प्रदेश पार्टी अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा, ‘एनएचएम कर्मचारी हड़ताल पर हैं और भाजपा सरकार उन पर बर्बर कार्रवाई कर रही है, उन पर लाठीचार्ज कर रही है और उन्हें जेल भेजने की धमकी दे रही है. 25 से ज़्यादा एनएचएम कर्मचारियों को बर्खास्त करने की कार्रवाई की गई है. कांग्रेस इसकी निंदा करती है. यह सरकार की तानाशाही है. भाजपा ने मोदी की गारंटी के नाम पर झूठ बोलने का काम किया है. विधानसभा चुनाव के समय एनएचएम कर्मचारियों और मितानिनों को नियमित करने का काम किया गया था. अब सरकार उनकी मांगें मानने के बजाय उन्हें परेशान कर रही है.’
पूर्व उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता टीएस सिंह देव ने पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के पीछे संविदा कर्मचारियों को नियमित न किए जाने को एक ‘बड़ा कारण’ माना था.