इंडिगो संकट: सरकार द्वारा नियमों में छूट देने पर पायलट संघ नाराज़, कहा- सुरक्षा से सीधा समझौता है

इंडिगो संकट के बीच सरकार द्वारा पायलटों के नए उड़ान ड्यूटी समय सीमा नियम (एफडीटीएल) को ‘तत्काल प्रभाव से फिलहाल स्थगित’ करने के फैसले की पायलट संघ ने कड़ी आलोचना की है. एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने डीजीसीए को एक पत्र लिखते हुए कहा कि यह फैसला सुरक्षा से सीधा समझौता है. पायलटों की थकान से यात्रियों की जान ख़तरे में पड़ सकती है.

नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो द्वारा शुक्रवार (5 दिसंबर) को बड़ी संख्या में उड़ानें रद्द करने और विमान सेवा में घंटों की देरी के बाद सरकार ने पायलटों के नए उड़ान ड्यूटी समय सीमा नियम (एफडीटीएल) को ‘तत्काल प्रभाव से फिलहाल के लिए’ स्थगित कर दिया है.

सरकार की ओर से केंद्रीय नागर विमानन मंत्री राम मोहन नायडू ने बताया कि यह फैसला केवल यात्रियों के हित में लिया गया है, खासकर वरिष्ठ नागरिकों, छात्रों, मरीजों और जरूरी यात्रा करने वालों को राहत देने के लिए.

नायडू ने कहा, ‘एक नवंबर से डीजीसीए ने नए एफडीएल नियम लागू किए. मंत्रालय ने एयरलाइनों के साथ कम से कम छह महीने तक निरंतर संवाद भी किया. पहले इस नियम के बारे में कोई समस्या नहीं थी. एअर इंडिया और स्पाइसजेट जैसी अन्य एयरलाइन ने अपने संचालन को ढाल लिया. लेकिन जो हुआ वह इंडिगो की चालक दल (क्रू) के प्रबंधन की गड़बड़ी के कारण हुआ. हमने सामान्य स्थिति सुनिश्चित करने के लिए इंडिगो को एफडीटीएल नियमों में कुछ छूट दी है.’
हालांकि, सरकार के इस फैसले के खिलाफ पायलट संघ ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है.

एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एएलपीए) ने नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) को एक पत्र लिखते हुए कहा कि यह फैसला सुरक्षा से सीधा समझौता है. पायलटों की थकान से यात्रियों की जान खतरे में पड़ सकती है.

एसोसिएशन के अनुसार, इंडिगो ने जानबूझकर यह संकट खड़ा किया, जिससे उसे नियमों में ढील मिल सके. इसलिए इंडिगो के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और एफडीटीएल के दूसरे चरण के नियमों को पूरी तरह लागू किए जाएं बिना किसी भी एयरलाइन को इसमें छूट दिए.’

ये फैसला खतरनाक मिसाल कायम करेगा: पायलट संघ

एसोसिएशन ने इंडिगो प्रबंधन के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि रात्रिकालीन ड्यूटी से संबंधित मानदंडों में ढील से इंडिगो को अपने परिचालन को स्थिर करने में मदद मिलेगी, लेकिन यह छूट एक ख़तरनाक मिसाल कायम करेगी.

एएलपीए के अध्यक्ष कैप्टन सैम थॉमस द्वारा लिखे पत्र में कहा गया, ‘बार-बार किए गए अनुरोधों, औपचारिक पत्रों और आपके सम्मानित कार्यालय के साथ सीधी बातचीत के बावजूद आपके द्वारा लिए गए इस फैसले ने एफडीटीएल की मूल भावना को कमज़ोर किया है और उड़ान भरने वाले लोगों की सुरक्षा को गंभीर रूप से ख़तरे में डाला है.’

थॉमस के अनुसार, डीजीसीए ने 25 नवंबर की बैठक में इस बात पर सहमति जताई थी कि किसी भी ऑपरेटर को, खासकर व्यावसायिक हितों से प्रेरित, कोई छूट या बदलाव नहीं दिया जाएगा. सभी ऑपरेटरों के पास नए एफडीटीएल को लागू करने के लिए लगभग दो साल का समय था, और वह भी दो चरणों में. इस पर्याप्त समय के बावजूद इंडिगो अपना रोस्टर तैयार करने में विफल रही और इसके बजाय एयरलाइन ने 2025 की सर्दियों के लिए अपने परिचालन को बढ़ा दिया, जिसे आपके कार्यालय ने मंजूरी दे दी थी.

थॉमस ने आगे लिखा, ‘यह भी उतना ही संदिग्ध है कि 1 नवंबर को दूसरे चरण के अमल के 35 दिन बाद इतने बड़े पैमाने पर व्यवधान कैसे सामने आए. ये घटनाएं गंभीर चिंताएं पैदा करती हैं कि ‘सार्वजनिक असुविधा’ के बहाने व्यावसायिक लाभ के लिए सरकार पर दबाव डालने के लिए एक कृत्रिम संकट पैदा किया गया था.’

उन्होंने आगे कहा कि इंडिगो को चुनिंदा छूट देकर, डीजीसीए ने अन्य सभी ऑपरेटरों के लिए अपने परिचालन, वाणिज्यिक या समय-सारिणी संबंधी कारणों का हवाला देकर एफडीटीएल नागरिक उड्डयन आवश्यकता से समान छूट की मांग करने का रास्ता खोल दिया है. यह नागरिक उड्डयन आवश्यकता के मूल सिद्धांत और उद्देश्य को ही कमजोर करता है.
एयरलाइन के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की मांग

एसोसिएशन ने मांग की है कि डीजीसीए इंडिगो को दी गई सभी छूट तुरंत वापस ले और एयरलाइन के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई शुरू करे.

संघ के अनुसार, ‘इंडिगो ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि उन्होंने अपनी परिचालन क्षमता का गलत आकलन किया था; फिर भी, जनता को भारी असुविधा पहुंचाने के लिए उन्हें फटकार लगाने या दंडित करने के बजाय, डीजीसीए ने उन्हें और छूट दे दी. इस कार्रवाई ने न केवल परिचालन कुप्रबंधन को बढ़ावा दिया है, बल्कि यात्रियों की जान को भी सीधे खतरे में डाल दिया है.’

इस बीच डीजीसीए ने इंडिगो के संकट की जांच के लिए चार सदस्यीय समिति बनाई है, जिसकी अध्यक्षता एक संयुक्त डॉरेक्टर जनरल पद के अधिकारी करेंगे. यह समिति संकट के कारणों की जांच करेगी, जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय करेगी और इंडिगो द्वारा उठाए गए सुधारात्मक कदमों की समीक्षा करेगी.

इसके अलावा डीजीसीए ने इंडिगो को राहत देने के लिए अपने A320 टाइप-रेटेड फ्लाइट ऑपरेशन्स इंस्पेक्टर (FOIs) को भी उड़ान संचालन में लगाने की पेशकश की है.

इंडिगो ने फिर मांगी माफ़ी

इस संबंध में इंडिगो ने भी शुक्रवार देर रात सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक बार फिर माफ़ी मांगते हुए एक बयान जारी किया. एयरलाइन ने भरोसा दिलाया कि रद्द हुई उड़ानों के बाद सभी यात्रियों को जल्द ही रिफंड कर दिया जाएगा.

एक नए संदेश में इंडिगो ने कहा, ‘हम माफ़ी चाहते हैं और समझते हैं कि पिछले कुछ दिन आप में से कई लोगों के लिए बेहद मुश्किल रहे हैं. यह समस्या रातों-रात हल नहीं होगी, लेकिन हम भरोसा दिलाते हैं कि इस दौरान आपकी मदद के लिए हम अपनी पूरी क्षमता से काम करेंगे और अपनी सेवाओं को जल्द से जल्द सामान्य करने की कोशिश करेंगे.’
साथ ही इंडिगो का कहना है कि वह 5 से 15 दिसंबर 2025 के बीच की यात्रा पर कैंसिलेशन और री-शेड्यूलिंग शुल्क पूरी तरह माफ़ करेगा. कंपनी ने यात्रियों से कहा है कि वे ऑनलाइन फ्लाइट स्टेटस चेक करें और अगर उनकी उड़ान रद्द है तो एयरपोर्ट न जाएं.

शनिवार (6 दिसंबर) को सरकार ने भी इंडिगो को निर्देश दिया है कि वह बिना देर किए सभी लंबित रिफंड क्लियर करे. और यह रिफंड प्रक्रिया रविवार 7 दिसंबर की रात 8 बजे तक पूरी हो जानी चाहिए.

गौरतलब है कि इंडिगो को लेकर शुक्रवार को लगातार चौथे दिन देशभर के हवाई अड्डों पर अव्यवस्था देखने को मिली थी. इस दौरान इंडिगो एयरलाइंस की 500 से अधिक उड़ानें रद्द कर दी गई थीं, तो वहीं कई घंटों देरी से चलीं, जिसके चलते हज़ारों यात्री एयरपोर्ट पर घंटों से फंसे रहें.

इस संबंध में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इंडिगो संकट को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा था और आरोप लगाया था कि इंडिगो की विफलता इस सरकार के ‘एकाधिकार मॉडल’ का नतीजा है.

शुक्रवार को ट्वविटर पर तमाम यात्रियों ने इंडिगो की सेवाओं को लेकर अपनी समस्याएं जाहिर की. लोगों ने उड्डयन मंत्रालय और डीजीसीए को टैग करते हुए कई सवाल पूछे और इस कुप्रबंधन के लिए सरकार की जवाबदेही की बात भी कही.