वक़्फ़ पंजीकरण की समयसीमा ख़त्म, रिजिजू बोले- मार्च तक कोई जुर्माना नहीं; लंबित मामले न्यायाधिकरण देखेंगे

विभिन्न वक़्फ़ बोर्डों द्वारा उम्मीद पोर्टल के क्रैश होने पर ज़्यादातर संपत्ति रिकॉर्ड अपलोड नहींं होने को लेकर चिंता व्यक्त किए जाने के बाद केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि विभिन्न राज्यों के वक़्फ़ न्यायाधिकरण पंजीकरण से संबंधित शिकायतों का समाधान करेंगे और पंजीकरण न कराने वालों पर तीन महीने तक कोई जुर्माना नहीं लगाया जाएगा.

नई दिल्ली: विभिन्न वक़्फ़ बोर्डों द्वारा ‘एकीकृत वक़्फ़ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास’ (उम्मीद) पोर्टल के क्रैश होने पर ज्यादातर संपत्ति रिकॉर्ड अपलोड नहींं होने को लेकर चिंता व्यक्त किए जाने के बाद केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि विभिन्न राज्यों के वक़्फ़ न्यायाधिकरण पंजीकरण से संबंधित शिकायतों का समाधान करेंगे और पंजीकरण न कराने वालों पर तीन महीने तक कोई जुर्माना नहीं लगाया जाएगा.

इससे पहले द वायर ने बताया था कि प्रमुख वक़्फ़ बोर्ड 6 दिसंबर को समयसीमा समाप्त होने से पहले अपनी संपत्ति के रिकॉर्ड का केवल एक अंश ही अपलोड कर पाए हैं.

वहीं, इंडियन एक्सप्रेस ने बताया है कि सबसे अधिक वक़्फ़ भूमि वाले पांच राज्यों में से चार में कुल वक़्फ़ संपत्तियों का केवल दसवां हिस्सा ही अपलोड किया जा सका है.

इस संबंध में सभी वक़्फ़ बोर्ड समय सीमा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं और उन्हें प्रमुख विपक्षी दलों का समर्थन भी मिला है.

इस मामले पर शुक्रवार को रिजिजू ने कहा कि अगले तीन महीनों तक कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी और जो लोग पंजीकरण नहीं कर पाए हैं वे वक़्फ़ न्यायाधिकरण का रुख कर सकते हैं.

मालूम हो कि केंद्र सरकार ने वक़्फ़ संपत्तियों का एक केंद्रीकृत डिजिटल डेटाबेस बनाने के उद्देश्य से 6 जून को उम्मीद पोर्टल लॉन्च किया था. वक़्फ़ बोर्डों को अपनी संपत्तियों का पंजीकरण कराना अनिवार्य था, लेकिन यह प्रक्रिया कई तकनीकी खामियों से ग्रस्त रही है.

इसके अलावा अधिकांश संपत्तियों के रिकॉर्ड सदियों पुराने हैं और वक़्फ़ बोर्ड राज्यों में अलग-अलग भूमि-माप से जूझ रहे हैं, जिसे मानकीकृत उम्मीद पोर्टल स्वीकार नहीं कर पाया है.

शुक्रवार को रिजिजू ने स्वीकार किया कि कई सांसदों और नेताओं ने उनसे समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया था क्योंकि लगभग नौ लाख संपत्तियां अभी भी पोर्टल पर पंजीकृत नहीं हुई हैं.

उन्होंने कहा कि ऐसे अनुरोधों को देखते हुए मंत्रालय कोई समाधान निकालेगा.

‘सरकार सबकी मदद करना चाहती है, लेकिन संसद द्वारा पारित अधिनियम में कोई बदलाव नहीं’

रिजिजू के अनुसार, ‘वक़्फ़ (संशोधन) अधिनियम पारित होने के बाद हमने उम्मीद पोर्टल लॉन्च किया. अधिनियम के मुताबिक, भारत में सभी वक़्फ़ संपत्तियों को छह महीने के भीतर उम्मीद पोर्टल पर पंजीकृत किया जाना था. यह अनिवार्य था. आज अंतिम तिथि है, और लाखों वक़्फ़ संपत्तियां पंजीकृत नहीं हुई हैं.’

रिजिजू ने आगे कहा, ‘तीन महीने तक हम कोई सख्त कदम नहीं उठाएंगे और न ही कोई जुर्माना लगेगा. तीन महीने में वक़्फ़ संपत्तियों का पंजीकरण पोर्टल पर हो जाना चाहिए. जो लोग अभी तक पंजीकरण नहीं करा पाए हैं, उन्हें (वक़्फ़) न्यायाधिकरणों में जाना चाहिए.’
अल्पसंख्यक मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का हवाला देते हुए बताया, ‘इसकी समयसीमा में कोई विस्तार नहीं होगा, और न्यायाधिकरणों के पास यह अधिकार है… अगर आपकी संपत्ति का पंजीकरण अभी तक नहीं हो पाया है, तो न्यायाधिकरण इसे छह महीने के लिए बढ़ा सकते हैं… सरकार सबकी मदद करना चाहती है. लेकिन संसद द्वारा पारित अधिनियम में कोई बदलाव नहीं हो सकता.’

उन्होंने आगे कहा, ‘मैं सबसे पहले यह बताना चाहूंगा कि उम्मीद पोर्टल पर अब तक 1.51 लाख वक़्फ़ संपत्तियां पंजीकृत हो चुकी हैं. कर्नाटक और पंजाब जैसे कुछ राज्यों ने अच्छा प्रदर्शन किया है… कुछ बड़े राज्य पिछड़ गए हैं. मुझे बताया गया है कि कुछ जगहों पर पोर्टल धीमा चल रहा था, और कुछ लोगों के पास दस्तावेज़ नहीं थे.’

पुरानी वक़्फ़ संपत्तियों का रिकॉर्ड न रखने वाले मुतवल्लियों के बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने कहा, ‘अगर कोई वक़्फ़ संपत्ति है जिसके कागज़ात नहीं हैं, तो ट्रिब्यूनल उसकी जांच करेंगे. मैं उनकी जांच नहीं कर सकता. अगर कोई संपत्ति वक़्फ़ है, तो उसके दस्तावेज होंगे. वक़्फ़ अधिनियम संपत्तियों के कुशल प्रबंधन और उनका दुरुपयोग न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है और इसका उपयोग गरीबों और पिछड़ों के लिए किया जाता है.’

हालांकि, केंद्र सरकार का दावा है कि एक डिजिटल डेटाबेस यह सुनिश्चित करेगा कि इन संपत्तियों का बेहतर और पारदर्शी तरीके से प्रबंधन और संरक्षण किया जाए, कई वक़्फ़ बोर्ड इस कदम को धार्मिक निकायों के प्रबंधन में सरकार के सीधे उल्लंघन के रूप में देखते हैं.

गौरतलब है कि अनुमान बताते हैं कि देश भर में लगभग 8.8 लाख वक़्फ़ संपत्तियां हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश लगभग 1.4 लाख के साथ सबसे आगे है. इसके बाद पश्चिम बंगाल में ऐसी अनुमानित 80,480 संपत्तियां हैं, जो दूसरे स्थान पर है. पंजाब (75,511), तमिलनाडु (66,092), और कर्नाटक (65,242) इन राज्यों के बाद की सूची में आते हैं.

मालूम हो कि बिहार और उत्तर प्रदेश को छोड़कर, जहां सुन्नी और शिया बोर्ड अलग-अलग काम करते हैं, बाकी सभी राज्यों में एकीकृत वक़्फ़ बोर्ड हैं.