बांदा : उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद बाहुबली बसपा विधायक और पूर्वांचल के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी सोमवार को बागपत जेल में अपने सहयोगी डॉन मुन्ना बजरंगी की हत्या से सहम गए हैं. वह दो दिन से अपनी बैरक से बाहर नहीं निकले हैं. जेल प्रशासन ने हालांकि उनकी त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की है.
बांदा कारागार के जेलर वी.एस. त्रिपाठी ने बुधवार को बताया कि बागपत जेल में सोमवार को अपने सहयोगी डॉन मुन्ना बजरंगी उर्फ प्रेम प्रकाश सिंह की हत्या से यहां की जेल की बैरक संख्या-15 और 16 में बंद बाहुबली बसपा विधायक और पूर्वांचल कमाफिया डॉन मुख्तार अंसारी काफी सहमे हुए हैं. वह दो दिन से अपनी बैरक से बाहर नहीं निकले और न ही किसी से मुलाकात की इच्छा जताई है. अंसारी ने दो दिन से सही तरीके से खाना भी नहीं खाया है.
जेल प्रशासन हालांकि उनकी सुरक्षा में कोई चूक नहीं करना चाहता है और इसके मद्देनजर उनकी त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है. जेलर ने बताया कि सीसीटीवी कैमरों के जरिए 24 घंटे बंदियों की हरकतों पर कड़ी नजर रखी जा रही है. अधिकारी खुद रतजगा कर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा ले रहे हैं. उनकी बैरक में किसी भी बंदी रक्षक को भी जाने की इजाजत नहीं है और जेल की हर बैरक में दो दिन से सघन तलाशी अभियान चलाया जा रहा है. बंदियों या बैरकों से अभी तक कोई भी आपत्तिजनक सामान बरामद नहीं हुआ है.
उन्होंने बताया, “जेल की बाहरी सुरक्षा भी चाक-चौबंद की गई है. जेल के मुख्य द्वार पर पुलिस के अलावा पीएसी के जवान तैनात किए गए हैं. अन्य बंदियों के मुलाकातियों पर भी कड़ी नजर रखी जा रही है और उनकी सघन तलाशी ली जा रही है.”
गौरतलब है कि पूर्वांचल का माफिया डॉन और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी बांदा की जेल में 30 मार्च 2017 से बंद हैं. यहां उन्हें दिल का दौरा भी पड़ चुका है जिस पर उनके भाई ने जेल प्रशासन पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया था.
बागपत जिला जेल के भीतर ही मुन्ना बजरंगी की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. पूर्व बसपा विधायक लोकेश दीक्षित से रंगदारी मांगने के मामले में उसे कोर्ट में पेश किया जाना था. पेशी की वजह से उसे रविवार शाम को झांसी जेल से यहां लाया गया था. जानकारी के मुताबिक, उसे जेल के भीतर 10 गोलियां मारी गई थी. बागपत के जेलर, डिप्टी जेलर, जेल वॉर्डन और दो सुरक्षाकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है. इस हत्याकांड में उदय प्रताप सिंह (जेलर), शिवाजी यादव (डिप्टी जेलर), अरजिंदर सिंह (हेड वार्डन), माधव कुमार (वार्डन) की भूमिका पर शक है.