प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार (9 सितंबर) को कर्नाटक के कारवार निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस विधायक सतीश सैल को कथित मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में बेंगलुरु में गिरफ्तार किया है.

नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार (9 सितंबर) को कर्नाटक के कारवार निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस विधायक सतीश के. सैल को कथित मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में बेंगलुरु में गिरफ्तार किया.
आईएएनएस ने सूत्रों के हवाले से बताया कि सैल को पूछताछ के लिए ईडी कार्यालय बुलाया गया था, वहीं उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
मालूम हो कि इससे पहले 13 और 14 अगस्त को ईडी ने अवैध लौह अयस्क निर्यात के आरोपों के सिलसिले में सैल के आवास पर छापेमारी की थी.
जांच एजेंसी ने तब कहा था कि उसने विधायक की अवैध संपत्ति, नकदी और आभूषणों का पता लगाया है और अधिकारियों ने भारी मात्रा में नकदी और सोना ज़ब्त किया है.
विधायक की संपत्तियों को निशाना बनाने वाले ये तलाशी अभियान कारवार, गोवा, मुंबई और दिल्ली में चलाए गए थे.
उल्लेखनीय है कि सैल हाल के दिनों में केंद्रीय एजेंसियों द्वारा गिरफ्तार किए जाने वाले तीसरे कांग्रेस विधायक हैं. इससे पहले चित्रदुर्ग के विधायक के.सी. वीरेंद्र और धारवाड़ ग्रामीण के विधायक विनय कुलकर्णी को भी गिरफ्तार किया गया था.
मालूम हो कि बीते साल 26 अक्टूबर को एक विशेष सांसद/विधायक अदालत ने बेलेकेरी अवैध लौह अयस्क निर्यात मामले से जुड़े छह मामलों में सैल को सात साल की कैद की सजा सुनाई थी. अदालत ने उन पर 44 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था.
हालांकि, 21 दिसंबर, 2024 को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने उनकी दोषसिद्धि को निलंबित कर दिया था. अदालत ने अधिकारियों को उनकी अपील का नतीजा आने तक कारवार विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव की अधिसूचना जारी न करने का भी निर्देश दिया था.
इस दौरान अदालत ने सैल के विधानसभा सत्र में भाग लेने पर भी रोक लगा दी थी.
गौरतलब है कि अवैध लौह अयस्क निर्यात का केस 2010 में दर्ज एक मामले से जुड़ा हुआ है. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बाद में इस मामले में आरोप पत्र भी दाखिल किया था।
2013 में पहली बार विधायक बने
1966 में कर्नाटक में जन्मे सतीश कृष्ण सैल उत्तर कन्नड़ जिले के कारवार से हैं. कांग्रेस सरकार ने उन्हें पिछले साल 26 जनवरी, 2024 को कर्नाटक मार्केटिंग कंसल्टेंट एंड एजेंसीज़ कॉर्पोरेशन का अध्यक्ष नियुक्त किया था.
सतीश सैल 2013 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीतकर पहली बार विधायक बने थे. 2018 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में वह भाजपा की रूपाली नाइक और जनता दल (सेक्युलर) के आनंद वसंत असनोटिकर के बाद तीसरे स्थान पर रहे थे.
2023 में वे कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ते हुए जीत हासिल करने में सफल रहे. उन्होंने अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी, भारतीय जनता पार्टी की रूपाली नाइक को 2138 मतों के मामूली अंतर से हराया था.