जम्मू कश्मीर में आम आदमी पार्टी के विधायक मेहराज-उद-दीन मलिक को पब्लिक सिक्योरिटी एक्ट (पीएसए) के तहत हिरासत में लिया गया है. उनकी हिरासत के विरोध में मंगलवार (9 सितंबर) को आप के गढ़ वाले इलाकों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए. इस बीच डोडा ज़िले के कुछ हिस्सों में हाई स्पीड इंटरनेट पर रोक लगा दी गई है.

श्रीनगर: आम आदमी पार्टी के विधायक मेहराज-उद-दीन मलिक को पब्लिक सिक्योरिटी एक्ट (पीएसए) के तहत हिरासत में लिए जाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की आशंका के बीच अधिकारियों ने मंगलवार (9 सितंबर) को जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले के कुछ हिस्सों में हाई स्पीड इंटरनेट पर रोक लगा दी.
मलिक की हिरासत के खिलाफ जम्मू-कश्मीर में तनाव बढ़ रहा है, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी सहित कश्मीर के प्रमुख राजनीतिक दल और अन्य उनकी रिहाई की मांग कर रहे हैं.
जम्मू-कश्मीर के गृह विभाग ने अभी तक डोडा में इंटरनेट प्रतिबंधों के बारे में कोई आदेश प्रकाशित नहीं किया है, जबकि सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों में कानूनी समीक्षा के लिए ऐसे आदेशों के आधिकारिक प्रकाशन की आवश्यकता है.
केंद्र शासित प्रदेश के गृह विभाग की आधिकारिक वेबसाइट, जो उपराज्यपाल के अधीन है, को आखिरी बार 15 अगस्त को अपडेट किया गया था, जब मध्य कश्मीर के बडगाम जिले के कुछ हिस्सों में मोबाइल इंटरनेट प्रतिबंध कर दिया गया था.
विरोध प्रदर्शन
द वायर से बात करने वाले डोडा के कुछ स्थानीय लोगों ने बताया कि मेहराज की एहतियातन हिरासत के बाद सोमवार रात से वे यूट्यूब और इंस्टाग्राम जैसे वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं. हालांकि, स्मार्टफोन यूजर्स अभी भी वॉट्सऐप पर टेक्स्ट मैसेज भेज पा रहे हैं.
आप नेता की हिरासत के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का आह्वान करने वाले मलिक के कुछ समर्थकों – जिनमें भद्रवाह निवासी ओवैस चौधरी और मारवाह से जिला विकास परिषद के सदस्य शेख ज़फरुल्लाह शामिल हैं – को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया, जबकि कुछ अन्य लोगों से उनकी हिरासत की आशंका के चलते फोन पर संपर्क नहीं हो पाया. हालांकि, प्रशासन ने इन हिरासतों की पुष्टि नहीं की है.
डोडा जिले में सुरक्षा बढ़ा दी गई है, जहां मंगलवार को गंडोह, कहारा, भलेसा और आप के गढ़ वाले अन्य इलाकों में मलिक की हिरासत के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए. डोडा के उपायुक्त (डीसी) हरविंदर सिंह के खिलाफ नारेबाजी करते हुए प्रदर्शनकारियों ने आप नेता की रिहाई की मांग की.
मंगलवार को कहारा में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में शामिल सामाजिक कार्यकर्ता सैयद मोहसिन ने कहा कि मलिक की हिरासत उन लोगों के लोकतांत्रिक जनादेश के साथ विश्वासघात है जिन्होंने उन्हें वोट दिया था.
मोहसिन ने कहा, ‘लोकतंत्र को कुचलने के लिए एक काले कानून (पीएसए) का इस्तेमाल किया गया है. यह हमारे निर्वाचन क्षेत्र को अनाथ बनाने और हमें अपनी आवाज़ से वंचित करने की एक सुनियोजित साजिश लगती है. हम मांग करते हैं कि उन्हें तुरंत रिहा किया जाए.’
विरोध प्रदर्शनों की आशंका में मंगलवार सुबह उनके गृह गांव तंदला में दंगा-रोधी उपकरणों से लैस सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया. दुकानें और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद कर दिए गए. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि ज़िले के अन्य हिस्सों में भी भारी सुरक्षा तैनाती देखी गई.
जम्मू-कश्मीर के अन्य हिस्सों से भी मलिक की हिरासत के ख़िलाफ़ छिटपुट विरोध प्रदर्शन की ख़बरें आईं हैं.
ख़बरों के अनुसार, मलिक को मंगलवार सुबह कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच किश्तवाड़ ज़िले की भद्रवाह जेल से कठुआ जेल स्थानांतरित कर दिया गया, जहां उन्हें पहले रखा गया था. 18 से ज़्यादा एफ़आईआर और दैनिक डायरी रिपोर्टों का हवाला देते हुए प्रशासन ने उन्हें एक साल के लिए पीएसए के तहत हिरासत में रखा है, जबकि उन्हें किसी भी मामले में दोषी नहीं ठहराया गया है.
गिरफ्तारी से पहले
जम्मू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर, जो 2013 में राजनीति में शामिल हुए, मलिक को पुलिसकर्मियों ने 8 सितंबर को कैमरे के सामने घसीटा और डोडा के डाक बंगले के पास एक वैन में डाल दिया, जब उन्होंने अपनी गिरफ्तारी का विरोध करने की कोशिश की.
2024 के विधानसभा चुनाव में डोडा पूर्व निर्वाचन क्षेत्र से जीत के बाद आप के जम्मू-कश्मीर अध्यक्ष चुने गए मलिक को ले जाए जाने से पहले उन्होंने मीडिया से बात की और अपने समर्थकों से बंद लागू करने का आग्रह किया.
अपनी हिरासत से पहले डोडा डीसी के ख़िलाफ़ अभद्र टिप्पणी करते हुए उन पर भ्रष्टाचार और निहित स्वार्थों का आरोप लगाने वाले आप विधायक ने चेतावनी दी कि किसी भी क़ानून-व्यवस्था की समस्या की स्थिति में प्रशासन को ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. प्रशासन ने मलिक के आरोपों से इनकार किया है.
आप नेता का पीएसए फ़ाइल अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है. मलिक के एक करीबी सहयोगी ने द वायर को बताया कि उनके कुछ सहयोगी और वकील आज कठुआ जेल में उनसे मिलने जा रहे हैं.
मलिक के सहयोगी ने कहा, ‘हम (पीएसए के तहत) हिरासत आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे.’
निर्वाचित सरकार की सीमित शक्तियां संदेह के घेरे में
आप विधायक की हिरासत ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर की निर्वाचित सरकार की सीमित शक्तियों को सवालों के घेरे में ला दिया है. जब जम्मू-कश्मीर एक राज्य था, तब प्रशासन को किसी भी निर्वाचित विधायक को गिरफ्तार करने से पहले जम्मू-कश्मीर विधानसभा की अनुमति लेनी पड़ती थी.
हालांकि, जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिए जाने के बाद प्रशासन को केवल जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में राज्य विधानसभा की प्रक्रियाओं और व्यवसाय के संचालन के नियमों की धारा 258 और 259 के तहत किसी भी विधायक के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के बारे में विधानसभा अध्यक्ष को सूचित करना होगा.
स्पीकर को लिखे पत्र में डोडा के डिप्टी कमिश्नर ने सोमवार को आरोप लगाया कि आप विधायक ने डोडा जिले में ‘शांति, सार्वजनिक व्यवस्था और सौहार्द के लिए गंभीर खतरा पैदा किया है’ और ‘उनकी गतिविधियां सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए नुकसानदायक हैं.’
पत्र में कहा गया है, ‘इसलिए, सार्वजनिक सुरक्षा कानून के तहत निवारक के तौर पर, क्षेत्र में सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने और कानून-व्यवस्था की रक्षा के हित में आवश्यक पाया गया. यह सूचना आवश्यकतानुसार आपकी जानकारी और रिकॉर्ड के लिए प्रस्तुत की जा रही है.’
कश्मीर में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के अलावा,आप प्रमुख और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और लोकसभा सदस्य सैयद रूहुल्लाह मेहदी और असदुद्दीन ओवैसी सहित अन्य ने पीएसए के तहत मलिक की हिरासत की निंदा की.