भाजपा पर कुछ वर्ष पहले स्वच्छ भारत, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और किसान सेवा जैसी सरकारी योजनाओं के नाम पर जनता से ‘अवैध रूप से’ चंदा इकट्ठा करने का आरोप लगा है. पत्रकार बीआर अरविंदाक्षन को आरटीआई के ज़रिये पता चला है कि भाजपा को इन योजनाओं के लिए चंदा जुटाने की कोई विशेष अनुमति या स्वीकृति न तो केंद्र सरकार के किसी मंत्रालय से मिली थी, न ही पीएमओ से.

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर कुछ वर्ष पहले स्वच्छ भारत, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और किसान सेवा जैसी सरकारी योजनाओं के नाम पर जनता से अवैध रूप से चंदा इकट्ठा करने का आरोप लगा है. भाजपा का नमो ऐप और narendramodi.in पोर्टल आज भी अपनी डोनेशन पेज पर इन सरकारी योजनाओं में योगदान करने का विकल्प दिखा रहे हैं.
चेन्नई के वरिष्ठ पत्रकार और सथियाम टीवी के न्यूज़ एडिटर बीआर अरविंदाक्षन द्वारा दायर आरटीआई आवेदनों को मिले जवाब से पता चला है कि भाजपा को इन सरकारी योजनाओं के लिए धन जुटाने की कोई विशेष अनुमति या अधिकृत स्वीकृति न तो प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से मिली थी और न ही किसी केंद्रीय मंत्रालय से.
भाजपा ने दिसंबर 2021 से फरवरी 2022 के बीच narendramodi.in और नमो ऐप जैसे निजी प्लेटफॉर्मों के माध्यम से चंदा इकट्ठा करने का अभियान चलाया था. इस दौरान अपील की गई थी कि वे स्वच्छ भारत, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और किसान सेवा जैसी सरकारी योजनाओं के लिए योगदान दें. वेबसाइट और ऐप पर भाजपा को चंदा देते समय योगदानकर्ताओं को इन तीन योजनाओं में से एक को चुनने के लिए कहा गया और ‘पार्टी फंड’ को डोनेशन का उद्देश्य बताया गया.
हालांकि, इन योजनाओं को लागू करने वाले मंत्रालयों ने आरटीआई के जवाब में साफ कहा है कि किसी भी प्लेटफॉर्म को इन योजनाओं के लिए धन जुटाने की अनुमति नहीं दी गई थी.
25 दिसंबर 2021 को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के अवसर पर ‘माइक्रो डोनेशन’ अभियान की घोषणा की थी. उन्होंने कहा था कि यह अभियान 11 फरवरी 2022, हिंदुत्व विचारक दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि तक चलेगा.
नड्डा ने बताया था कि यह अभियान पार्टी और उसके जनादोलन को मज़बूत करने के लिए है, लेकिन दानकर्ताओं को यह विकल्प दिया गया कि वे पार्टी फंड के बजाय सरकारी योजनाओं में योगदान कर सकते हैं.
इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने एक्स (तब ट्विटर) अकाउंट से इस अभियान का समर्थन किया था और 1,000 रुपये का दान करते हुए लोगों से योगदान की अपील की थी.
उन्होंने लिखा था, ‘आपका सहयोग उन लाखों कार्यकर्ताओं को प्रेरित करेगा जो राष्ट्र निर्माण के लिए निस्वार्थ रूप से काम कर रहे हैं.’ प्रधानमंत्री की इस अपील के बाद बड़ी संख्या में लोगों ने दान किया.
हालांकि यह अभियान फरवरी 2022 में समाप्त हो गया था, लेकिन दोनों प्लेटफॉर्म आज भी अपनी वेबसाइटों पर सरकारी योजनाओं के नाम पर दान देने का विकल्प दिखा रहे हैं.
सथियाम टीवी के न्यूज़ एडिटर अरविंदाक्षन ने इन दोनों माध्यमों से प्रत्येक सरकारी योजना के लिए 100 रुपये का योगदान किया. इसके लिए उन्हें जो ऑनलाइन रसीदें मिलीं, वे भाजपा के केंद्रीय कार्यालय से जारी थीं.
अरविंदाक्षन ने कहा, ‘जब वेबसाइट और ऐप पर केंद्र सरकार की योजनाओं के नाम दिखाई दे रहे थे, तब मुझे स्वाभाविक रूप से लगा कि दान उन्हीं योजनाओं के लिए है. इसी विश्वास के चलते मैंने और अन्य नागरिकों ने योगदान किया.’
इसके बाद जनवरी और फरवरी 2022 के बीच अरविंदाक्षन ने इन तीनों योजनाओं के लिए जिम्मेदार मंत्रालयों को कई आरटीआई आवेदन भेजे. सभी मंत्रालयों ने यह स्पष्ट किया कि भाजपा को इन योजनाओं के लिए धन जुटाने की कोई अनुमति या विशेष स्वीकृति नहीं दी गई थी.
जल शक्ति मंत्रालय के ग्रामीण स्वच्छ भारत मिशन विभाग ने अपने जवाब में कहा, ‘स्वच्छ भारत परियोजनाओं के लिए किसी एनजीओ या व्यक्ति द्वारा धन जुटाने का कोई प्रावधान नहीं है.’
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की सीपीआईओ रचना बोलिमेरा ने भी आरटीआई के जवाब में लिखा, ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के लिए नमो ऐप के माध्यम से धन जुटाने की कोई विशेष अनुमति नहीं दी गई है.’
कृषि मंत्रालय की ओर से विभाग के निदेशक विजय राज मोहन ने कहा कि ‘विभाग द्वारा ऐसे किसी ऐप को बढ़ावा नहीं दिया गया है, और भारत सरकार किसानों या कृषि समुदाय से संबंधित किसी भी कल्याणकारी ऐप के लिए धन नहीं जुटाती है.’
इसी बीच, अरविंदाक्षन ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से भी नमो ऐप और narendramodi.in की वैधता पर 16 प्रश्न पूछे. मंत्रालय ने आवेदन पीएमओ को ट्रांसफर कर दिया, जिसने जवाब में कहा कि ‘मांगी गई जानकारी इस कार्यालय के रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं है.’
बाद में यह आवेदन नेशनल ई-गवर्नेंस डिवीजन और माईगव (myGov) यूनिट, डिजिटल इंडिया कॉर्पोरेशन को भेजा गया, जिनका उत्तर भी यही था कि यह जानकारी उनके रिकॉर्ड में उपलब्ध नहीं है.
कई प्रयासों के बाद अरविंदाक्षन को 10 अक्टूबर 2023 को पीएमओ से ठोस जवाब मिला. उन्होंने पीएमओ से तीन सवाल पूछे थे-
– क्या प्रधानमंत्री के नाम से कोई आधिकारिक ऐप बनाया गया है?
– पीएमओ का एक्स अकाउंट कौन संचालित करता है?
– और क्या नमो ऐप का पीएमओ से कोई संबंध है?
पीएमओ ने 16 नवंबर 2023 को अपने जवाब में कहा कि ‘प्रधानमंत्री के नाम से कोई आधिकारिक ऐप नहीं है.’ साथ ही यह भी कहा कि पीएमओ के सोशल मीडिया अकाउंट किसी एक व्यक्ति द्वारा नहीं बल्कि कई अधिकारियों के सहयोग से संचालित होते हैं.
नमो ऐप और पीएमओ के बीच किसी संबंध पर कहा गया कि ‘मांगी गई जानकारी इस कार्यालय के रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं है.’
तीन मंत्रालयों के इन जवाबों से स्पष्ट हो गया कि भाजपा द्वारा चलाया गया ‘माइक्रो डोनेशन’ अभियान केंद्र सरकार या किसी सरकारी निकाय द्वारा अधिकृत नहीं था.
8 दिसंबर 2025 को अरविंदाक्षन ने चेन्नई के पुलिस आयुक्त और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के क्षेत्रीय निदेशक को पत्र लिखकर इस मामले में जांच की मांग की है. इससे पहले उन्होंने प्रधानमंत्री, संबंधित चार मंत्रालयों के सचिवों और गृह मंत्रालय को भी शिकायत भेजी थी.
उन्होंने अपने पत्र में कहा, ‘प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष की अपील पर नागरिकों को, जिनमें मैं भी शामिल हूं, यह विश्वास हो गया था कि वे पार्टी के साथ-साथ केंद्र सरकार की योजनाओं के लिए भी योगदान कर रहे हैं. लेकिन वास्तविकता में रसीदें भाजपा के केंद्रीय कार्यालय से जारी हुईं, जबकि मंत्रालयों ने इस तरह के किसी चंदा अभियान की अनुमति से इनकार किया है.’
अरविंदाक्षन ने आरोप लगाया कि चंदा लेने का यह अभियान पारदर्शी नहीं था और दानकर्ताओं को यह जानकारी नहीं दी गई कि उनकी राशि सरकार तक कब और कैसे पहुंचेगी.
उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर यह पूछने की कोशिश भी की कि कुल कितना धन जुटाया गया और क्या इसे सरकार को सौंपा गया, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला.
वरिष्ठ पत्रकार का कहना है कि प्रथमदृष्टया यह मामला भारतीय जनता पार्टी द्वारा ‘धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात, आपराधिक साज़िश और भारतीय दंड संहिता, 1860 के अन्य संज्ञेय अपराधों’ से जुड़ा प्रतीत होता है. इसके अलावा, यदि किसी सरकारी अधिकारी की इसमें भूमिका या पद के दुरुपयोग की पुष्टि होती है, तब यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत भी अपराध माना जा सकता है.
साथ ही, यह मामला जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 और राजनीतिक दलों के चंदा नियमों के उल्लंघन की श्रेणी में भी आ सकता है.
अरविंदाक्षन ने द वायर से कहा, ‘मैंने 7 मार्च 2022 को भाजपा अध्यक्ष को पत्र लिखकर पूछा था कि क्या भाजपा सरकारी योजनाओं के नाम पर मिली इन दान की राशि को सरकार सौंपेगी? लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला. अगर केंद्र सरकार मेरी शिकायत पर कार्रवाई नहीं करती, तो मैं अदालत जाऊंगा.’
उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाओं के नाम पर चंदा इकट्ठा करना भारतीय नागरिकों को गुमराह करने और ‘बड़े पैमाने पर गलतबयानी’ का मामला है.
द वायर ने इस संबंध में भाजपा के केंद्रीय कार्यालय और जेपी नड्डा को सवाल भेजे हैं. उनकी प्रतिक्रिया मिलने पर रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.