आदिवासियों के हक पर डाका मारा.

भोपाल/मंगल भारत
फर्जी जाति प्रमाण-पत्र पर नौकरी हासिल करने वाले विभिन्न विभागों के अधिकारी-कर्मचारियों ने घोटाले पर घोटाला किया। यह ओबीसी वर्ग से आते हैं। पढ़ाई कर रहे थे तो ओबीसी को मिलने वाली छात्रवृत्ति हासिल कर ली। इससे पढ़ाई करते रहे। जब नौकरी की बारी आई तो आदिवासी बन गए।
पढ़ाई के समय खुद को ओबीसी बताया था
ऐसे अधिकारी-कर्मचारियों की जब पड़ताल की गई तो सामने आया कि पढ़ाई के समय इन्होंने खुद को ओबीसी ही बताया था। जाति प्रमाण-पत्र में भी ओबीसी ही लिखा है। इस आधार पर छात्रवृत्ति हासिल की। 25 अधिकारी-कर्मचारियों के अलावा आठ ऐसे और लोग एसटीएफ के रडार पर हैं, जिन्होंने सत्यापन में इनका साथ दिया। अब इनके नाम एफआइआर में शामिल किए जाएंगे। यह लोग सालों से सरकारी विभागों में नौकरी कर रहे हैं। इन पर एफआईआर भी हो गई, लेकिन अब तक विभाग द्वारा इन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। फर्जी जाति प्रमाण-पत्र से लेकर सत्यापन कराने वाला नेटवर्क इस घोटाले में शामिल है। इधर…. एसटीएफ द्वारा डीएड की फर्जी अंकसूची पर नौकरी हासिल करने वालों पर एफआईआर दर्ज की थी। एफआईआर में आठ नामजद थे। बाकी सभी अज्ञात में थे। इसमें 16 शिक्षकों को और नामजद कर लिया गया है।
फर्जी जाति प्रमाण-पत्र बनाया
अनुसूचित जनजाति के फर्जी जाति प्रमाण-पत्र पर नौकरी हासिल कर आदिवासियों के हक पर डाका मारा। जो नौकरियां आदिवासी वर्ग के नागरिकों को मिलनी थीं, उन्हें फर्जी जाति प्रमाण-पत्र के जरिये इन लोगों ने हासिल कर लिया। ऐसे 25 अधिकारी, कर्मचारी चिह्नित हो चुके हैं। जिन पर एसटीएफ द्वारा एफआईआर की गई है।