जहरीली हवा: 3 माह में सांस के 16 हजार मरीज अस्पतालों में भर्ती.

भोपाल/मंगल भारत
राजधानी सहित मध्यप्रदेश में लोगों के फेफड़ों में संक्रमण और सांस की परेशानी के मामले बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञ इसे हवा में धूल के कणों की मात्रा बढ़ने और पिछले कुछ महीनों से मौसम परिवर्तन से वायु प्रदूषण बढ़ने का नतीजा बता रहे हैं। वायु प्रदूषण बढ़ने से फेफड़े और सांस संबंधी रोग के नए मरीज सामने आ रहे हैं तो दमा, ब्रोंकाइटिस और हार्ट सहित सास संबंधी मरीजों को दौरे पड़ रहे हैं। उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ रहा है।
सागर में सबसे ज्यादा परेशानी
रिपोर्ट के अनुसार सांसों की गंभीर परेशानी के कारण विभिन्न अस्पतालों में भर्ती होने के सबसे ज्यादा मामले सागर जिले में दर्ज किए गए। इस मामले में भोपाल छठे स्थान पर है। सागर में 2321 लोगों, भोपाल में 1294 लोगों को भर्ती किया गया। भिंड में 1562, जबलपुर में 1523, ग्वालियर में 1499 और रीवा में 1365 लोगों को दमा, फेफड़ों में संक्रमण और सांस की अन्य गंभीर परेशानी के कारण अस्पतालों में भर्ती किया गया।
भोपाल में प्रदूषण का यह हाल
नवंबर में देश के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में भोपाल 20वें स्थान पर था। निर्माण कार्यों से हवा में धूल के पीएम 2.5 कण बढ़ गए हैं। बीते माह से एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) 185-332 चल रहा है।
सांस के मरीजों के साथ ही गर्भवती महिलाओं, बच्चों को बाहर निकलते समय मास्क पहनना चाहिए। सुबह चार बजे तक वॉकिंग और व्यायाम करने से परहेज करें। इस समय वायु ज्यादा प्रदूषित होती है। दिन में धूल उड़ने वाले क्षेत्र में भी जाने से परहेज करना चाहिए।
सर्दी में समस्याएं
सर्दी में धुंध, जरूरत से ज्यादा वाहनों का धुआं, पराली जलाने, निर्माण कार्य और मौसम के कारण पीएम 2.5, पीएम 10 कण हवा में बढ़ जा रहे हैं। इनके फेफड़ों में जमा की वजह से सांसों की तकलीफ, खांसी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस (श्वास नलियों में सूजन) और हृदय में संक्रमण सहित अन्य परेशानी बढ़ जाती है।
जनवरी से नवंबर तक 36 हजार से ज्यादा भर्ती हुए
108 एम्बुलेंस सेवा की और से जारी सांस रोग के मरीजों की रिपोर्ट के अनुसार जनवरी से नवंबर तक प्रदेश में 36,671 लोग अस्पताल में भर्ती हुए। इनमें से 16 हजार लोगों को बीते तीन माह में भर्ती करना पड़ा। इनमें भोपाल के लगभग 1300 लोग हैं। इन्हें सांस की परेशानी बढ़ने पर 108 एंबुलेंस से ले जाया गया।