मप्र के नया जेल एक्ट में कैदियों के लिए कई सुविधाएं, कैदियों की कुंडली के हिसाब से होंगे बैरक.

भोपाल/मंगल भारत। मप्र सरकार जेलों में सुधार के लिए लाए गए कानून को 17 महीने बाद भी लागू नहीं कर पाई है। इस एक्ट में कहा है कि जेलों में व्यवस्था संबंधी बदलाव कर कैदियों के पुनर्वास और समाज में उनके एकीकरण की दिशा में काम किए जाएंगे। सरकार इसके लिए केंद्रीय जेल के साथ जिला और उप जेलों की व्यवस्थाओं में बदलाव भी लाएगी ताकि जेलों में क्षमता से अधिक मौजूद कैदियों, विचाराधीन बंदियों को बैरक, सेल और अन्य सुविधाएं मिल सकें। कैदियों की कुंडली के हिसाब से बैरक भी तय करने की बात नए कानून में कही गई है।
गौरतलब है कि मप्र विधानसभा के जुलाई, 2024 में आयोजित मानसून सत्र में मप्र सुधारात्मक सेवाएं एवं बंदीगृह विधेयक-2024 पारित किया गया था। सरकार ने नया जेल अधिनियम 2 अक्टूबर, 2024 से क्रियान्वित करने की तैयारी की थी। जेल विभाग ने 13 अगस्त 2024 को जारी किए गए आदेश में कहा था कि प्रदेश में गांधी जयंती (2 अक्टूबर 2024) के दिन से मप्र सुधारात्मक सेवाएं और बंदीगृह अधिनियम 2024 को लागू किया जाएगा। यह आदेश सरकार की प्रबंधन संबंधी तैयारियों में कमी के चलते टालना पड़ा था और फिर नए दूसरे नोटिफिकेशन में एक जनवरी 2025 से इसे लागू करने के का कहा गया था। लेकिन अभी भी यह कानून लागू नहीं किया गया है।
अंग्रेजों के जमाने का कानून बदलने में अंग्रेजी आई आड़े
जानकारी के अनुसार, मप्र की जेलों में लागू अंग्रेजों के जमाने का कानून बदलने में फिर अंग्रेजी आड़े आ गई है। दरअसल, विभाग एक्ट के रूल्स (नियम) अंग्रेजी में बनाना भूल गया था, इसलिए इसका क्रियान्वयन नहीं हो पाया। फिर इस अधिनियम का क्रियान्वयन एक जनवरी, 2025 से किए जाने के संबंध में सरकार ने पुराने नोटिफिकेशन को अधिक्रमित करते हुए गत 30 सितंबर, 2024 को नया नोटिफिकेशन जारी किया था। जेल मुख्यालय निर्धारित समयावधि में अंग्रेजी में एक्ट के रूल्स तैयार नहीं कर पाया, इस कारण इसे एक जनवरी, 2025 से लागू नहीं किया जा सका। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से नए जेल अधिनियम में संशोधन करने का आदेश जारी कर दिया, सरकार करीब साल भर से अधिनियम में संशोधन करने की एक्सरसाइज कर रही है, लेकिन यह काम पूरा नहीं हो पाया है। खास बात यह है कि जुलाई, 2024 में विधानसभा के मानसून सत्र में नया जेल अधिनियम पारित होने के बाद इसे पिछले साल गांधी जयंती (2 अक्टूबर) से लागू करने की तैयारी थी, फिर सरकार ने एक जनवरी, 2025 की तारीख निर्धारित कर दी थी, लेकिन दो गांधी जयंती बीतने के साथ एक जनवरी की दूसरी तारीख आने वाली है, लेकिन सरकार नए जेल अधिनियम को लागू नहीं कर पाई है।
नए अधिनियम में कई सुविधाएं
नए जेल अधिनियम में बंदियों के लिए कई प्रकार की सुविधाएं देने का प्रावधान किया गया है, लेकिन इसके लागू नहीं होने से बंदी इन सुविधाओं से वंचित हैं। जेल विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मप्र सुधारात्मक सेवाएं एवं बंदीगृह अधिनियम-2024 वैधानिक प्रक्रिया में उलझ गया है, इसलिए इसका क्रियान्वयन कब तक होगा, इस बारे में निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है। हो सकता है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार एक्ट में संशोधन कर विधेयक फिर से विधानसभा में पेश करना पड़े। डायरेक्ट्रेट देखेगा प्रशासनिक सिस्टम
केन्द्र सरकार द्वारा जेल अधिनियम में बदलाव किए जाने के बाद सबसे पहले मप्र सरकार की मोहन सरकार ने प्रिजन एक्ट 1984 में बदलाव किया। मोहन सरकार एक नया कानून मप्र सुधारात्मक सेवाएं एवं बंदीगृह विधेयक 2024 लेकर आई। इसके बाद अंग्रेजों के जमाने में बनाए गए जेल अधिनियम 1894, बंदी अधिनियम 1900 और बंदी स्थानांतरण अधिनियम 1950 के स्थान पर एक ही अधिनियम लागू कर दिया गया। नए कानून में प्रदेश में कैदी और सुधारात्मक सेवा का एक डायरेक्ट्रेट होगा। यह सरकार द्वारा लागू की जाने वाली नीतियों को क्रियान्वित कराने के लिए जवाबदेह होगा। इसमें जिम्मेदार अधिकारियों की पद स्थापना की जाएगी। हर जेल में एक अधीक्षक और अन्य अधिकारी होंगे जिनकी जिम्मेदारी होगी कि वे जेल में सभी सुविधाएं उपलब्ध कराएं। चिकित्सा अधिकारी की भूमिका पर भी खास ध्यान रखा जाएगा जो कैदियों की मृत्यु पर रिपोर्ट देने के साथ अन्य रिपोर्ट अधीक्षक को देगा। सरकार जेल और सुधारात्मक संस्था को कम्प्यूटरीकृत करेगी। डेटाबेस को जेल प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार की कम्प्यूटरीकृत सिस्टम के साथ एकीकरण करने का काम करेगी। इस कानून में यह प्रावधान भी है कि कैदियों के प्रवेश, उनके स्थानांतरण को लेकर भी प्रबंधन किया जाएगा।
अलग-अलग कैटेगरी में बांटे जाएंगे कैदी
कैदियों को अलग-अलग कैटेगरी में बांटा जाएगा जिसमें सिविल कैदी, आपराधिक कैदी, नजरबंद कैदी शामिल किए गए हैं। इसके अलावा दोष सिद्ध कैदी, विचाराधीन कैदी, मादक पदार्थों के सेवन के आदी और शराबी अपराधी, पहली बार के अपराधी तथा विदेशी कैदी के रूप में भी इनका विभाजन किया जाएगा। इसी कैटेगरी में आदतन अपराधी, हाई रिस्क वाले कैदी, वृद्ध और अशक्त कैदी, मृत्युदंड पाए कैदी, मानसिक रोग से ग्रस्त कैदी, संक्रामक और पुरानी बीमारियों से पीडि़त कैदी, आवर्ती अपराधी, महिला कैदी, महिला कैदी के साथ बच्चे, पुरुष कैदी के साथ बच्चे, युवा अपराधी भी शामिल किए गए हैं। इन्हें अलग-अलग बैरक और सेल में रखा जाएगा।