लोकसभा में विपक्ष ने एसआईआर, बीएलओ की मौतों और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए

मंगलवार को लोकसभा में चुनावी सुधारों पर चर्चा शुरू हुई. इस दौरान विपक्ष ने 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चल रही एसआईआर प्रक्रिया की कमियों को उजागर किया. बहस के दौरान विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग पर निष्पक्षता की कमी का आरोप लगाया और पुनः बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की.

नई दिल्ली: विपक्ष द्वारा कई बार दोहराने के बाद भी सदन के मानसून सत्र के दौरान बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर चर्चा नहीं हो पाई थी. अब, मंगलवार (9 दिसंबर) को लोकसभा में चुनावी सुधारों पर चर्चा शुरू हुई. विपक्ष ने 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चल रही इस प्रक्रिया की कमियों को उजागर किया है.

विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग पर निष्पक्षता की कमी का आरोप लगाया और मतपत्र (बैलेट पेपर) से चुनाव कराने की मांग की. साथ ही, उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से जुड़े कानून में बदलाव की भी मांग रखी.

वहीं, सत्ता पक्ष ने कहा कि विपक्ष को ईवीएम और चुनाव आयोग पर सवाल उठाने के बजाय अपनी चुनावी हार पर आत्ममंथन करना चाहिए.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके एनडीए सहयोगियों ने बहस के दौरान बार-बार बिहार विधानसभा चुनाव में मिली जीत का जिक्र किया.

बीएलओ की मौतें, संवैधानिक आधार की कमी

बहस के दौरान विपक्षी सांसदों ने बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) पर एसआईआर प्रक्रिया के दौरान भारी दबाव का ज़िक्र किया. और यह भी कहा कि यह प्रक्रिया ‘शामिल करने’ के बजाय बाहर करने का का माध्यम बन गई है.

तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल में 20 लोगों की मौत हो चुकी है, पांच गंभीर रूप से बीमार हैं, इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? चुनाव आयोग?’

उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी घटनाएं सिर्फ बंगाल में नहीं बल्कि अन्य राज्यों में भी हुई हैं.

बनर्जी ने कहा कि ‘चुनाव आयोग के माध्यम से अब प्रधानमंत्री मोदी तय करते हैं कि कौन वोटर होगा.’

विपक्ष की ओर से बहस की शुरुआत करते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि चुनाव आयोग को एसआईआर कराने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट की धारा 21 कहती है कि आयोग को अपनी शक्तियां वहीं से मिलती हैं. संविधान में या कानून में एसआईआर की कोई व्यवस्था नहीं है.’

उन्होंने पूछा कि आयोग ने किन आधारों पर यह अभ्यास शुरू किया और क्या यह कारण लिखित रूप में दर्ज हैं.

तिवारी ने कहा, ‘सरकार को यह लिखित कारण सदन के समक्ष रखना चाहिए. कौन-सी शिकायतें आईं, क्या जांच हुई, और किस आधार पर एसआईआर का निर्णय लिया गया?’

चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल और बैलेट पेपर की वापसी की मांग

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि अगर चुनाव निष्पक्ष तरीके से हुए, तब 2027 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को उत्तर प्रदेश में एक भी सीट नहीं मिलेगी.

उन्होंने रामपुर और मिल्कीपुर उपचुनावों का उदाहरण देते हुए कहा कि पुलिस ने मतदाताओं को डराया-धमकाया और आयोग ने शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की. यादव ने कहा, ‘चुनाव जीते या हारे जा सकते हैं, लेकिन चुनाव आयोग निष्पक्ष क्यों नहीं है? यह असली सवाल है.’

उन्होंने भी मनीष तिवारी की तरह बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग दोहराई. उन्होंने कहा, ‘उपचुनावों में वोट चोरी नहीं, वोट डकैती हुई है.’
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने भी बैलेट पेपर की वापसी का समर्थन किया. पार्टी के सांसद पी.वी. मिधुन रेड्डी ने बताया कि आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में 15% वोट शाम 6 बजे के बाद पड़े औरईवीएम की बैटरी वोटिंग डे से काउंटिंग डे तक बढ़ गई थी.

उन्होंने कहा कि नीदरलैंड जैसे देशों ने दिखाया है कि ईवीएम कैसे हैक हो सकते हैं.. जिसके बाद कई देशों ने पेपर बैलेट पर वापसी की, भारत को भी ऐसा करना चाहिए.

एनसीपी (शरद पवार गुट) सांसद सुप्रिया सुले ने हालांकि ईवीएम का विरोध नहीं किया, लेकिन आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, ‘यह बहस इसलिए हो रही है क्योंकि जनता के बीच यह धारणा बन चुकी है कि चुनाव आयोग निष्पक्ष नहीं है.’

मनीष तिवारी ने यह भी कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त चयन समिति में राज्यसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश को शामिल किया जाना चाहिए.

भाजपा और सहयोगी दलों का पलटवार

विपक्ष के आरोपों पर सत्ता पक्ष ने कहा कि चुनाव आयोग पर सवाल उठाने से पहले विपक्ष को अपनी हार के कारणों पर मंथन करना चाहिए.

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि उसने पहली लोकसभा चुनाव में डॉ. भीमराव अंबेडकर को हराने के लिए 74,000 वोट रद्द कर ‘वोट चोरी’ की थी.

उन्होंने कहा, ‘एसआईआर कोई नई चीज़ नहीं है. चुनाव आयोग ने हमेशा सारांश और विस्तृत संशोधन किए हैं. यह नियमित प्रक्रिया है, जिसमें घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी जुटाई जाती है.’

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के सांसद अरुण भारती ने कहा कि बिहार के लोगों ने एनडीए पर भरोसा जताया है और नई सरकार विकसित भारत के लिए काम करेगी. उन्होंने कहा,‘दिल्ली के बाद अब बिहार में कांग्रेस सिंगल डिजिट पार्टी रह गई है.’

एनडीए सहयोगी टीडीपी ने भी सुझाए सुधार

अन्य सहयोगियों के विपरीत, तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने न केवल विपक्ष पर सवाल उठाए बल्कि चुनाव सुधारों के सुझाव भी दिए.

टीडीपी सांसद लवू श्रीकृष्ण देवयरालु ने कहा कि भारत का चुनावी तंत्र दुनिया के सबसे समावेशी तंत्रों में से एक है जिसने हर नागरिक को वोट का अधिकार दिया, जो पश्चिमी देशों में भी लंबे समय तक नहीं था.

हालांकि, उन्होंने चुनाव सुधारों की एक सूची पेश की जिसमे- बूथ-स्तरीय एजेंटों की भागीदारी बढ़ाना, चुनावी गड़बड़ियों की निगरानी के लिए स्वतंत्र निकाय बनाना, एंटी-डेफेक्शन कानून में संशोधन कर अयोग्यता मामलों का समयबद्ध निपटारा, स्थानीय शासन संस्थाओं को सशक्त बनाना, और राज्य चुनाव आयुक्तों का कार्यकाल 5 साल तय करना शामिल है.