बिहार चुनाव : एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर दरार, सहयोगी बोले- कुछ ठीक नहीं

बिहार में एनडीए द्वारा सीट बंटवारे की घोषणा के दो दिन बाद ही सहयोगी दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर सत्तारूढ़ गठबंधन में दरार दिखाई देने लगी है. एक ओर उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम और जीतन राम मांझी की पार्टी हम जैसे छोटे सहयोगियों ने खुलकर अपनी नाराज़गी जताई. वहीं, जदयू सदस्य भी चिराग पासवान की पार्टी को मिली सीटों को लेकर विरोध में नज़र आ रहे हैं.

नई दिल्ली: बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) द्वारा सीट बंटवारे की घोषणा के दो दिन बाद ही सहयोगी दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर सत्तारूढ़ गठबंधन में दरार दिखाई देने लगी है.

रिपोर्ट के मुताबिक, एक ओर उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) और जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) जैसे छोटे सहयोगियों ने खुलकर अपनी नाराजगी जताई है, वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) (जदयू) के सदस्यों ने भी चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) (लोजपा (आरवी)) को आवंटित 29 सीटों को लेकर अपना विरोध जताया है.

बताया जा रहा है कि मंगलवार (14 अक्टूबर) देर रात पटना में केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय और बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के साथ नई दिल्ली रवाना होने से पहले हुई एनडीए की बैठक के बाद बुधवार (15 अक्टूबर) सुबह आरएलएम प्रमुख और राज्यसभा सांसद कुशवाहा ने घोषणा की कि ‘एनडीए में कुछ भी ठीक नहीं है.’

कुशवाहा ने बुधवार सुबह पत्रकारों से कहा, ‘यह नाराज़ या खुश होने की बात नहीं है. आपको उनसे (चौधरी और राय) पूछना चाहिए. इस बार एनडीए में कुछ भी ठीक नहीं है.’

अमित शाह के साथ बैठक

बाद में बुधवार को कुशवाहा राय के साथ दिल्ली पहुंचे और पत्रकारों से कहा कि कुछ ‘मुद्दे’ हैं जिन्हें सुलझाया जाना है और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ एक बैठक होगी.

कुशवाहा ने दिल्ली में कहा, ‘मैंने पटना में भी कहा था कि गठबंधन में कुछ मुद्दे हैं जिन्हें सुलझाना होगा. हम यहां गृह मंत्री से मिलने आए हैं और मुझे विश्वास है कि सब कुछ सुलझ जाएगा.’

अमित शाह के साथ बैठक के बाद कुशवाहा ने बताया कि गठबंधन के ‘मुद्दों’ पर चर्चा हुई.

उन्होंने बुधवार दोपहर संवाददाताओं से कहा, ‘मैंने सुबह पटना में कहा था कि गठबंधन में कुछ समस्या है. हमने गृह मंत्री से मुलाकात की और इस मुद्दे पर चर्चा की और अब हमें उम्मीद है कि आगे कोई मुश्किल नहीं आएगी और एनडीए बिहार में सरकार बनाएगा.’

सोमवार को घोषित सीट बंटवारे के तहत, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जदयू पहली बार बराबरी पर आ गए हैं और दोनों दल 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे.

वहीं, पासवान की लोजपा (रालोद) 29 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि मांझी की हम और कुशवाहा की रालोद छह-छह सीटों पर चुनाव लड़ेंगी.

इससे पहले सोमवार को सीट बंटवारे की घोषणा के बाद, एक्स पर एक बयान में, कुशवाहा ने अपनी पार्टी के सदस्यों और समर्थकों से उनकी ‘उम्मीदों’ के मुताबिक सीटें हासिल न कर पाने के लिए माफ़ी मांगी थी और कहा था कि सीट बंटवारे से हज़ारों लोगों को नुकसान हो सकता है.

गठबंधन में सबसे बड़ा मुद्दा पासवान की लोजपा (रालोद) को ज़्यादा सीटें आवंटित किया जाना प्रतीत होता है, जिससे जदयू के कुछ वर्गों के साथ-साथ गठबंधन में शामिल छोटी पार्टियां भी नाराज़ हैं.

जदयू सांसद ने पद से इस्तीफ़ा देने की पेशकश की

मंगलवार को भागलपुर से जदयू सांसद अजय कुमार मंडल ने नीतीश कुमार को पत्र लिखकर अपने पद से इस्तीफ़ा देने की पेशकश की.

उन्होंने नीतीश को लिखा पत्र पोस्ट करते हुए सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा, ‘स्थानीय सांसद होने के बावजूद टिकट आवंटन के संबंध में मेरी किसी भी तरह से सलाह नहीं ली गई. इसलिए, मेरे लिए सांसद पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है.’

इसके अलावा मंगलवार को ही गोपालपुर से जदयू विधायक गोपाल मंडल ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर धरना दिया और गोपालपुर सीट से पांचवीं बार चुनाव लड़ने की मांग की, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें वहां से हटा दिया.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘मैं यहां मुख्यमंत्री से मिलने आया हूं और जब तक मैं उनसे मिलकर विधानसभा चुनाव के लिए टिकट मिलने का आश्वासन नहीं पा लेता, तब तक यहीं बैठा रहूंगा. मैं उनका इंतज़ार करूंगा और मुझे विश्वास है कि मेरा टिकट नहीं काटा जाएगा.’

बुधवार को जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा ने गठबंधन में किसी भी तरह की दरार की खबरों को खारिज करते हुए कहा कि कोई असंतोष नहीं है और जदयू में सभी फैसले नीतीश की सहमति से लिए जाते हैं.
उन्होंने कहा, ‘कुछ लोग एक कहानी गढ़ने और एक एजेंडा बनाने की कोशिश कर रहे हैं. नीतीश कुमार के पास बिहार और जदयू दोनों की पूरी कमान है. इस पार्टी में कोई भी फैसला नीतीश कुमार से सलाह-मशविरा और उनके विचारों पर विचार करने के बाद ही लिया जाता है. वह एक लोकतांत्रिक व्यक्ति हैं, निरंकुश नहीं. वह सभी से चर्चा करते हैं, सभी से फीडबैक लेते हैं और फिर कोई फैसला लेते हैं.’

केंद्रीय मंत्री मांझी ने भी माना कि जदयू ने जिन सीटों पर पहले चुनाव लड़ा था, उनमें से कुछ सीटें लोजपा (आरवी) को दे दी गई हैं.

उन्होंने मंगलवार को पासवान का नाम लिए बिना कहा कि जदयू में गुस्सा जायज़ है.

उन्होंने कहा, ‘उनका गुस्सा जायज़ है. मैं उनके गुस्से से सहमत हूं. जब फैसला हो चुका है, तो जदयू को आवंटित सीटों पर कोई और अपना उम्मीदवार क्यों उतार रहा है? उनसे सहमत होते हुए, मैं भी बोधगया और मखदुमपुर में अपने उम्मीदवार उतारूंगा. नीतीश कुमार के कदम से सहमत होते हुए, मैं दो सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार रहा हूं.’

सोमवार को मांझी ने कहा था कि उनकी पार्टी ने 15 सीटों की मांग की थी, लेकिन उन्हें छह सीटें मिलीं और हालांकि उन्हें दुख हुआ है, फिर भी पार्टी नेतृत्व के फैसले के साथ खड़ी रहेगी.

जदयू ने 57, तो भाजपा ने 71 उम्मीदवारों की सूची जारी की

बुधवार को जदयू ने 57 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी की. इससे पहले मंगलवार को भाजपा ने भी अगले महीने होने वाले चुनावों के लिए 71 उम्मीदवारों की सूची जारी की थी.

बुधवार को जदयू की सूची जारी करते हुए झा ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ता और एनडीए दल एकजुट हैं.

उन्होंने कहा, ‘जदयू और एनडीए के सभी घटक दलों के कार्यकर्ता एनडीए समर्थित सभी उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने और माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भारी बहुमत से फिर से मुख्यमंत्री बनाने के लिए एकजुट, दृढ़ और उत्साहित हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘हमें विश्वास है कि एनडीए समर्थित सभी उम्मीदवारों को बिहार की जागरूक जनता का पूरा समर्थन और आशीर्वाद मिलेगा.’

पासवान को 29 सीटें दिए जाने को 2024 के लोकसभा चुनावों में उनकी पार्टी के प्रदर्शन की स्वीकृति के रूप में देखा जा रहा है. 2020 के विधानसभा चुनावों में पासवान ने 135 सीटों पर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा था, जिनमें से अधिकांश जदयू उम्मीदवारों के खिलाफ थे, जिससे पार्टी को नुकसान हुआ था.

2024 के लोकसभा चुनावों में उनकी पार्टी ने जिन पांच सीटों पर चुनाव लड़ा, उन सभी पर जीत हासिल की और केंद्र में एनडीए सरकार के लिए एक प्रमुख गठबंधन सहयोगी बन गई.

गठबंधन के छोटे सहयोगियों को एक रहस्यमय संदेश में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने सोमवार को 2010 के बिहार विधानसभा चुनावों में भाजपा और जदयू के स्ट्राइक रेट का ज़िक्र किया.

उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘ये होता है असली स्ट्राइक रेट. आज मजबूत सीट लेकर स्ट्राइक रेट का झुनझुना बजा रहे है. 2010 के बिहार चुनाव में एनडीए ने रचा था इतिहास. 243 में से जीतीं 206 सीटें! जदयू ने 141 में से 115 सीटें जीतीं ..स्ट्राइक रेट 81%. भाजपा ने 102 में से 91 सीटें जीतीं ..स्ट्राइक रेट 89%. इतनी प्रचंड जीत बिहार की राजनीति में फिर कभी नहीं दोहराई गई.’