अरबों रुपए खर्च…फिर भी सडक़ों पर लाखों पशु

मप्र निराश्रित पशुओं के लिए शुरू की गई योजनाएं बेअसर

भोपाल/मंगल भारत
मप्र में सरकार का फोकस गौ संवर्धन और संरक्षण पर है। इसके साथ ही सरकार मप्र निराश्रित पशुओं के लिए योजनाएं चला रही है। ताकि प्रदेश की सडक़ों से पशुओं को हटाया जा सके। इसके लिए सरकार ने करीब आधा दर्जन योजनाएं संचालित कर रखी है। इन योजनाओं पर अरबों रूपए खर्च किए गए हैं। लेकिन विडंबना यह है कि उसके बाद भी प्रदेश की सडक़ों पर लाखों पशु अभी भी देखे जा सकते हैं। निराश्रित पशुओं के कानों के ऊपर टैग लगाने को लेकर एक अभियान पशुपालन विभाग ने चलाया था, लेकिन इसका ग्रामीणों और पशु मालिकों ने विरोध शुरू कर दिया। इसके बाद इसे रोकना पड़ा। क्योंकि, इसमें मालिक का पता चलते ही उसके खिलाफ कार्रवाई करने का प्रावधान था।
मप्र में निराश्रित पशुओं की समस्या एक बड़ी चुनौती है, जिससे निपटने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जैसे स्वावलंबी गौशाला स्थापना नीति-2025 लाना और गौशालाओं को आर्थिक सहायता देना, साथ ही गो-अभयारण्य बनाने और सडक़ों से पशुओं को हटाने के लिए अभियान चलाना भी शामिल है, हालांकि जमीनी स्तर पर ये योजनाएं अभी भी पूरी तरह सफल नहीं हो पाई हैं और सडक़ दुर्घटनाएं व फसल नुकसान जारी हैं। मप्र में सडक़ों पर घूम रहे निराश्रित पशु जी का जंजाल बन गए हैं। नेशनल हाईवे और अन्य सडक़ों से पशुओं को हटाने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं, जिसमें पशुपालन विभाग, नगर निगम और ग्राम पंचायतें शामिल हैं। सडक़ों पर बड़ी संख्या में निराश्रित पशु घूम रहे हैं, जिससे दुर्घटनाएं हो रही हैं और फसलें भी खराब हो रही हैं।
जमीनी स्तर पर एक भी योजना नहीं पहुंची
गौरतलब है कि मप्र में सडक़ों पर होने वाले हादसों को रोकने के लिए राज्य सरकार ने निराश्रित पशुओं के लिए करीब आधा दर्जन योजनाएं शुरू करने का प्लान बनाया, लेकिन जमीनी स्तर पर एक भी योजना नहीं पहुंची। हाल यह है कि प्रदेश में 2937 गोशालाएं संचालित हो रही हैं और इन्हें दस महीने में करीब 270 करोड़ रुपए दिए भी गए, लेकिन निराश्रित पशुओं की संख्या कम नहीं हुई। इन गौशालाओं में अभी करीब 4.22 लाख गोवंश रह रहा है। विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार अभी इतनी ही संख्या में यहां पशु रह सकते हैं, लेकिन सडक़ों पर मौजूद पशुओं की संख्या कम नहीं हो रही है। हालिया रिपोर्ट के अनुसार अभी सडक़ों पर करीब 8.50 लाख निराश्रित पशु हैं। इनके लिए नेशनल हाईवे अथॉरिटी से भी सरकार का अनुबंध हुआ था। इस अनुबंध के अनुसार हाइवे पर हर 50 किमी के भीतर एक हाइड्रोलिक लेक्टर खड़ी करनी थी। साथ ही हर 50 किमी पर एक गोठान बनाई जानी थी। हाइड्रोलिक की मदद से सडक़ों पर मौजूद गायों को उठाकर गोठान पर छोडऩा था। यह प्रयोग नर्मदापुरम रोड पर सफल भी रहा, लेकिन मप्र के बाकी इलाकों में इस पर काम नहीं हो पाया।
स्वावलंबी गोशालाएं बना रही सरकार
विभागीय मंत्री लखन सिंह पटेल ने बताया कि सरकार निराश्रित पशुओं के लिए स्वावलंबी गोशालाएं बना रही हैं। जल्द यह शुरू हो जाएगाी। राज्य सरकार ने अप्रैल में स्वावलंबी योजना पर काम शुरू किया और अगस्त में इसे लॉन्च कर दिया। बताया गया कि इसके अंतर्गत निराश्रित पशुओं के लिए मप्र के प्रत्येक जिले में 125 एकड़ जमीन पर एक गौशाला बनाई जाएंगी। इसमें निराश्रित पशुओं को रखा जाएगा। लेकिन, अब तक केवल 20 जिलों में ही जगह तलाश की जा सकी है। इनमें भोपाल, जबलपुर, दमोह, राजगढ़, मंदसौर और रतलाम पहली प्राथमिकता में है। यहां टेंडर की प्रक्रिया भी शुरू हो गई, जबकि बाकी जिलों में जगह तलाशी जा रही है। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि इस पर काम शुरू होने में 6 माह से एक साल का समय लगेगा।