बालाघाट में अब सिर्फ एक नक्सली दीपक सक्रिय

भोपाल/मंगल भारत
सुरक्षाबलों को 8 दिसंबर को नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में एक ऐतिहासिक सफलता मिली है। कुख्यात नक्सली कमांडर एवं सेंट्रल कमेटी मेम्बर रामधेर मज्जी ने अपने 11 साथियों के साथ छत्तीसगढ़ के बकरकट्टा में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। रामधेर मज्जी, जो कुख्यात नक्सली नेता हिड़मा के समकक्ष माना जाता था। उस पर 45 लाख रुपये का इनाम घोषित था। इस बड़े आत्मसमर्पण के बाद एमएमसी जोन (महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़) को नक्सल मुक्त घोषित कर दिया गया है, जो इस क्षेत्र में नक्सल विरोधी अभियानों की एक निर्णायक जीत है। बालाघाट जिले के बॉर्डर से सटे छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ स्थित थाना बकर कट्टा में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) के 12 कैडर ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। इन कैडरों ने अपने पास मौजूद हथियार भी सुरक्षा बलों को सौंप दिए। मध्य प्रदेश का यह प्रमुख नक्सल प्रभावित जिला, जिसकी पहचान 1990 के दशक से नक्सली हिंसा और सक्रियता के लिए रही है, अब आधिकारिक रूप से नक्सल मुक्त घोषित कर दिया गया है। यह उपलब्धि केंद्रीय गृह मंत्रालय की मार्च 2026 की तय समय सीमा से पहले हासिल हुई है। बालाघाट एसपी आदित्य मिश्रा के मुताबिक, नक्सलियों ने पुनर्वास से पुनर्जीवन तक सरकार की नीति से प्रभावित होकर आत्मसमर्पण किया है। इससे जिला लगभग नक्सली मुक्त हो गया है। जिले में अब सिर्फ एक नक्सली दीपक सक्रिय है। सुरक्षा एजेंसियों को उम्मीद है कि वह भी जल्द सरेंडर कर देगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मध्य प्रदेश सहित पूरे देश को माओवादी समस्या से 31 मार्च तक मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। इस दिशा में पुलिस ने दबाव की रणनीति बनाई। इसके अंतर्गत ग्रामीणों को सुरक्षा का भरोसा दिया, पुलिस बल बढ़ाया गया, और विशेष सहयोगी दस्ते की भर्ती की गई। ज्यादा प्रभावित गांवों में पुलिस चौकियां स्थापित की गईं। पुलिस पर भरोसा बढऩे के कारण ग्रामीणों ने माओवादियों का सहयोग करने से इन्कार कर दिया। उन्हें राशन देना, सूचना देना या अन्य तरह की मदद बंद कर दी गई। इस कारण माओवादी असहाय हो गए और उन्होंने हथियार डालना शुरू कर दिया। एक माह पहले तक जिस बालाघाट और मंडला का नाम डर के साथ लिया जाता था, वहां अब लाल आतंक का भय समाप्त होता दिख रहा है।
11 दिन में 33 माओवादी सरेंडर
बालाघाट में बीते 11 दिनों में दर्रेकसा और केबी डिवीजन के कुल 33 माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं, जिसे माओवाद विरोधी अभियान की बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। 8 दिसंबर को खैरागढ़ में हुए 12 सरेंडर के बाद मप्र (विशेषकर बालाघाट) में माओवाद समाप्ति की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है। पुलिस का दावा है कि लाल आतंक लगभग खत्म होने वाला है। तीन दशक के संघर्ष के बाद मध्य प्रदेश माओवादी समस्या से मुक्त होता दिखने लगा है। 6 दिसंबर की रात माओवादियों द्वारा बनाए गए कान्हा भोरम देव (केबी) दलम के 10 सदस्यों ने भी आत्मसमर्पण किया था। केबी दलम के सभी सदस्यों के समर्पण के बाद मंडला जिला लगभग इस समस्या से मुक्त हो गया है। केंद्र सरकार ने इसी वर्ष मंडला और डिंडौरी को माओवादी समस्या से कम प्रभावित जिलों की सूची में शामिल किया था। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि एक माह पहले तक दर्रेकसा और मलाजखंड के अतिरिक्त केबी दलम सक्रिय थे। दर्रेकसा दलम के 11 माओवादियों ने हाल ही में महाराष्ट्र के गोंदिया में आत्मसमर्पण किया था, जिसमें एमएमसी जोन का प्रवक्ता अनंत उर्फ विकास नगपुरे भी शामिल था।