संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाक पीएम का ‘सात भारतीय विमान’ गिराने का दावा, भारत ने कहा- नौटंकी से तथ्य नहीं छिपते

संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने दावा किया कि मई में भारत के साथ सैन्य टकराव के दौरान पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों ने ‘सात भारतीय विमानों को कबाड़ में बदल दिया.’ भारत ने शरीफ़ के भाषण की कड़ी आलोचना की और इस्लामाबाद पर आतंकवाद का महिमामंडन करने और तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया.

नई दिल्ली: शुक्रवार (26 सितंबर) को 80वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में बोलते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने दावा किया कि इस साल की शुरुआत में भारत के साथ सैन्य टकराव के दौरान पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों ने ‘सात भारतीय विमानों को कबाड़ में बदल दिया.’

शरीफ़ ने कश्मीर के पहलगाम के निकट बैसरन घाटी में 26 नागरिकों के मारे जाने के बाद दो परमाणु संपन्न पड़ोसियों के बीच संघर्ष के दौरान भारत की ‘अकारण आक्रामकता’ और ‘अहंकार’ की निंदा की.

इस बीच, उन्होंने अपने देश की वायु सेना की प्रशंसा करते हुए उसके पायलटों को ‘बाज़’ कहा जिन्होंने भारत के विमानों को नष्ट कर दिया. उन्होंने कहा, ‘हमारे बाज़ों ने उड़ान भरी और सात भारतीय विमानों को कबाड़ में बदल दिया.’

पाकिस्तान ने पहले दावा किया था कि पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत द्वारा पाकिस्तान और पाक के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद उसने हवा से हवा में की गई लड़ाई में पांच भारतीय विमानों को मार गिराया था.

डीडब्ल्यू ने शरीफ के हवाले से कहा, ‘पहलगाम घटना की स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच के मेरे ईमानदार प्रस्ताव को ठुकराकर भारत ने एक मानवीय त्रासदी से राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश की. इसके बजाय उसने हमारे शहरों पर हमला किया और हमारे निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाया.’

युद्धविराम पर सहमति बनने के बाद संघर्ष कम हुआ, जिसके बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने इसमें मध्यस्थता की. शरीफ ने ट्रंप को उनके ‘समय पर और निर्णायक’ हस्तक्षेप और ‘साहसिक एवं दूरदर्शी नेतृत्व’ के लिए धन्यवाद भी दिया, जिससे दक्षिण एशिया में एक और ख़तरनाक युद्ध को टालने में मदद मिली.

हालांकि, भारत ने कई बार इन दावों का खंडन किया है कि ट्रंप ने युद्धविराम की मध्यस्थता की थी.

शरीफ ने आगे दावा किया कि ‘युद्ध जीतने’ के बाद पाकिस्तान अब दक्षिण एशिया में ‘शांति स्थापित करना’ चाहता है और वह ‘सभी लंबित मुद्दों पर भारत के साथ एक व्यापक और परिणामोन्मुखी बातचीत’ के लिए तैयार है.

शरीफ ने कहा, ‘दक्षिण एशिया को उकसावे वाले नेतृत्व की बजाय सक्रिय नेतृत्व की आवश्यकता है.’

भारत ने शहबाज़ शरीफ़ के यूएनजीए भाषण की निंदा की

इस बीच, भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ के भाषण की कड़ी आलोचना की और इस्लामाबाद पर आतंकवाद का महिमामंडन करने और तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया.

शहबाज शरीफ के संबोधन के बाद यूएनजीए में भारत के जवाब देने के अधिकार का प्रयोग करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन की फर्स्ट सचिव पेटल गहलोत ने शुक्रवार को तीखा पलटवार किया.
पेटल गहलोत ने कहा, ‘अध्यक्ष महोदय, इस सभा में सुबह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की बेतुकी नौटंकी देखने को मिली, जिन्होंने एक बार फिर आतंकवाद का महिमामंडन किया, जो उनकी विदेश नीति का केंद्र है. हालांकि, किसी भी स्तर का नौटंकी और झूठ तथ्यों को नहीं छिपा सकता.’

गहलोत के अनुसार, पाकिस्तान 9 मई तक और हमलों की धमकी देता रहा था, लेकिन अगले ही दिन अपने हवाई अड्डों को भारी नुकसान पहुंचने के बाद उसने अचानक अपना रुख बदल दिया. उन्होंने कहा, ’10 मई को उसकी सेना ने हमसे सीधे लड़ाई रोकने की अपील की.’

साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि कई हवाई अड्डों पर जले हुए हैंगर और नष्ट हो चुके रनवे की तस्वीरें सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं. उन्होंने आगे कहा, ‘अगर नष्ट हो चुके रनवे और जले हुए हैंगर जीत की तरह लगते हैं, जैसा कि प्रधानमंत्री ने दावा किया है, तो पाकिस्तान इसका आनंद ले सकता है.’

भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के बयान को सशस्त्र समूहों को समर्थन देने के उसके व्यापक रिकॉर्ड से भी जोड़ा. गहलोत ने कहा कि 25 अप्रैल, 2025 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान ने ‘भारतीय केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों के बर्बर नरसंहार’ की ज़िम्मेदारी से ‘पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट’ को बचाया था.

उन्होंने पाकिस्तान पर आतंकवादी शिविर चलाने का आरोप लगाया और इसके लिए उसके अपने मंत्रियों द्वारा स्वीकारोक्ति का हवाला दिया, तथा कहा कि उसने आतंकवाद-रोधी अभियानों में भागीदार होने का दावा करते हुए अल-कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को वर्षों तक शरण दी थी.

उन्होंने पूछा, ‘एक तस्वीर हज़ार शब्द बयां करती है और हमने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बहावलपुर और मुरीदके आतंकी ठिकानों पर भारतीय सेना द्वारा मारे गए आतंकवादियों की कई तस्वीरें देखीं. जब वरिष्ठ पाकिस्तानी सैन्य और असैन्य अधिकारी सार्वजनिक रूप से ऐसे कुख्यात आतंकवादियों का महिमामंडन और श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, तो क्या इस शासन की प्रवृत्ति पर कोई संदेह हो सकता है?’

भारत ने आगे ज़ोर दिया कि पाकिस्तान के साथ सभी द्विपक्षीय मुद्दों का समाधान दोनों देशों के बीच सीधे तौर पर ही होगा और बाहरी मध्यस्थता की किसी भी भूमिका को अस्वीकार कर दिया. गहलोत ने आगे कहा कि नई दिल्ली ‘आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों’ – दोनों को जवाबदेह ठहराएगा, और चेतावनी दी कि भारत ‘परमाणु ब्लैकमेल’ से नहीं डरेगा.

गहलोत ने इसे ‘विडंबनापूर्ण’ बताया कि ‘नफरत, कट्टरता और असहिष्णुता में डूबा’ एक देश संयुक्त राष्ट्र को आस्था के मामलों पर उपदेश देने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय को संबोधित करने से पहले अपने भीतर झांकना चाहिए.

पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने बाद में भारत के जवाब देने के अधिकार पर भी प्रतिक्रिया जारी की.

इससे पहले शरीफ ने शुक्रवार को ह्वाइट हाउस में पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की थी. फील्ड मार्शल मुनीर की इस साल ह्वाइट हाउस की यह दूसरी यात्रा थी, इससे पहले उन्होंने भारत-पाकिस्तान संघर्ष समाप्त होने के कुछ हफ़्ते बाद ट्रंप के साथ दोपहर का भोजन किया था.
शरीफ की यह पहली मुलाक़ात थी जब किसी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने छह साल में किसी अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ विस्तृत बातचीत की. पिछली बाइडेन सरकार ने भारत के साथ संबंधों को बेहतर बनाने के लिए पाकिस्तानी सरकार से दूरी बनाए रखी थी.

पाकिस्तान की ओर से जारी बयान के अनुसार, शरीफ ने ‘दक्षिण एशिया में एक बड़ी तबाही को टालने” में मदद करने के लिए ट्रंप की सराहना की.

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति ट्रंप को अपनी सुविधानुसार पाकिस्तान की आधिकारिक यात्रा करने का हार्दिक और सौहार्दपूर्ण निमंत्रण भी दिया.’