डॉ. मोहन यादव के ‘नवरत्न’

सीएम डॉ. मोहन यादव देश के सबसे सशक्त मुख्यमंत्रियों में गिने जा रहे हैं।
देश में मप्र का शासन और प्रशासन अन्य राज्यों के लिए मिसाल बना हुआ है। इसकी सबसे बड़ी वजह मुख्यमंत्री का प्रदेश की जनता के प्रति समर्पण और उनके नवरत्नों की कर्तव्यनिष्ठा। दरअसल, मुख्यमंत्री ने प्रशासनिक गतिविधियों को सुचारू रूप से चलाने के लिए ऐसे अफसरों की टीम बनाई है जो सीएम सचिवालय से लेकर मैदान तक मोर्चा संभाल रखा है। मुख्यमंत्री के नवरत्नों में उज्जैन संभाग आयुक्त आशीष सिंह, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री नीरज मंडलोई, अपर मुख्य सचिव शिवशेखर शुक्ला, सचिव आलोक सिंह, अपर सचिव डॉ. इलैया राजा टी, अपर सचिव चंद्रशेखर वालिम्बे, राजेश कुमार हिंगणकर, जनसंपर्क आयुक्त दीपक सक्सेना, उज्जैन कलेक्टर रौशन सिंह शामिल हैं।
नीरज मंडलोई: मुख्यमंत्री के नवरत्नों में शामिल अपर मुख्य सचिव नीरज मंडलोई मुख्यमंत्री मोहन यादव का अतिरिक्त मुख्य सचिव बनाया गया है। मंडलोई जब से सीएम सचिवालय में पदस्थ हुए हैं तब से सरकारी कामकाज रफ्तार पकड़ चुका है। पहली बार यह देखने को मिल रहा है कि मुख्यमंत्री सचिवालय में फाइलों का निपटारा उसी दिन हो रहा है, जिस दिन वह वहां पहुंचती है। मंडलाई के कारण सीएम सचिवालय के अन्य अफसरों में अभूतपूर्व समन्वय देखा जा रहा है।

शिवशेखर शुक्ला: अपर मुख्य सचिव शिवशेखर शुक्ला प्रदेश के उन अधिकारियों में शामिल हैं जिनके पास सबसे अधिक विभाग है। 1994 बैच के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी शिवशेखर शुक्ला के पास गृह विभाग का अतिरिक्त प्रभार है। इसके अलावा वे अपर मुख्य सचिव, संस्कृति एवं पर्यटन विभाग सहित आयुक्त-सह-संचालक, स्वराज संस्थान एवं वासी सचिव, भारत भवन तथा प्रबंध संचालक, पर्यटन विकास बोर्ड के पदों पर पदस्थ हैं। शुक्ला को गृह विभाग की जिम्मेदारी उनके वर्तमान कार्यों के साथ अतिरिक्त रूप से सौंपी गई है। यह इस बात का संकेत है कि मुख्यमंत्री उन पर कितना विश्वास करते हैं।
आलोक कुमार सिंह: आलोक कुमार सिंह भी मुख्यमंत्री के नवरत्नों में शामिल हैं। ये मुख्यमंत्री के सचिव का काम संभाल रहे हैं। नीरज मंडलोई को मुख्यमंत्री का अपर मुख्य सचिव बनाए जाने के बाद मुख्यमंत्री सचिवालय में इनको लाया गया है। बताया जाता है की मंडलोई के दाहिने हाथ की तरह ये सीएम सचिवालय में काम संभाले हुए हैं।
ये संभाल रहे बड़ी जिम्मेदारी
मुख्यमंत्री सचिवालय में और जिन अफसरों ने बड़ी जिम्मेदारी संभाली है उनमें अपर सचिव डॉ. इलैया राजा टी, अपर सचिव चंद्रशेखर वालिम्बे, राजेश कुमार हिंगणकर शामिल हैं। मुख्यमंत्री के नवरत्नों में शामिल ये अधिकारी सीएम डॉ. मोहन यादव की घोषणाओं को अमलीजामा पहनाने में मुख्य भूमिका निभाते हैं। मुख्यमंत्री सचिवालय में बैठकर ये पूरे प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था पर नजर रखते हैं। वहीं उज्जैन कलेक्टर रौशन सिंह भी सीएम के नवरत्नों में शामिल हैं। उनके ऊपर सिंहस्थ की भव्य तैयारियों का भार है। यहां बता दें की सिंहस्थ मुख्यमंत्री के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। इसलिए उन्होंने तेजतर्रार अफसरों को उज्जैन में पदस्थ किया है।
दीपक सक्सेना: प्रदेश में सरकार की ब्रांडिंग कराने की जिम्मेदारी 2010 बैच के आईएएस अधिकारी दीपक सक्सेना के पास है। सरकार ने उन्हें आयुक्त जनसंपर्क बनाया है। दीपक सक्सेना दीपक सक्सेना साफ सुथरी छवि के आईएएस अधिकारी माने जाते हैं। प्रशासन में जवाबदेही और कार्रवाई को लेकर उनका रिकॉर्ड प्रशंसनीय है। जनसंपर्क विभाग की कार्यों की दुरुस्त करना उनका पहला काम रहने वाला है। उनकी कोशिश होगी कि सरकारी योजनाएं आम जनों तक सही समय पर पहुंचे ताकि लोगों को इसका लाभ मिल सके। जाहिर है उनके नये अभियान से मध्य प्रदेश सरकार की छवि में और भी निखार आएगा। उनकी कोशिश जनता और सरकार के बीच संवाद स्थापित करना होगा। दीपक सक्सेना के बारे में माना जाता है कि वो भ्रष्टाचार के सख्त विरोधी हैं। विभागीय कार्यवाहियों में लेटलफीती या गड़बड़ियों को पसंद नहीं करते। उन्होंने जबलपुर में सेवा के दौरान शिक्षा माफिया और राशन प्रणाली में गड़बड़ियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की थी।
उज्जैन संभाग आयुक्त आशीष सिंह
के ये नवरत्न ऐसे हैं जिन्हें प्रशासन में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती सिंहस्थ है। इसको देखते हुए मुख्यमंत्री ने आशीष सिंह को गृह संभाग उज्जैन का संभागायुक्त बनाया गया है। सरकार उन्हें पहले ही 2028 में होने वाले सिंहस्थ मेले का मेला अधिकारी नियुक्त कर चुकी है। उज्जैन के नए संभागायुक्त आशीष सिंह को सिंहस्थ मेला अधिकारी का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया है। उज्जैन के पूर्व कलेक्टर और वर्तमान इंदौर जिलाधीश आशीष सिंह की महाकाल की नगरी को सबसे ज्यादा जरूरत थी। उन्होंने उज्जैन के चप्पे-चप्पे, राजनीतिक समीकरणों और लोगों की मानसिकता को गहराई से समझा और परखा है। महाकाल मंदिर से जुड़े विकास कार्य, व्यवस्थाएं और सनातन आस्था से जुड़े कई कठिन निर्णयों के शिल्पकार आशीष सिंह रहे हैं और अपने कार्यकाल में वे इसमें सफल भी रहे हैं। स्पष्ट सोच, प्रैक्टिकल दृष्टिकोण और सख्त निर्णय लेने के लिए जाने जाने वाले आशीष सिंह को उज्जैन में 2028 के सिंहस्थ कुंभ की सफलता के लिए अहम किरदार माना जा रहा है।