भास्कर ने दिल का दौरा बताया लेकिन समूह संपादक कल्पेश याग्निक ने ख़ुदकुशी की थी.

बहरहाल, अब यह साफ़ हो गया है कि शीतल सिंहं की सूचना पुरी तरह सही थी। भास्कर ग्रुप ने ख़ुदकुशी की ख़बर को छिपाने और इसे दिल का दौरा पड़ने से हुई मौत बताने में पूरी ताक़त झोंक दी, लेकिन तमाम सबूतों को देखते हुए पुलिस को कहना ही पड़ा कि कल्पेश याज्ञ्निक ने आत्महत्या की है।

दैनिक भास्कर की ओर से कहा गया कि इंदौर कार्यालय में रात साढ़े दस बजे कल्पेश याग्निक को दिल का दौरा पड़ा। उन्हें इलाज के लिए बाम्बे अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन बचाया नहीं जा सका। यही बात पूरी मीडिया ने छापी।

ख़बर कुछ यूँ बनाई गई कि दिल का दौरा दफ़्तर के अंदर पड़ा। लेकिन पुलिस जाँच में साफ़ हुआ है कि वे परिसर में गिरे पाए गए। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक उनके शरीर पर मल्टिपल फ्रैक्चर पाए गए (जिसकी जानकारी शीतल सिंह ने कल दे दी थी)। पुलिस को पुख़्ता सबूत मिले हैं कि उन्होंने दफ़्तर की तीसरी मंज़िल से कूदकर जान दी। वहाँ लगे एसी के कंप्रेशर पर कल्पेश के जूतों के निशान मिले हैं। पुलिस ने उनका जूता और कंप्रेशर पर लगी मिट्टी सबूत बतौर ज़ब्त कर ली है जिसकी फ़ॉरेंसिक जाँच कराई जाएगी।

हिंदी पत्रकारिता के इतिहास में कल्पेश याग्निक शायद पहले संपादक हैं जिन्होंने आत्महत्या की है। भीषण शोषण और अचानक नौकरी से निकाल दिए पत्रकारों की आत्महत्या की तो सुनी गई है लेकिन किसी अख़बार में मालिक जितना रसूख रखने वाले संपादक ने आत्महत्या की हो, इसकी कोई जानकारी नहीं है। कल से उनके लिए लगी श्रद्धांजलियो का ताँता बताता है कि वे बहुत जुनूनी व्यक्ति थे। ख़बरों और अख़बार के लिए जान न्योछावर किए रहते थे। उनके साथ काम कर चुके एक पत्रकार ने मीडिया विजिल को बताया कि वे सुबह दस बजे दफ़्तर आ जाते थे और रात में तीन-चार बजे तक रुकते थे। ऐसी ही अपेक्षा वे सहकर्मियों से भी करते थे जिससे कई बार दफ्तर में तनाव पसर जाता था। बहरहाल, वे सबको ‘राइट टाइम’ रखते थे। मैनेजमेंट उनकी इस अदा से प्रसन्न भी रहता था।

ज़ाहिर है, उनके पास परिवार के लिए भी समय नहीं था।

पुलिस ने कहा है कि आत्महत्या के कारणों का पता लगाने के लिए वे परिवार से भी पूछताछ करेगी।

इस बीच कुछ ऑडियो मोबाइल रिकॉर्डिंग भी चर्चा में हैं जिसमें आवाज़ कल्पेश याग्निक की बताई जा रही है। बातचीत में कुछ गंभीर बयान हैं जिससे आत्महत्या के संभावित कारण का अंदाज़ा लगता है। हालाँकि आवाज़ वाक़ी कल्पेश याज्ञ्निक की है, इस के बारे मे बिना जाँच के कुछ नहीं कहा जा सकता