भाजपा में अभी से बनने लगी प्रत्याशियों को लेकर विद्रोह की स्थिति, शिकवा शिकायतों का दौर शुरू

प्रदेश में चुनावी बयार बहनी शुरू हो गई है। पार्टियों के साथ ही कार्यकर्ता भी अपनी-अपनी चाल चलने लगे हैं। पांच सालों से अपनी ही पार्टी के विधायकों से परेशान रहे कार्यकर्ता अब मोर्चाबंदी पर उतर आए हैं जिससे भाजपा में तो अभी से विद्रोह की स्थिति बनती दिखने लगी है। कार्यकर्ताओं ने अभी से अपने ही विधायकों के कारनामों का चि_ा संगठन के आला नेताओं के पास भेजकर चेतावनी देना शुरू कर दी है कि अगर उन्हें टिकट दिया गया तो फिर पार्टी की हार तय है। पार्टी संगठन के पास अब तक इस तरह की करीब 56 विधायकों की शिकायतें आ चुकी हैं। इस तरह की शिकायतें प्रदेश के मध्यभारत, महाकौशल, बुंदेलखंड और ग्वालियर चंबल अंचल से आयी हैं। खास बात यह है कि कुछ पत्रों में कार्यकर्ताओं ने नाम लिखे हैं तो कुछ में लिखा है- आपका शुभचिंतक या एक आम आदमी। इन शिकायतों को प्रदेश की अनुशासन समिति को भेज दी गई हैं। अनुशासन समिति इनकी जांच करा रही है, यदि शिकायतें सही पाई गईं तो प्रदेश संगठन इस संबंध में आगे विचार करेगा। शिकायती पत्रों में उल्लेख किया गया है कि ये शिकायतें पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को भी भेजी गई हैं।
अवैध वसूली व कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का उल्लेख
विधायक पार्टी कार्यकर्ताओं और जनता को तवज्जो नहीं देते हैं। उनका जनता की समस्याओं पर ध्यान नहीं है। विधायक के परिजन डरा-धमकाकर अवैध वसूली करते हैं, अगर इनको टिकट दिया गया तो वे इनको वोट नहीं करेंगे और भाजपा ये सीट हार जाएगी। एक पत्र में आया है कि ग्वालियर-चंबल अंचल के मंत्रियों तक कार्यकर्ता की पहुंच ही नहीं है।
पिछली बार हो चुकी है भाजपा मुख्यालय में तोड़फोड़
2013 में चुनाव से पहले भाजपा कार्यालय में कार्यकर्ताओं के मुर्दाबाद के नारे लग चुके हैं। कार्यालय का कांच तक फोड़ दिया गया था। टिकट के दावेदारों ने प्रदेश कार्यालय को शक्ति प्रदर्शन का केंद्र बना लिया था। तत्कालीन कार्यालय मंत्री आलोक संजर और कार्यालय प्रभारी विजेंद्र सिंह सिसोदिया को कार्यकर्ताओं को समझाने का जिम्मा सौंपा गया था। संगठन इस आशंका से भी परेशान है।
तो निर्दलीय होगेें मैदान में
पार्टी के कई नेता टिकट के लिए दबाव बनाने लगे हैं। कुछ नेताओं ने टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लडऩे की चेतावनी दी है। अशोक नगर जिला पंचायत के अध्यक्ष मलकीत सिंह मुंगावली से टिकट मांग रहे हैं। वे कहते हैं कि यदि इस बार टिकट नहीं मिली तो निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। कालापीपल से पूर्व विधायक बाबूलाल वर्मा कहते हैं कि उनको सेटिंग नहीं आती, इसलिए पिछले बार उनका टिकट काट दिया गया था। चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी प्रदेश अध्यक्ष से मिलकर चुनाव लडऩे की इच्छा जता चुके हैं। पूर्व विधायक परसराम मुदग्ल ने भी साफ कर दिया है कि चुनाव तो वो लड़ेगे भाजपा टिकट दे या न दे।
इनका कहना है
सभी शिकायतें अनुशासन समिति को भेजी जा रही हैं। समिति गुण-दोष के आधार पर फैसला करेगी। सारे तथ्य सिफारिशों के साथ प्रदेश अध्यक्ष को भेज दिए जाएंगे। आगे कार्रवाई का अधिकार उनका है।
– केशव पांडे, अध्यक्ष, भाजपा अनुशासन समिति