मप्र में बड़े चुनावी बदलाव की तैयारी; अधिकारी खाका बनाने में जुटे
भोपाल/मंगल भारत

मप्र में जिला पंचायत और जनपद पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव अब डायरेक्ट हो सकते हैं। मतलब जिस तरह से जनता सीधे महापौर चुनती है, वैसे ही वह जिला पंचायत और जनपद अध्यक्ष का चुनाव कर सकेगी। ये चुनाव दलीय आधार यानी पार्टी सिंबल पर हो सकते हैं। इसी तरह नगरीय निकायों में नगर परिषद अध्यक्ष का चुनाव भी डायरेक्ट कराया जा सकता है। दरअसल, पंचायत के चुनाव गैर दलीय आधार पर होते हैं। राजनीतिक दल सीधे उम्मीदवारों को टिकट नहीं देते बल्कि उन्हें समर्थन देते हैं। इसकी वजह से इन चुनावों में जोड़-तोड़ और खरीद-फरोख्त जमकर होती है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट भी मानते हैं कि यदि ये चुनाव सीधे होंगे तो जनप्रतिनिधियों की जनता के प्रति जवाबदेही बढ़ेगी।
जानकारी के अनुसार मप्र में नगरीय निकाय चुनाव की तर्ज पर जिला और जनपद पंचायत अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया भी प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने की तैयारी सरकार ने कर ली है। इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए एक समिति का भी गठन किया गया है। यानी सरपंचों की तरह अब जनता सीधे जनपद और जिला पंचायत अध्यक्ष चुनेगी। इसके लिए आगामी विधानसभा सत्र में पंचायत राज अधिनियम में संशोधन प्रस्ताव लाया जा सकता है। गौरतलब है कि मप्र में नगर पालिका संशोधन विधेयक हाल ही के शीतकालीन सत्र में पारित हुआ है। इस दौरान सदन में नगरीय निकायों की तर्ज पर जिला अध्यक्ष और जनपद अध्यक्ष के चुनाव को भी प्रत्यक्ष प्रणाली से कराए जाने की बात उठी थी। इसको देखते हुए सरकार ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है।
अन्य राज्यों का किया जा रहा अध्ययन
गौरतलब है कि वर्तमान में मध्यप्रदेश में 52 जिला पंचायतें और 313 जनपद पंचायतें हैं। जिले में औसतन 15 सदस्य चुने जाते हैं। चुनाव के बाद सदस्यों का सम्मेलन बुलाकर अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव किया जाता है। सरकार का मानना है कि प्रत्यक्ष चुनाव से यह पूरा विवादास्पद चरण समाप्त हो जाएगा और जनता का सीधा जनादेश प्राप्त होगा। मुख्यमंत्री कार्यालय के निर्देश पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने संशोधन प्रक्रिया शुरू कर दी है। पंचायत राज संचालनालय अन्य राज्यों में लागू प्रत्यक्ष पंचायत चुनाव व्यवस्था के प्रावधानों का अध्ययन कर रहा है। इन्हीं के आधार पर संशोधन प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया जाएगा। महापौर का चुनाव पहले से ही प्रत्यक्ष प्रणाली से होता है। नए संशोधन के बाद नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्षों का चुनाव भी प्रत्यक्ष प्रणाली से होगा। सरकार इसी तर्ज पर अब जिला और जनपद पंचायत अध्यक्षों को सीधे जनता से चुनने की व्यवस्था लागू करना चाहती है। इससे चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी बनेगी, राजनीतिक हस्तक्षेप और खरीद-फरोख्त की आशंकाएं कम होंगी।
अप्रत्यक्ष प्रणाली लगातार विवादों में
मिली जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश की त्रिस्तरीय पंचायत राज व्यवस्था में बदलाव किया जा सकता है। अभी तक जनपद और जिला पंचायत अध्यक्षों का निर्वाचन जनता द्वारा चुने गए सदस्यों के माध्यम से होता है। यह अप्रत्यक्ष प्रणाली लगातार विवादों में रहती है। सदस्यों की खरीद-फरोख्त, धमकाने, प्रलोभन और राजनीतिक जोड़ तोड़ की शिकायतें आमतौर पर सामने आती रहती हैं। पंचायत चुनाव भले ही गैर-दलीय आधार पर होते हैं, लेकिन इस व्यवस्था पर राजनीतिक दलों का पूरा प्रभाव रहता है। जिस दल के समर्थक सदस्य अधिक संख्या में होते हैं, वही अध्यक्ष पद पर कब्जा कर लेते हैं। ऐसे निकायों में, जहां किसी एक दल का स्पष्ट बहुमत नहीं होता, वहां जोड़ तोड़ और दखलअंदाजी और अधिक बढ़ जाती है।