मध्य प्रदेश में विषाक्त कफ सीरप से मरने वालों की संख्या 20 हुई, पांच बच्चों की हालत गंभीर

मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने बताया कि राज्य में दूषित कफ सीरप के सेवन से 20 बच्चों की मौत हौ गई और पांच बच्चों की हालत गंभीर है. मृतकों में 17 छिंदवाड़ा, दो बैतूल और एक पंढुर्ना ज़िले के हैं. इस महीने की शुरुआत में तमिलनाडु और मध्य प्रदेश में कफ सीरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल मिला हुआ पाया था, जिसके कारण दोनों राज्यों ने सीरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया.

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने बुधवार (8 अक्टूबर) को बताया कि राज्य में दूषित कफ सीरप के सेवन से 20 बच्चों की मौत हौ गई और पांच बच्चों की हालत गंभीर है.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, मरने वाले इन 20 बच्चों में से 17 छिंदवाड़ा जिले के, दो बैतूल के और एक पंढुर्ना के हैं. नागपुर के अस्पतालों में पांच बच्चों का किडनी फेल होने का इलाज चल रहा है.

उन्होंने आगे कहा, ‘दो बच्चे यहां (नागपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज) में, दो एम्स में और एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं. (मुख्यमंत्री) मोहन यादव सरकार ने सभी व्यवस्थाएं की हैं ताकि उन्हें इलाज के दौरान कोई परेशानी या आर्थिक बोझ न पड़े.’

वहीं, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि राज्य सरकार नागपुर में भर्ती बच्चों के इलाज का खर्च वहन करेगी.

रिपोर्ट के अनुसार, बुखार और सर्दी से पीड़ित होने के बाद बच्चों को कोल्ड्रिफ’ सीरप पिलाया गया था, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें उल्टी और पेशाब करने में समस्या हुई. पहली मौत 2 सितंबर को हुई थी. यह सीरप तमिलनाडु के कांचीपुरम स्थित श्रीसन फार्मास्युटिकल्स द्वारा निर्मित किया गया था.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, शुक्ला ने मृतक बच्चों के परिवारों से मिलने के बाद संवाददाताओं को बताया कि मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से एक पुलिस दल कोल्ड्रिफ कफ सीरप बनाने वाली कंपनी के मालिक को गिरफ्तार करने के लिए तमिलनाडु के कांचीपुरम गया है.

उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में बेहद सख्त है और कड़ी से कड़ी कार्रवाई कर रही है.

इस महीने की शुरुआत में तमिलनाडु और मध्य प्रदेश के औषधि नियंत्रण अधिकारियों ने पाया कि कफ सीरप में 45% से अधिक डायथिलीन ग्लाइकॉल मिला हुआ है, जो एक ऐसा रसायन है जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है, जिसके कारण दोनों राज्यों ने सीरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया.

ज्ञात हो कि दवाओं में केवल अल्प मात्रा में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल की अनुमति है तथा यदि अधिक मात्रा में इनका सेवन किया जाए तो ये किडनी के लिए अत्यधिक विषैले होते हैं.

द हिंदू के अनुसार, मध्य प्रदेश पुलिस ने छिंदवाड़ा के परासिया के एक सरकारी बाल रोग विशेषज्ञ प्रवीण सोनी को भी गिरफ्तार किया, जिन्होंने कई बच्चों (जिनकी बाद में मौत हो गई) को यह दवा लिखी थी. साथ ही, निर्माता के खिलाफ मामला दर्ज किया गया और मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया.

डॉक्टरों का प्रदर्शन

बाल रोग विशेषज्ञ की गिरफ्तारी के बाद कई डॉक्टरों ने परासिया में प्रदर्शन किया और अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की जिला इकाई ने डॉ. सोनी की तत्काल रिहाई की मांग की.

डॉक्टरों के एक प्रतिनिधिमंडल ने छिंदवाड़ा के अतिरिक्त कलेक्टर को एक ज्ञापन भी सौंपा. उन्होंने कहा, ‘वे उनकी रिहाई की मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन ने उन्हें कोई आश्वासन नहीं दिया है. पुलिस ने तथ्यों के आधार पर कार्रवाई की है. अगर उन्हें इससे कोई समस्या है, तो वे अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं.’

द हिंदू से बात करते हुए जनरल सर्जन और आईएमए परासिया इकाई के सचिव डॉ. अंकुर बत्रा ने दावा किया कि डॉ. सोनी के खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे हैं और सरकार ने ‘इस त्रासदी के लिए वास्तव में जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है.’

डॉ. बत्रा ने कहा, ‘वह कोई अपराधी नहीं, बल्कि एक बहुत वरिष्ठ डॉक्टर हैं. उनके साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए. दवा निर्माताओं और उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए जिन्होंने इसे इस्तेमाल की अनुमति दी थी. उन्होंने तो बस इसे लिखा था.’

उन्होंने आगे कहा, ‘हम मांग करते हैं कि उन्हें तुरंत रिहा किया जाए और जांच सामान्य रूप से जारी रहे. जब तक उन्हें रिहा नहीं किया जाता, तब तक अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रहेगी.’

उन्होंने कहा कि डेंटल एसोसिएशन, फार्मा एसोसिएशन और अन्य स्थानीय निकायों के सदस्य भी उनके विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए.