पराली ही नहीं धूल से भी बढ़ रहा है मप्र के बड़े शहरों का प्रदूषण

वायु गुणवत्ता खराब होना स्वास्थ्य के लिए गंभीर, वायु गुणवत्ता बिगड़ी

ठंड के आगमन के साथ ही मप्र के लगभग सभी बड़े शहरों की हवा की गुणवत्ता लगातार खराब हो रही है। देश की सबसे साफ राजधानी का तमगा हासिल कर चुकी राजधानी भोपाल मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा प्रदूषण वाला शहर भी बन गया है। राजधानी भोपाल में वायु प्रदूषण का आंकड़ा 200 के पार जा रहा है। मध्य प्रदेश के बड़े शहरों में प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक स्थिति में पहुंच गई है। राजधानी भोपाल, इंदौर, जबलपुर, उज्जैन की आवोहवा अस्वस्थ श्रेणी में पहुंच गया है। इन शहरों में हवा दमघोटू हो गई है। उधर डॉक्टर लोगों को सुबह धूप निकलने से पहले मॉर्निंग वॉक को लेकर सचेत कर रहे हैं। सर्दियों की शुरुआत के साथ ही हवा का प्रवाह धीमा होने और भू-भाग पर धूल जमने जैसी परिस्थितियों के चलते वायु गुणवत्ता सूचकांक कई शहरों में 200 के ऊपर दर्ज किया जा रहा है। यह स्तर खराब श्रेणी में माना जाता है, जो सीधे तौर पर आम लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने लगता है।
भोपाल में वायु प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार शहर में एयर क्वालिटी इंडेक्स कई बार 300 के पार पहुंच चुका है, जो बेहद खराब श्रेणी माना जाता है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी बृजेश शर्मा ने बताया कि भोपाल में तीन स्टेशनों के जरिए ऑनलाइन मॉनिटरिंग हो रही है और बढ़ते प्रदूषण को लेकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। अधिकारी ने स्पष्ट किया कि राजधानी में वायु गुणवत्ता खराब होने का सबसे बड़ा कारण शहर में उडऩे वाली धूल है। पराली जलाने का असर मात्र 7 से 10 प्रतिशत ही देखा गया है। उन्होंने कहा कि सडक़ की धूल और निर्माण कार्यों से उठने वाला कण (पीएम10) ही प्रमुख रूप से एक्यूआई बढ़ा रहा है। शर्मा के अनुसार लगभग 11 नवंबर के आसपास प्रदूषण स्तर में तेज वृद्धि दर्ज की गई। ठंड बढऩे के साथ-साथ मौसम के पैरामीटर भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। सतह के पास हवा ठंडी होने से प्रदूषक ऊपर नहीं उठते। विंड वेलोसिटी मात्र 1.3 किमी/घंटा के आसपास, यानी हवा का बहाव बेहद कम है।कम ऊंचाई पर ही प्रदूषक फंस जाते हैं। इन सभी कारणों से प्रदूषण फैलकर ऊपर नहीं जा पाता और शहर में एक्यूआई लगातार खराब बना रहता है।
इन कारणों से बढ़ रहा प्रदूषण
सरकार के अनुसार, प्रदूषण बढऩे की मुख्य वजहें खेतों में पराली जलाना, तंदूर और भट्टियों का धुआं, सडक़ों पर जाम, अधूरी सफाई व्यवस्था, और सडक़ों के गड्डों से उठती धूल हैं। विधानसभा में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री दिलीप अहिरवार ने बताया कि सितंबर और अक्टूबर के सूचकांक संतोषजनक थे, लेकिन नवंबर में स्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया। एयर क्वालिटी इंडेक्स की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 5 सालों के दौरान इस साल हवा की गुणवत्ता में सबसे ज्यादा गिरावट आई है। साल 2024 में नवंबर माह में एक्यूआई 165 था। प्रदेश के इंदौर की हवा की गुणवत्ता भी पुअर है। यहां एक्यूआई 164 रिकॉर्ड किया गया है। पिछले पांच सालों की तुलना में यह सबसे ज्यादा है। साल 2024 में नवंबर माह में एक्यूआई इंडेक्स 136 था। जबलपुर शहर में भी हवा की गुणवत्ता पुअर बनी हुई है। जबलपुर में हवा में प्रदूषण का स्तर 286 रिकॉर्ड किया गया। जो पुअर कैटेगिरी में है। जबलपुर की हवा में भी पॉल्युशन का स्तर बढ़ा है। जबलपुर में इस साल हवा की गुणवत्ता पिछले पांच सालों में सबसे खराब है। 2021 में जबलपुर में एक्यूआई 188 था। ग्वालियर में भी हवा की गुणवत्ता खराब बनी हुई है। ग्वालियर में वायु प्रदूषण का आंकड़ा 278 पहुंच गया। ग्वालियर की हवा का स्तर अनहेल्दी स्तर पर पहुंच गया है। ग्वालियर में साल 2021 में एक्यूआई स्तर 200 तक पहुंच चुका है। उज्जैन जिले में भी हवा की गुणवत्ता पुअर है, हालांकि प्रदेश के बाकी बड़े जिलों के मुकाबले यहां हवा की गुणवत्ता थोड़ी बेहतर है। यहां एक्यूआई 118 रिकॉर्ड किया गया है।
क्या पराली से बिगाड़ रही शहर की सेहत
लगातार बिगड़ती शहरों की सेहत के पीछे एक वजह प्रदेश में बड़ी मात्रा में जलाई जा रही पराली को भी माना जा रहा है। प्रशासन की तमाम समझाइश के बाद भी किसान पराली जलाने से मान नहीं रहे। प्रदेश के किसानों ने पराली जलाने के मामले में पंजाब को भी पीछे छोड़ दिया है। देश में पराली जलाने के सबसे ज्यादा मामले मध्य प्रदेश में रिकॉर्ड किए गए हैं। नगरीय निकाय मैकेनिकल रोड स्वीपिंग मशीन से सड़कों में जमी धूल को नियमित साफ किया जा रहा है। मिस्ट/फॉगर मशीन से डिवाइडर और सड़कों के पास लगातार फॉगिंग, सुबह और रात में पानी के छिड़काव, सड़कों की सफाई सहित अन्य उपाय, जांच व निगरानी एवं पानी के फव्वारों का संचालन किया जा रहा है। इसके अलावा शहर की कच्ची सड़कों का पक्कीकरण, वृक्षारोपण एवं हरित पट्टियों का विकास, होटल रेस्टोरेंट आदि में तंदूर-भट्टियों पर रोक, निर्माण एवं विध्वंस अपशिष्ट निर्माण स्थलों से धूल को रोकने के लिए हरे जाल का उपयोग, ई-व्हीकल के उपयोग को प्रोत्साहन, पराली जलाने से रोकने के लिए उचित कार्रवाई, सड़क पर ठोस अपशिष्ट की धूल निकले पर स्थल अर्थदण्ड जैसी कार्रवाई एवं जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। कचरे से ऊर्जा, सौर और पवन ऊर्जा को बढ़ावा के अलावा जागरूकता और जलवायु परिवर्तन की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य सरकार ने व्यापक पर्यावरण नीति तैयार की है। जलवायु परिवर्तन, ज्ञान प्रबंधन केंद्र स्थापित किया गया है। स्कूलों में ईको क्लब सहित अन्य प्रयासों से जनता और छात्रों में जन जागरूकता के कार्यक्रम एवं नई शिक्षा नीति के तहत भी पर्यावरण संरक्षण और वृक्षों के बचाव से संबंधित विषयों को स्कूलों में शामिल किया गया।
स्वास्थ्य पर असर को लेकर चेतावनी
प्रदूषण बोर्ड ने चेताया कि लगातार खराब वायु गुणवत्ता नागरिकों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है। इसी वजह से शहरभर में प्रदूषण स्तर की जानकारी सार्वजनिक की जा रही है, ताकि लोग एहतियात बरत सकें। इस समय लोगों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।