असम: चार बार सांसद रहे राजेन गोहेन ने भाजपा छोड़ी: बोले- पार्टी असमिया लोगों की सबसे बड़ी दुश्मन

पूर्व केंद्रीय मंत्री और चार बार सांसद रहे राजेन गोहेन ने 9 अक्टूबर को असम में भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया. उन्होंने कहा कि जिस भाजपा में वे अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में शामिल हुए थे, वह अब मौजूद नहीं है. भाजपा अब ‘असमिया लोगों की सबसे बड़ी दुश्मन’ है.

नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री और चार बार सांसद रहे राजेन गोहेन ने 9 अक्टूबर को असम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से इस्तीफा दे दिया. 2016 में सत्ता में आने के बाद से यह पार्टी की राज्य इकाई के लिए यह सबसे बड़ा उथल-पुथल भरा कदम है.

खबरों के अनुसार, असम भाजपा के पूर्व अध्यक्ष गोहेन ने अपने 17 समर्थकों के साथ पार्टी के गुवाहाटी मुख्यालय में अपना इस्तीफा सौंप दिया.

उनके जाने से पार्टी के पुराने नेताओं और 2015 में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा के नेतृत्व में नए नेतृत्व के बीच दरार खुलकर सामने आ गई है.

अपने त्यागपत्र में गोहेन ने आरोप लगाया कि पार्टी ने स्थानीय समुदायों के साथ विश्वासघात किया है. बाद में उन्होंने संवाददाताओं को बताया कि जिस भाजपा में वे अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में शामिल हुए थे, वे अब मौजूद नहीं है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, गोहेन ने कहा, ‘दूसरी पार्टियों से लोगों को लाने के बाद जिन बुज़ुर्गों ने अपने जीवन का सबसे अच्छा समय भाजपा को दिया है, उन्हें दरकिनार कर दिया गया है.’

उन्होंने जोड़ा कि भाजपा अब ‘असमिया लोगों की सबसे बड़ी दुश्मन’ है.

गोहेन ने कहा, ‘असम विधानसभा की लगभग 30-40 सीटें कभी अहोम समुदाय द्वारा तय की जाती थीं. लेकिन आज, ऐसा कोई निर्वाचन क्षेत्र नहीं है जिस पर वे टिकट का अधिकार जता सकें. पूरा समुदाय टूट गया है और बिखर गया है. उनका जो राजनीतिक प्रभाव होना चाहिए था, वह नगण्य है… आज अशोक सिंघल (शर्मा कैबिनेट में मंत्री) असम की किसी भी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं क्योंकि किसी भी असमिया समुदाय के पास कहीं भी निर्णायक शक्ति नहीं है.’

उनके असंतोष का एक प्रमुख कारण 2023 का परिसीमन है. अहोम समुदाय से ताल्लुक रखने वाले गोहेन ने पिछले साल विरोध में कैबिनेट स्तर के पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने आरोप लगाया कि उनके पूर्व नागांव निर्वाचन क्षेत्र के पुनर्निर्धारण ने इसकी जनसांख्यिकी को बदलकर इसे ‘भाजपा उम्मीदवारों के लिए जीतना असभंव’ बना दिया है.

द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान गोहेन ने चेतावनी दी थी कि पुराने पार्टी कार्यकर्ताओं की अनदेखी करने के ‘नतीजे’ होंगे.

गोहेन ने 1999 से 2019 तक नागांव का प्रतिनिधित्व किया, लेकिन पिछले दो चुनावों में उन्हें टिकट नहीं दिया गया, और दोनों ही बार यह सीट कांग्रेस ने जीती.

हालांकि, भाजपा ने उनके इस्तीफे के प्रभाव को कम करके आंका है. राज्य पार्टी प्रवक्ता रंजीब कुमार शर्मा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि गोहेन को पार्टी ने भरपूर ‘इनाम’ दिया है.

शर्मा के हवाले से कहा गया, ‘वह केंद्रीय राज्य मंत्री रह चुके हैं, राज्य सरकार में उन्हें कैबिनेट स्तर का पद मिला था. उन्हें इससे ज़्यादा और क्या चाहिए? पार्टी सिर्फ़ एक व्यक्ति के लिए नहीं है.’