दो सप्ताह में 1300 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर पूरी हुई वोट अधिकार यात्रा विपक्ष के लिए एक बड़े जनआंदोलन में तब्दील हो गई. यात्रा ने मतदाता सूची में गड़बड़ी और ‘वोट चोरी’ के मुद्दे को जनता के बीच पहुंचाने के साथ बदलाव की आकांक्षा को नई ऊर्जा दी.

दो सप्ताह में बिहार के दो दर्जन जिलों की 1300 किलोमीटर से अधिक यात्रा पूरी कर वोट अधिकार यात्रा सम्पन्न हो चुकी है. अब इस यात्रा के हासिल की चर्चा चल रही है. राजनीतिक पंडित यात्रा को लेकर चाहे जो विश्लेषण करते रहें लेकिन यात्रा के बारे में स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि हाल के दिनों में किसी मुद्दे को लेकर विपक्ष का यह एक बड़ा जन आंदोलन था जो जनता के सहयोग से जन उत्सव में तब्दील हो गया था. हर जिले में जन साधारण ने इसमें व्यापक हिस्सेदारी की.
विपक्ष इस यात्रा के जरिए वोट चोरी और विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे को जनता के बीच ले जाने में सफल रहा. साथ ही जनसमर्थन ने इस आंदोलन को बदलाव की लड़ाई की आकांक्षा में बदल दिया है. यदि विपक्ष अपने मुद्दों के साथ जनता को बीच इसी तरह बना रहता है तो बदलाव की यह आंकाक्षा बिहार तक सीमित नहीं रहेगी बल्कि आगे तक जाएगी.
17 अगस्त को सासाराम से शुरू हुई वोट अधिकार यात्रा 11वें दिन 29 अगस्त को पश्चिम चंपारण जिले के बेतिया में पहुंची. सुबह आठ बजे हरिवाटिका चैक पर महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद शहर के मोहर्रम चौक, जनता सिनेमा चौक, सागर पोखर चौक, इमली चौक होते हुए पीपल चौक तक पहुंचने में ही यात्रा को तीन घंटे लग गए. यहां से बसवरिया, सरसरैया, नौतन थाना चौक, मच्छरगांवा होते हुए मंगलपुर, बरियारपुर से गोपालगंज के जादोपुर चौक तक पहुंचते-पहुंचते शाम हो गई.
पूरे रास्ते लोग सड़क किनारे राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, दीपंकर भट्टाचार्य, मुकेश सहनी को स्वागत करने के लिए खड़े थे. यूं तो बेतिया से गोपालगंज तक यात्रा ने तीन विधानसभा- बेतिया, नौतन और गोपालगंज विधानसभा क्षेत्र से गुजरी लेकिन अगल-बगल के विधानसभा क्षेत्रों से भी कांग्रेस, राजद, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी), भाकपा माले, माकपा, भाकपा के कार्यकर्ता ही नहीं आम लोग भी शामिल दिखे.
यात्रा को लेकर लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा था. बेतिया से गोपालगंज के जादोपुर चौक तक करीब 60 किलोमीटर के पूरे रास्ते में तोरण द्वारों की भरमार थी. महागठबंधन में शामिल दलों के नेताओं-कार्यकर्ताओं ने जगह-जगह पांडाल, सभा मंच लगाए थे जहां सैकड़ों लोग झंडा बैनर लेकर मौजूद थे. कहीं ढोल नगाड़े बज रहे हैं तो कही नारे लगाता युवाओं का समूह आगे बढ़ रहा है. सब काम धाम छोड़ सैकड़ों की संख्या में महिलाएं सड़क किनारे बैठीं नजर आ रही थीं. लोग यात्रा की झलक पाने के लिए चट्टी-चौराहों पर कई-कई घंटे बैठे दिखे.
ऐसा लग रहा था कि कोई बड़ा पारम्परिक मेला लगा है जिसमें लोग परिवार सहित शामिल होने के लिए चले जा रहे हैं.
बेतिया के पहले लौरिया कस्बे में चाय की दुकान में बैठे दिनेश चौबे से मुलाकात हुई जो यात्रा में शामिल नहीं होने पर अफसोस जता रहे थे. मेहमानों के आने के कारण वह बेतिया नहीं जा सके. बोले कि मेरे दोनो भाई यात्रा में शामिल होने गए हैं. सैकड़ों लोग सुबह ही वाहनों में भर कर चले गए. यह पूछे जाने पर कि यात्रा को लेकर क्या चर्चा हो रही है उनका जवाब था-‘ ऐ बारी बदलाव बा. बीस साल से गद्दी छेक के बईठल बा. अब गद्दी छोड़े के पड़ी. अब तक बिजली मुफ़्त कईले के बात नाही होत रहे. अब काहे होत बा. पेंशन के रकम बढ़त बा. कुछ लोग कहत बाने कि तेजस्वी के अइला से जंगल राज आ जाई. ई नाहीं दीखाता कि मंगलराज में रोज टन्न से लोग उड़ जाता. बैंक लूटा जाता. ’
बेतिया के पीपल चौक के पास बच्चों का समूह राहुल गांधी-तेजस्वी यादव को देख कर जोर-जोर से ‘ वोट चोर गद्दी छोड़ ‘ का नारा लगाने लगता है. सड़क किनारे बैठी महिलाएं राहुल गांधी को देख हाथ हिलाने लगती हैं. एक महिला शिकायत करती है-हमन के देख के हाथ नाहीं हिलवनन. विस्कुट खइले में रह गइलन. ’ साथ में बैठी दूसरी महिला इस पर हंसते हुए बोली-जा तू उनके वोट न दिही. हम तो उनहीं के वोट देब. ’
बेतिया से बसवरिया के रास्ते में घोड़े पर सवार राजद का गमछा बांधे कई युवक नजर आते हैं. यह सिलसिला गोपालगंज तक चलता है. पूरे रास्ते घोड़े पर टप टप दौड़ते युवा नजर आए. यात्रा में उनकी मौजूदगी एक अलग ही रंग दे रही थी. कररिया मोड़ पर मिले लोहा यादव अपने घोड़े शेरू के साथ आए थे. उन्होंने बताया कि वे 11 लोग अपने घोड़े के साथ आए हैं. यहां से गोपालगंज तक यात्रा में रहेंगे. रामपुर गांव के रहने वाले लोहा यादव ने बताया कि शादी-ब्याह में लोग घोड़े लाने के लिए एक हजार से डेढ़ हजार तक देते हैं. बाकी समय शौकिया घोड़े की सवारी होती है.बसवरिया के पास तो एक दृश्य ने बिहार के मूड को व्यक्त कर दिया. यहां पर दो बुलडोजर से यात्रा पर फूल बरसाए गए. इसके आगे भी कई जगहों पर बुलडोजर और जेसीबी से यात्रा में शामिल नेताओं पर फूल बरसाने और उसमें बैठकर नारे लगाते लोग दिखे. भाजपा राज में बुलडोजर-जेसीबी एक ऐसे न्याय के प्रतीक बन गए हैं जहां सरकार-प्रशासन न्यायिक प्रक्रिया को ताक पर रखकर मनमाना करता है. लोगों के घरों को तोड़ता-गिराता है, अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों, मजारों, मदरसों को ध्वस्त करता है. वोटर अधिकार यात्रा में बुलडोजर-जेसीबी को फूल बरसाने के काम में लगा का बिहार की जनता ने एक नया प्रतीक ही गढ़ दिया है.
बसवरिया के आगे मुकेश सहनी की पार्टी विकासशील इंसान पार्टी का सड़क किनारे मंच लगा दिखा. ट्रैक्टर ट्राली से बने मंच पर एक बड़ी सी नाव को चढा दिया गया था जिसमें बैठकर कार्यकर्ता नारा लगा रहे थे. ऐसा ही मंच गोपालगंज के जादोपुर चौक के पास फ्लाईओवर के पास दिखा. यहां पर भी ट्रैक्टर ट्राली पर नाव रखकर मंच बनाया गया था. नाव में वीआईपी के कार्यकर्ताओं के साथ राम, लक्ष्मण, सीता की वेशभूषा में तीन किशोर भी थे. इसी के पास कांग्रेस कार्यकर्ता एक हाथी को सजा कर ले लाए थे जिसके चारों ओर इकट्ठा होकर लोग नारे लगा रहे थे.
पश्चिम चम्पारण और गोपालगंज जिले की सीमा बनाती गंडक नदी पर विशुनपुर और मंगलपुर के बीच पुल बना है. यहां लगे शिलापट से पता चलता है कि 13 मार्च 2016 को इस पुल का उद्घाटन हुआ था. शिलापट पर मुख्यमंत्री नीतिश कुमार और तब उप मुख्यमंत्री रहे तेजस्वी यादव का नाम दर्ज है. पुल की दाएं तरफ रेलिंग पर ‘ मांगे बिहार तेजस्वी सरकार ’ लिखा है तो पुल के दोनों पर तरफ की रेलिंग पर कांग्रेस के झंडे लगे हैं
मच्छरगांवा में नदीम मुनीर से मुलाकात होती है जो बुलेट मोटरसइाकिल से यात्रा में चल रहे हैं. मोटरसाइकिल के पीछे राहुल गांधी को ‘ न्याय योद्धा ‘ बताते हुए पोस्टर लगा है. इस तरह के तमाम पोस्टर उनके पास है जिसको उन्होंने खुद डिजाइन किया है. दिल्ली में रहने वाले मुनीर राहुल गांधी के फैन हैं. है. भारत जोड़ो यात्रा में भी शामिल हुए थे. दिल्ली से मच्छरगांवा तक 1200 किलोमीटर मोटरसाइकिल चला चुके हैं. पटना तक जायेंगे. वोटर अधिकार यात्रा के बारे में उनका कहना था- यहां मैने एक जुनून देखा. यह बदलाव का जुनून है. ऐसी दीवानगी व नजारा इसके पहले और कहीं नहीं देखा.
यहीं पर राजद के नेता मोहन चौरसिया मिले. वे राजद के झुग्गी-झोपड़ी प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष हैं. उन्होंने लोगों के लिए चाय की व्यवस्था की है. कहते हैं -जनता में बहुत उत्साह है. यात्रा सफल है. ’
नौतन विधानसभा क्षेत्र में ‘ भावी उम्मीदवरों ’ के खूब बैनर, पोस्टर, तोरण द्वारा दिखते हैं. ये भावी उम्मीदवार राजद, कांग्रेस और वीआईपी के हैं. सभी ने अपने को नौतन विधानसभा क्षेत्र का भावी उम्मीदवार घोषित किया हुआ है. इस यात्रा ने महागठबंधन दलों के कार्यकर्ताओं पर भारी उत्साह पैदा कर दिया है. इसलिए वे अपनी दावेदारी का खुलकर इजहार कर रहे हैं. यात्रा में उन्होंने अपनी दावेदारी को तोरण द्वारों, पांडालों, सभा मंचों, पोस्टर, बैनर के जरिए व्यक्त किया है. एक ही पार्टी के दो से तीन भावी उम्मीदवारों के बैनर-पोस्टर दिखे. एक भावी उम्मीदवार के एक बैनर का मजमून है-दो शेरों की ललकार, 198 पार. ’ भावी उम्मीदवारों की यह दावेदारी चुनाव के वक्त टिकट बंटवारे में काफी मुश्किल भी पैदा करेगी.
वोट अधिकार यात्रा के सबसे अहम पहलू मतदाता सूची को लेकर लोगों में जागरूकता दिखी. कररिया मोड़ पर एक व्यक्ति ने अपने अंदाज में वोटर लिस्ट का पूरा गणित इस तरह समझाया-‘ वोट कटवाये वाला बड़ा चालू बा. पचास गो छोटका के वोट कटल बा त दस गो बड़का के भी. जोड़ले में उल्टा होखत बाटे. दस गो छोटका के जुड़ी तो पचास गो बड़का के. इहे खेल तो भईल बा. जनता इनके कहां वोट देत बा. इहे खेल कईके जीतत हवें सब. ’
उन्होंने यह भी कहा कि हम लोग नाम ठीक करा रहे हैं. जादोपुर चौक पर मिले मिराजुन को भरोसा है कि चुनाव पुराने वोटर लिस्ट से ही होगा. उनका मानना था कि लोग जाग गए हैं गड़बड़ी नहीं होने पाएगी.
मिराजुन चाहते हैं कि एआईएमआईएम भी महागठबंधन दल का हिस्सा बने. कहते हैं-ओवैसी को आ जाना चाहिएं पिछले बार उनकी पार्टी के कारण ही गोपालगंज सीट राजद हार गया था. लेकिन इस बार वोट नहीं बटेगा. वे आएं या न आएं.
मिराजुन आगे बोले-‘ देख रहे हैं न माहौल. गठबंधन आगे निकल गया है. भाजपा वाले अब पीछे ही रहेंगे. राहुल को जीरो बनाने में लगे थे लेकिन जनता ने उनको हीरो बना दिया. ’
यात्रा में कुछ और बातें गौरतलब थीं. कांग्रेस का संगठन अभी भी कमजोर है लेकिन उनके नेता-कार्यकर्ता सुषुप्तावस्था से बाहर निकल आए हैं. कार्यकर्ताओं-नेताओं में भारी उत्साह का माहौल बन गया है. उन्हें राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस के लिए बिहार ही नहीं पूरे देश में नई उम्मीद दिखाई देने लगी है. राजद का संगठन पहले के मुकाबले चुस्त-दुरूस्त व अनुशासित दिख रहा है. वाम दलों विशेषकर भाकपा माले ने कई नए इलाकों में गरीबों, महिलाओं, मजदूरों में अच्छी-खासी पैठ बनायी है और यात्रा में हर जगह उनकी दमदार उपस्थिति दिखी. वीआईपी का अपने परम्परागत आधार में विस्तार हुआ है. पूरे यात्रा के दौरान विपक्षी नेता वोट चोरी के मुद्दे को जनता के आधिकार व उनके वास्तविक मुद्दे से भी जोड़ते रहे. दरभंगा के गाली प्रकरण का कोई खास चर्चा यात्रा के दौरान नहीं दिखी.
(लेखक गोरखपुर न्यूज़लाइन वेबसाइट के संपादक हैं.)