सरकार द्वारा संसद में पेश किए गए आंकड़ों से सामने आया है कि जून 2014 से इस साल अक्टूबर तक ईडी ने पीएमएलए के तहत 6,312 मामले दर्ज किए हैं. हालांकि, इसी अवधि के दौरान एजेंसी पीएमएलए के प्रावधानों के तहत केवल 120 आरोपियों को सज़ा दिला सकी.

नई दिल्ली: सरकार द्वारा संसद में पेश किए गए आंकड़ों से सामने आया है कि जून 2014 से इस साल अक्टूबर तक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत 6,312 मामले दर्ज किए हैं.
हालांकि, इसी अवधि के दौरान एजेंसी पीएमएलए के प्रावधानों के तहत केवल 120 आरोपियों को सजा दिला सकी.
इस संबंध में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी द्वारा लोकसभा में दिए गए डेटा के मुताबिक, अगस्त 2019 की शुरुआत से ईडी ने 93 ऐसे मामलों में विशेष पीएमएलए अदालतों के समक्ष क्लोजर रिपोर्ट भी दायर की, जिनमें मनी लॉन्ड्रिंग का कोई अपराध नहीं बना था.
पीएमएलए के 2019 के संशोधन, जो उस वर्ष 1 अगस्त को लागू हुआ था, से पहले जिन मामलों में मनी लॉन्ड्रिंग का कोई अपराध नहीं बनता था, उन्हें क्षेत्रीय विशेष प्रवर्तन निदेशक की पूर्व स्वीकृति से बंद कर दिया जाता था. 1 जुलाई, 2005 – जब पीएमएलए लागू होना शुरू हुआ – और 31 जुलाई, 2019 के बीच ऐसे 1,185 मामले बंद किए गए.
पश्चिम बंगाल के आसनसोल से तृणमूल कांग्रेस के सांसद और पूर्व अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने 1 जून, 2014 – नरेंद्र मोदी के पहली बार प्रधानमंत्री बनने के कुछ दिनों बाद – से 1 नवंबर, 2025 के बीच ईडी द्वारा दर्ज किए गए मामलों और उनमें दोषसिद्धि की संख्या पूछी थी.
इसके जवाब में मंत्री चौधरी द्वारा उपलब्ध कराए गए डेटा में सामने आया है कि इस अवधि के दौरान कुल 6,312 मामले दर्ज किए गए और कुल 120 मामलों में दोषसिद्धि हुई.
वित्तीय वर्ष 2019-20 से पहले दर्ज मामलों की संख्या 200 तक नहीं पहुंची थी या उससे अधिक नहीं थी, लेकिन उस वित्तीय वर्ष के दौरान यह 557 तक पहुंच गई. 2020-21 में यह बढ़कर 996 हो गई और 2021-22 में इसकी संख्या 1,116 हो गई. इसके बाद पूरे एक साल में इसमें कमी तो आई, लेकिन यह संख्या कभी भी 700 से कम नहीं हुई.
सिन्हा ने यह भी पूछा कि क्या यह सच है कि ’49 मामलों में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की गई है और यदि हां, तो उसका विवरण क्या है?’
इससे पहले चौधरी ने जुलाई में संसद में दिए गए एक जवाब में कहा था कि ईडी ने 1 नवंबर, 2015 से 30 जून, 2025 के बीच विशेष पीएमएलए अदालतों में उसी अवधि के दौरान दर्ज मामलों में से 49 क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थीं.
सिन्हा के प्रश्न का उत्तर देते हुए मंत्री ने सोमवार (1 दिसंबर) को कहा कि 1 अगस्त, 2019 से ईडी ने 93 ऐसे मामलों में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की है जिनमें मनी लॉन्ड्रिंग का कोई अपराध नहीं बनता था.
मंत्री के जवाब में इसके लिए ‘विभिन्न कारणों’ को जिम्मेदार ठहराया गया, जैसे कि अपराध को जिस मामले में सूचीबद्ध किया गया था, उसे बंद करना. ऐसे मामले जहां अदालत को पीएमएलए के तहत परिभाषित (सूचीबद्ध) अपराध से संबंधित कोई अपराध नहीं मिला, संबंधित अपराध के मामले को रद्द करना आदि.
हालांकि, ईडी द्वारा निर्दिष्ट विशेष अदालतों के समक्ष क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए पीएमएलए में संशोधन किए जाने से पहले 14 वर्षों में इसने 1,185 ऐसे मामले बंद कर दिए थे जिनमें मनी लॉन्ड्रिंग का कोई अपराध नहीं बनता था.
ज्ञात हो कि ईडी को पुलिस या किसी अन्य एजेंसी द्वारा पीएमएलए के संदर्भ में ‘प्रेडिकेट ऑफेंस’ के तहत मामला दर्ज किए जाने के बाद मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों की जांच करने का अधिकार है. पीएमएलए के भाग ए और सी में वर्णित अपराधों को सूचीबद्ध (scheduled) अपराध कहा जाता है.
मोदी सरकार ने पीएमएलए में संशोधन करके इसकी शक्तियों का विस्तार किया है, जिसके तहत अन्य बातों के अलावा आरोपी व्यक्तियों को ज़मानत पाने के लिए प्रथमदृष्टया अपनी बेगुनाही साबित करनी होगी.
आलोचकों का कहना है कि पीएमएलए एजेंसी का दुरुपयोग भाजपा के राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए किया जा सकता है और सर्वोच्च न्यायालय का 2022 का फैसला, जिसमें संशोधनों को बरकरार रखा गया था, जो बेहद विवादास्पद रहा. शीर्ष अदालत की तीन न्यायाधीशों की पीठ वर्तमान में अपने फैसले को चुनौती देने पर विचार कर रही है.
इस साल की शुरुआत में अदालत की एक पीठ ने इस बात पर गौर किया था कि एजेंसी ने जितने मामले दर्ज किए हैं, उनकी तुलना में उसे कम सजाएं मिली हैं.
इसी तरह राजनेताओं के खिलाफ दर्ज मामलों की तुलना में उन्हें दोषसिद्धि दिलाने की संख्या भी कम है.